आगर एसपी ओर एएसपी ने बनाया शासन के नियमों का मजाक, अब इनका कौन काटेगा चालान?
हर रोज हाइवे पर आम जनता से मास्क ना पहनने पर चालान काटकर पैसे वसूलने वाली पुलिस के आला अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई है या यूं कहें जिले में पुलिस विभाग के अधिकारियों ने शासन के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई है. पढ़े पूरी खबर…
आगर-मालवा: हर रोज उज्जैन-कोटा मार्ग पर कोतवाली ओर ट्रैफिक पुलिस द्वारा उन व्यक्तियों पर चालानी कार्यवाही की जाती है जिनके द्वारा अपना चहरा मास्क से नही ढ़का जाता. लेकिन अब जिले में पुलिस विभाग के उच्च अधिकारी सार्वजनिक कार्यक्रमों में आसानी से बिना मास्क के दिखाई देते है..
घटना हाल ही कि है, स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एसपी कार्यालय पर झंडावंदन का कार्यक्रम रखा गया था और उसी समय जो राशि आज तक हाइवे पर बिना मास्क वालो के चालान काटकर वसूली गई थी वह सभी राशि लगभग 1 लाख रुपये सीएमएचओ डॉ.विजय कुमार सिंह को एसपी राकेश सगर ओर एएसपी कमल मौर्य द्वारा सौपी गई लेकिन दोनों अधिकारियों द्वारा मास्क का प्रयोग नही किया गया बल्कि वह जो राशि सीएमएचओ को उनके द्वारा सौपी गई वह सब बिना मास्क के सफर करने वाले मुसाफिरों के चालान काटकर इखट्टा की गई थी.
आगर जिले के वरिष्ठ पत्रकार मनीष मारू ने ट्वीट करतें हुए लिखा कि मास्क ना पहनने वालों से ली गई 100-100 रुपये सहायता राशि एकत्रित कर 1 लाख रुपये की नगद राशि CMHO डॉ विजय कुमार को SP और ASP महोदय ने सोंपी, विडम्बना देखिए राशि सौंपते समय दोनो ही जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों ने मास्क नही पहना, जनता मास्क ना पहने तो कार्यवाही और अधिकारी ना पहने तो ?
आपको बता दे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आदेश जारी कर कहा था कि प्रदेश में सभी शासकीय अधिकारी-कर्मचारियों को कोरोना महामारी की गाइडलाइन का पालन करना आवश्यक होगा. नियम का पालन नही करने पर सम्बंधित अधिकारी-कर्मचारी पर कार्यवाही की जाएगी. लेकिन हम बता दे आगर जिले में यहा के अधिकारियों के सामने प्रदेश के मुखिया के आदेश भी फीके नजर आ रहे है..
आगर जिले में हर कोई पुलिसकर्मी बिना मास्क के दिखाई देना आम बात है.आपको यह बात जानकर आश्चर्य होगा कि वह पुलिसकर्मी भी जो हाईवे पर खड़े होकर आम जनता के चालान काटते है, अधिकतर बार उन्हें भी बिना मास्क के देखा गया है. खेर उन्हें क्या दोष दिया जाये. जब विभाग के उच्च अधिकारी ही नियमों की धज्जियां उड़ाएंगे तो हम बाकी पुलिसकर्मियों से क्या उम्मीद लगा सकते है और बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि आम जनता का चालान काटने वाली पुलिस के उच्च अधिकारियों के चालान कौन कटेगा?