आखिर क्यों हुआ विकास दुबे का एनकाउंटर?
- पहले गिरफ्तारी
- कार पलटना
- पिस्टल लेकर भागना
- फिर एनकाउंटर.
कई फिल्मी कहानियों में ऐसा हमने देखा है और विकास दुबे एनकाउंटर भी किसी फिल्मी कहानी से कम नही है।
कही ऐसा तो नही कि विकास दुबे मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के उन राजनेताओं के नाम उजागर कर देता जिन्हें जनता अपना मानती है। सवाल बहुत है सिर्फ हमारे नही आम जनता के भी और विपक्षी पार्टी के नेताओं के भी.
●कांग्रेस नेता अजय सिंह ने ट्वीट कर कहा कि यह तो होना ही था।

वही दिग्विजय सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा कि जिसका शक था वह हो गया। विकास दुबे का किन किन राजनैतिक लोगों से, पुलिस व अन्य शासकीय अधिकारियों से उसका संपर्क था, अब उजागर नहीं हो पाएगा। पिछले 3-4 दिनों में विकास दुबे के 2 अन्य साथियों का भी एनकाउंटर हुआ है लेकिन तीनों एनकाउंटर का पैटर्न एक समान क्यों है?
वही भीम आर्मी के प्रदेश प्रभारी सुनिल अस्तेय ने ट्वीट करते हुए लिखा कि “में कल उज्जैन जिलाकोर्ट था, जंहा विकास दुबे की पेशी, उज्जैन पुलिस, कोर्ट के समक्ष की थी, मैने अपने साथियो कल ही कह दिया था, उप्र पुलिस, योगी सरकार सारे सबूतों को नष्ट करवाने के लिये रास्ते मे ही एनकाउंटर कर देगी।”
आज हुआ भी यही,योगी सरकार की पोल खोलने से बचा लिया।
सपा नेता अखिलेश यादव ने लिखा कि दरअसल ये कार नहीं पलटी है, राज़ खुलने से सरकार पलटने से बचाई गयी है.

आखिर अब हम क्या समझे हर एक विपक्षी नेता का शक योगी और शिवराज पर है.
सवाल बहुत है. पर अब इन सवालों का जवाब देने वाला विकास दुबे नही है। असंवैधानिक तरीके से किसी अपराधी को सबूत मिटाने के एनकांउटर का रूप देकर मार देना एक तरह से संविधान की हत्या करने जैसा है।