कोरोना से लड़ने में कारगर है कोवैक्सीन और कोविशील्ड , यहां जाने दोनों वैक्सीन के बीच का अंतर…
देश में अब कोरोना की दूसरी लहर का असर धीमा पड़ चुका है.कई जिले अनलॉक हो रहे है, लेकिन कोरोना के इस खतरनाक प्रकोप से सुरक्षित रखने में वैक्सीन की अहम भूमिका रही है. देश में टीकाकरण की प्रक्रिया जारी है, टीकाकरण के बाद कई लोगो के मन में कई प्रकार के सवाल उठ रहे होंगे-जैसे की हमें जो वैक्सीन लगी है वो काम करेगी भी या नही, या कौन- सी वैक्सीन ज्यादा प्रभावी है? किस वैक्सीन को लगवाने से कोरोना संक्रमण का खतरा खत्म हो जाएगा? कौन सी वैक्सीन का साइड इफेक्ट सबसे कम है? कौन सी वैक्सीन लगवाने से एंडीबॉडी तेजी से और अधिक बनने लगते हैं?
लोगो के मन में इसी तरह के बहुत से सवाल उठ रहे होंगे. ऐसे में हाल ही में रिसर्च के बाद एक स्टडी में पता चला है कि ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर सीरम इंस्टीच्यूट में बनाई गई कोविशील्ड (Covishild) भारत की स्वदेशी भारत बायोटेक की कोवैक्सीन (Covaxine) की तुलना में अधिक एंडीबॉडीज बनाती है, मतलब कोविशील्ड कोरोना को हराने में कोवैक्सीन से ज्यादा बेहतर साबित हुई. कोवैक्सीन भी अच्छी है, लेकिन कोविशील्ड ज्यादा प्रभावी है.
वैक्सीन की स्टडी में यह बात सामने आई
कोरोनावायरस वैक्सीन-इंड्यूस्ड एंडीबॉडी टाइट्रे (COVAT) की तरफ से की गई शुरुआती स्टडी के अनुसार वैक्सीन की पहली डोज ले चुके लोगों में कोवैक्सीन की तुलना में कोविशील्ड वैक्सीन लेने वाले लोगों में एंटीबॉडी अधिक बनी है. जानकारी के अनुसार इस स्टडी में 552 हेल्थकेयर वर्कर्स को भी शामिल किया गया था. स्टडी में दावा किया गया है कि कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वाले लोगों में सीरोपॉजिटिविटी रेट (Seropositivity Rate) से लेकर एंटी-स्पाइक एंटीबॉडी कोवैक्सीन की पहली डोज लगवाने वाले लोगों की तुलना में ज्यादा अधिक थे.
कोरोना से लड़ने में दोनों वैक्सीन ने दिया अच्छा रेस्पॉन्स
स्टडी में बताया है कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों ही वैक्सीन की प्रतिक्रिया अच्छी है. लेकिन सीरोपॉजिटिवी रेट और एंटी स्पाइक एंटीबॉडी कोवैक्सीन के मुताबिक कोविशील्ड में अधिक है. सर्वे में शामिल 456 हेल्थकेयर वर्कर्स को कोविशील्ड और 96 को कोवैक्सीन की फर्स्ट डोज लगाई गई थी और पहली डोज के बाद ओवरऑल सीरोपॉजिटिविटी रेट 79.3% रहा.
वैक्सीन की दूसरे डोज के बाद इम्यून सिस्टम पर मिलेगी अधिक जानकारी
कोरोनावायरस वैक्सीन-इंड्यूस्ड एंडीबॉडी टाइट्रे की स्टडी के निष्कर्ष में बताए गया कि दोनों वैक्सीन लगवा चुके हेल्थकेयर वर्कर्स में इम्यून रिस्पॉन्स अच्छा था. दोनों वैक्सीन की दूसरी डोज लेने के बाद इम्यून रेस्पॉन्स के बारे में और अच्छी तरीके से जानकारी मिलेगी. स्टडी में उन हेल्थ वर्कर्स को शामिल किया गया जिन्हें कोविशील्ड और कोवाक्सिन दोनों में से कोई भी वैक्सीन लगाई गई थी. साथ ही वर्कर्स में कुछ ऐसे थे जिन्हें सार्स-सीओवी-2 संक्रमण हो चुका था, तो वहीं कुछ ऐसे भी थे जिन्हे पहले यह वायरस के नहीं हुआ था.
आखिर क्या अंतर है कोवैक्सीन और कोविशेल्ड में?
कोवैक्सीन को भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के साथ मिलकर डेवलप किया गया है. कोवैक्सीन इनएक्टिवेटेड वैक्सीन है, जो बीमारी पैदा करने वाले वायरस को निष्क्रिय करके बनाई गई है. कोवैक्सीन B.1.617 वेरिएंट यानी भारत के डबल म्यूटेंट वेरिएंट को बेअसर करने में कारगर साबित है.वहीं, कोविशील्ड चिम्पैंजी एडेनोवायरस वेक्टर पर आधारित वैक्सीन है. इसमें चिम्पैंजी को संक्रमित करने वाले वायरस को आनुवांशिक तौर पर संशोधित किया गया है ताकि ये इंसानों में ना फैल सके.
कोवैक्सीन और कोविशील्ड एक दूसरे से बिलकुल अलग हैं. ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा डेवलप कोविशील्ड वैक्सीन को और भी कई देशों में इस्तेमाल किया जा रहा है.वैज्ञानिकों का दावा है कि ये वैक्सीन कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी जेनरेट करने का काम करती है. हालांकि इन दोनों ही वैक्सीन की खूबियां इन्हें एक दूसरे से एकदम अलग रखती है.