भाजपा का दलाल नेता! उच्च शिक्षा मंत्री का प्रतिनिधि उज्जैन के माधवनगर अस्पताल में बेड दिलाने के लेता था हजारों रुपये

उज्जैन। एक और देश में जरूरतमंदों को अस्पताल में एक बेड तक नसीब नहीं हो रहा है तो वहीं अब सत्ताधारी पार्टी के नेता ही दलाली करने पर उतारू हो गए हैं. ताजा-तरीन मामला उज्जैन से सामने आया है, जहां उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव का प्रतिनिधि भाजपा नेता अभय विश्वकर्मा उज्जैन के माधव नगर अस्पताल में एक बेड दिलाने के हजारों रुपए लेता था. यहां अस्पताल में जरूरतमंदों को बेड नहीं मिलता था, तो वही जो लोग सीरियस नहीं है उन्हें डीलक्स आईसीयू में रखा जाता था सिर्फ और सिर्फ भाजपा नेता अभय विश्वकर्मा की मेहरबानी से. खेर मेहरबानी भी क्या नेता जी इस काम की मोटी रकम जो लेते थे.

यहां कुछ दिन पहले अस्पताल प्रभारी के रूप में पहुंचे डॉक्टर ने व्यवस्था में सुधार करने का प्रयास किया. मंत्री प्रतिनिधि के इस घटिया काम में अस्पताल का स्टाफ भी भरपूर रूप से सम्मिलित था जब डॉक्टर साहब ने अस्पताल की व्यवस्थाओं को सुधारने की कोशिश की तो मंत्री प्रतिनिधि ने उनका जीना हराम कर दिया और उन्होंने अपने उच्च अधिकारियों को इस स्थिति से अवगत कराकर अपना ट्रांसफर वहां से करवा लिया.वही, इसे दरियादिली कहे या मजबूरी की अधिकारियों ने भी डॉक्टर साहब का तत्काल ट्रांसफर कर दिया.

दरअसल, यह पूरा मामला प्रभारी डॉक्टर के एक व्हाट्सएप चैट से सबके सामने उजागर हो गया. मंत्री प्रतिनिधि का इस मामले में कहना है कि मुझ पर लगाए गए सभी आरोप गलत हैं. वहीं इस मामले में कांग्रेस का कहना है कि प्रतिनिधि ही नहीं बल्कि शिक्षा मंत्री मोहन यादव को भी इस मामले में तत्काल इस्तीफा देना चाहिए.

प्रदेश में कोरोना से हो रही मौतों के पीछे सबसे बड़ा कारण ऑक्सीजन और अस्पताल में बेड नहीं मिल पाना ही सामने आया है और सबसे दुखद बात तो यह है कि ऊंची पहुंच रखने वाले लोगों को सरकारी अस्पतालों में भी पैसे देकर आईसीयू से लेकर सामान्य बेड उपलब्ध हो रहे हैं और इसी तरह की खबरें लगातार उज्जैन के माधव नगर अस्पताल से सामने आ रही थी. यहां माधवनगर कोविड केयर अस्पताल में यह आरोप कैबिनेट मंत्री मोहन यादव के प्रतिनिधि पर लगे तो मामला और भी गंभीर हो गया. अस्पताल के प्रभारी रहे डॉ संजीव कुमार रावत ने बताया कि अभय ने अस्पताल को एक तरह से हाईजैक कर लिया है. अभय गैरकानूनी तरीके से अस्पताल के बेड पर कब्जा करता है. इन बातों से तंग आकर डॉक्टर संजीव ने माधवनगर अस्पताल का जिम्मा संभाले नगर निगम कमिश्नर से अपना ट्रांसफर नागदा करने की गुहार व्हाट्सएप पर कर दी और यही चैट अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है.

प्रभारी रहे डॉ. कुमावत ने बताया कि जब वह 25 दिन अस्पताल के प्रभारी रहे तो उन्होंने अस्पताल की व्यवस्थाओं को बदलने का प्रयास किया. उन्होंने टोकन सिस्टम बनाया, तो यह अभय को बिल्कुल पसंद नहीं आया क्योंकि इसके कारण उसका दलाली का धंधा बंद हो गया था. इसी बीच अधिकारियों को इस बात से अवगत करा दिया था, इसके बाद अधिकारियों ने कुछ समय के लिए अभय का माधवनगर अस्पताल में आना प्रतिबंधित कर दिया था. लगातार अस्पताल से अव्यवस्थाओं की शिकायत मेरे पास आई और इसके सबूत भी मेरे पास मौजूद है. माधवनगर अस्पताल में आईसीयू के डीलक्स रूम भी है. अभय द्वारा लाए गए मरीज जिनके ऑक्सीजन 94 या 95 तक होती थी वह भी आईसीयू में रहते हैं. वही काम ऑक्सीजन वालों को पलंग के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती थी. अस्पताल का कुछ स्टाफ भी अभय के साथ मिला हुआ है. इस वजह से उसको यह बात आसानी से पता चल जाती थी कि कहां कौन सा बेड खाली हुआ है.

मामले में कांग्रेस विधायक महेश परमार ने कहा कि मैं इस घटना की निंदा करता हूं.अभय अस्पताल के गेट पर खड़ा रहता था, इसके नाते मोहन यादव को इस्तीफा देना चाहिए क्योंकि अभय उनका प्रतिनिधि है. अस्पताल में बेड की खरीद-फरोख्त करने की जानकारी हमने मंत्री मोहन यादव को भी दी थी, तो वही मंत्री यादव ने इन सभी आरोपों से इनकार कर दिया है.

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