ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में मौजूद है संविधान की मूलप्रति, इन हस्तियों के है हस्ताक्षर

आज पूरा देश 71वां संविधान दिवस मना रहा है. संविधान के बारे में हम सब ने सुना है, लेकिन कम ही लोग होंगे, जिन्होंने संविधान की मूल प्रति को देखा होगा. आज हम आपको दिखा रहे हैं, ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में 31 मार्च 1956 से सुरक्षित रखी गई संविधान की मूल प्रति.

ग्वालियर। हर वर्ष 26 नवंबर को हम भारतीय संविधान दिवस मनाते हैं. 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था, लेकिन इससे पहले 26 नवंबर 1949, यानी आज ही के दिन इसे अपनाया गया था. सात दशक पहले भारत का संविधान तैयार हुआ था. इस संविधान की एक मूल प्रति ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में रखी हुई है. इस प्रति पर तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सहित संविधान सभा के सदस्यों के हस्ताक्षर हैं.

1956 में लाई गई थी प्रति

31 मार्च 1956 को ये प्रति यहां लाई गई थी. उस वक्त देश के अलग-अलग हिस्सों में संविधान की कुल 26 मूल प्रतियां भेजी जा रहीं थीं. ग्वालियर मध्यप्रदेश के उन इकलौते शहरों में से एक था, जहां संविधान की मूल प्रति को भेजा गया था.

खास है संविधान की प्रति

ये प्रति कई मायने में खास है. इसके आवरण पृष्ठ पर स्वर्ण अक्षर अंकित हैं. इसमें कुल 231 पेज हैं. संविधान के अनुच्छेद 344 से लेकर 351 तक का उल्लेख मिलता है. इतना ही नहीं संविधान सभा के 286 सदस्यों की मूल हस्ताक्षर भी इस प्रति पर मौजूद हैं.

क्यो मनाया जाता है संविधान दिवस

हर वर्ष 26 नवंबर का दिन देश में संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है. बता दें 26 नवंबर को राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में भी जाना जाता है. 26 नवंबर, 1949 को ही देश की संविधान सभा ने वर्तमान संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था. हालांकि इसे 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया था. भारतीय संविधान में सभी वर्गो के हितों के मद्देनज़र विस्तृत प्रावधानों को शामिल किया गया है. सर्वोच्च न्यायालय की विभिन्न व्याख्याओं के माध्यम से भी बदलती परिस्थितियों के अनुसार विभिन्न अधिकारों को इसमें सम्मिलित किया गया.

कब और क्यों लिया गया संविधान दिवस मनाने का फैसला

वर्ष 2015 में संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर किब125वीं जयंती वर्ष के रूप में 26 नवंबर को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने इस दिवस को ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाने के केंद्र सरकार के फैसले को अधिसूचित किया था. संवैधानिक मूल्यों के प्रति नागरिकों में सम्मान की भावना को बढ़ावा देने के लिए यह दिवस मनाया जाता है.

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