बुंदेलखंड के प्रसिद्ध गायक पंडित देशराज पटेरिया जी का निधन

“जब लो मोरी बहिन जानकी आँखन नही दिखानी………”

बुंदेलखंड के तानसेन, लोकगीत सम्राट देशराज पटैरिया जी को पं. सौरभ तिवारी की ओर से शब्द पुष्पांजलि

बुंदेलखंड के तानसेन, बुंदेली एवं बुंदेलखंड को राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले लोकगीतों के बेताज बादशाह, बुंदेली भाषा व संस्कृति के प्रचार प्रसार में अपनी महती भूमिका निभाने वाले , बुंदेलखंडियों के अभिमान, बुंदेली लोक कलाकारों के मुकुट शिरोमणि, लोकगीत सम्राट पंडित देशराज पटेरिया जी का निधन बुंदेलखंड ही नहीं अपितु सारे देश के लोकगीतों की दुनिया में अपूरणीय क्षति है ।

25 जुलाई सन 1953 में ग्राम तिदनी (नौगांव) जिला छतरपुर में जन्मे पंडित देशराज पटेरिया किसी पहचान के मोहताज नहीं थे, बुंदेलखंड की “सांस्कृतिक विविधता और सभ्यता” को “बुदेली लोकगायन” के माध्यम से फिर वह चाहे – लोकगीत हो,फाग गायन , दिवारी गायन(मौनिया),आल्हा गायन,राई नृत्य गायन, भजन आदि को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलंकृत करने और विभिन्न विश्व प्रख्यात मंचो पर “बुंदेली लोकगायन” को अपने सुरों के माध्यम सुशोभित करने का काम उन्होंने जीवन भर किया ।सांस्कृतिक लोकगीत श्रोता उनकी गायकी के कायल थे ।

उन्होंने अपने जीवन की पहली मंचीय प्रस्तुति छतरपुर के प्राचीन मां अन्नपूर्णा मेला जलबिहार गल्लामंडी में दी उसके बाद से मां अन्नपूर्णा की कृपा एवं स्वयं के परिश्रम से वे बुंदेली लोकगीतों के सरताज बन गए । हास्य, श्रृंगार व भक्ति रस से परिपूर्ण उनके भजन व लोकगीत लोगों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करते हैं । जिसको सुनने के लिए हजारों की संख्या में भीड़ इकट्ठा होती थी उनके लोकगीत इतने लोकप्रिय थे कि मैदान में बैठने के लिए जगह भी नहीं बचती थी भीड़ को कंट्रोल करने के लिए कई बार पुलिस को डंडे भी चलाने पढ़ते थे लेकिन फिर भी संगीत,कला व मनोरंजन प्रेमी उनके श्रोतागण डंडे खाकर भी देशराज जी के लोकगीत सुनने रात भर घंटों बैठे रहते थे । उन्होंने कई ख्यातिप्राप्त मंचों में अपनी शानदार प्रस्तुतियां दी जो कि अविस्मरणीय है ।

मां अन्नपूर्णा मेला जलविहार में हर वर्ष वे निशुल्क अपनी प्रस्तुति देते थे, जिनको सुनने के लिए दर्शन बेताब रहते थे । मुझे अच्छी तरह याद है जब पिछले वर्ष जब वह मेला जलविहार के लोकगीत कार्यक्रम में आए तो उन्होंने कहा था कि मैंने अपने जीवन में पहली प्रस्तुति मां अन्नपूर्णा मेला जलविहार पर दी थी और आखरी प्रस्तुति भी यहीं पर दूं यही माता अन्नपूर्णा से कामना है । और इसे इत्तेफाक कहें या ईश्वर की गति कि मां अन्नपूर्णा के दरबार में वही उनकी अंतिम मंचीय प्रस्तुति रही, और यह भी एक संयोग है कि अभी मां अन्नपूर्णा मेला जलविहार का समय चल रहा है और इसी समय उनका देहांत हुआ, कोरोना वायरस न होता तो आज- कल में ही उनके लोकगीत मेला मंच के माध्यम से होते ।

बुंदेली माटी के गौरव को उन्नति के शिखर पर ले जाने वाले आदरणीय देशराज पटैरिया जी आप भले ही नही रहे किंतु आपकी स्मृतियां आपकी रचनाएं एवं आपका गीत संगीत संपूर्ण बुंदेलखंड एवं अन्य प्रांतों में जन जन के दिलों में जीवित रहेगा । ईश्वर आपको अपने चरणों में स्थान दे ।

तुम चले गये इस दुनिया से हमको विश्वास नहीं होता,
तुम दूर क्षितिज पर हो इसका हमको अहसास नहीं होता।
बुन्देलखण्ड की धरती का कितना यशगान किया तुमनें,
अनुजों को प्यार अग्रजों को हरदम सम्मान दिया तुमनें।
जो शब्द दिये हैं माता नें वे शब्द समर्पित करता हूँ,

शत शत वंदन कर चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।।

:- पं. सौरभ तिवारी (रामजी) छतरपुर

अवनीश चौबे छतरपुर

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