बड़ा मलहरा में बीजेपी की राह बड़ी मुश्किल

👉कांग्रेस से भाजपा में जाना प्रदुमन सिंह को पड़ा भारी क्षेत्र में बड़ा प्रदुमन सिंह का विरोध

👉मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के बड़े नेताओं के भरोसे प्रदुमन सिंह लड़ रहे हैं चुनाव

👉भाजपा के बड़े नेता भी नहीं बदल पा रहे बिकाऊ और टिकाऊ प्रत्याशी का नारा

छतरपुर– बड़ामलहरा उपचुनाव में दल बदलकर भाजपा में आए प्रद्युम्र लोधी को अच्छी खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। संगठन के लोग भी दिल खोलकर अपने प्रत्याशी के लिए प्रचार प्रसार नहीं कर पा रहे हैं। दल बदल की छाप और बिकाऊ का नारा चलने के कारण भारतीय जनता पार्टी के संगठन से जुड़े लोगों को प्रद्युम्र लोधी के लिए प्रचार करने में काफी दिक्कतें आ रही हैं।

मुख्यमंत्री कर चुके हैं तीन सभाएं
प्रद्युम्न सिंह की बिगड़ी हुई हालत को देखकर स्वयं मुख्यमंत्री को तीन बार करनी पड़ी बड़ा मलहरा विधानसभा में सभाएं, मुख्यमंत्री के साथ-साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता भी लगातार बड़ा मलहरा में प्रदुम सिंह लोधी के समर्थन में कर रहे हैं सभाए लेकिन कोई परिणाम निकल कर सामने नहीं आ पा रहा है।

मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के भरोसे प्रद्युम्न की नैया

प्रद्युम्र लोधी प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती के भरोसे पर अपनी नैय्या पार लगाने का सपना सजाए बैठे हैं। लेकिन इन दौरों के दौरान क्षेत्र में भीड़ एकत्रित नहीं हो पा रही है जिससे जनता में कोई अच्छा मैसेज अभी तक नहीं पहुंच पाया। शिवराज सिंह चौहान को भी उनके सूत्रों ने यह बता दिया है कि भाजपा प्रत्याशी की स्थिति क्षेत्र में अच्छी नहीं है और भाजपा को यह सीट खिसकती नजर आ रही है।

वहीं प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती जिनका गढ़ बड़ामलहरा कहा जाता था उन्होंने भी खराब स्वास्थ्य के कारण बड़ामलहरा उपचुनाव से अभी दूरी बना रखी है। अभी तक वह क्षेत्र में प्रद्युम्र लोधी के पक्ष में प्रचार प्रसार करने के लिए तूफानी दौरा नहीं किया है।

क्षेत्र की जनता भी भाजपा के नेताओं के वादे और घोषणाओं से ऊब चुकी है। आज भी बड़ामलहरा क्षेत्र सबसे ज्यादा पिछड़ा हुआ क्षेत्र है इस क्षेत्र में सामंती प्रवृत्ति के लोगों ने गरीब तपके के लोगों का शोषण किया है और जिन्होंने भी इसकी आवाज उठाई उसे इस क्षेत्र से बाहर कर दिया गया। फिलहाल क्षेत्र में सामंती प्रवृत्ति के लोगों का दबदबा आज भी बरकरार है। उनके इशारों पर ही इस क्षेत्र से जनप्रतिनिधि चुनकर जाता है। ऐसे में प्रद्युम्र लोधी की नैय्या कैसे पार होगी पिछले चुनाव में प्रद्युम्र लोधी ने भाजपा के खिलाफ जो भाषण दिए थे उसी का परिणाम था कि वह कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार होने के कारण लगभग 15 हजार मतों से विजयी हुए थे और आज 18 महीने बाद वही प्रद्युम्र लोधी भाजपा से प्रत्याशी बनकर जनता के सामने फिर से वोट मांगने आ गए हैं। जनता है सब जानती है कि प्रद्युम्र लोधी ने क्षेत्र का विकास तो किया नहीं परंतु अपना विकास 18 महीने में कर लिया।

दल बदलकर सत्ता के मोह में क्षेत्र की जनता के जनमत का तो तिरस्कार प्रद्युम्र लोधी ने किया है उसका खामियाजा इस चुनाव में उन्हें भुगतना पड़ेगा। हालांकि भारतीय जनता पार्टी का संगठन पूरी ताकत के साथ डटा हुआ है परंतु उन्हें सफलता मिलते नजर नहीं आ रही है।

मुख्य मुकाबला कांग्रेस पार्टी से होना है,पहले तो प्रदुमन सिंह लोधी कांग्रेस का टिकट पा कर भाजपा पर हमला बोलते रहे प्रदुमन सिंह लोधी जिस भाजपा पर हमला बोलते रहे उसी पार्टी से टिकट लेकर कांग्रेस के लिए क्या कहेंगे जनता सब जानती है चुनाव की राह बड़ी मुश्किल है!

अवनीश चौबे छतरपुर

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