आगर को रेल की सौगात तो मिली नही…लेकिन रेलवे टिकिट काउंटर खुला था वह भी 220 हफ्ते में ही जिले से हुआ गायब

-रेलवे का कहना – घाटे में था टिकिट काउंटर, 40 टिकिट रोज का था लक्ष्य, प्रत्येक टिकिट पर 15 रुपए लेते थे अतिरिक्त

विजय बागड़ी, आगर-मालवा। मध्यप्रदेश में आगर-मालवा ही ऐसा पहला जिला होगा जहां पर विकास आता नहीं है बल्कि जो चीजें विकास के लिए जरूरी है वह चीजें जिले से बेदखल कर दी जाती है। रेलवे की मांग वर्षो से यहां उठती रही है और हर चुनाव में भी रेलवे के नाम पर ही वोट मांगे जाते हैं फिर चाहे वह लोकसभा के चुनाव हो या फिर विधानसभा के लेकिन हर बार चुनाव जीतने के बाद कोई भी विधायक या सांसद इस मुद्दे पर बोलने को तैयार नहीं होता है। रेलवे को लेकर कई बार सर्वे हुए लेकिन हर बार जिलेवासियों को रेल सुविधा के नाम पर केवल निराशा ही हाथ लगी। जिलेवासियों को रेलवे काउंटर की सौगात वर्ष 2018 में दी गई थी लेकिन जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता गया अब वह सौगात भी जिले से छीन ली गई है। आगर के स्थानीय पोस्ट ऑफिस परिसर में रेलवे टिकट काउंटर खोला गया था और यहां पर लोग रेलवे की टिकट बुकिंग करवाने के लिए पहुंचते भी थे लेकिन यह टिकट काउंटर मात्र 4 साल यानी कि 220 हफ्ते ही अस्तित्व में रह सका, अब यहां से यह रेलवे टिकट काउंटर गायब हो चुका है। यह रेलवे टिकट काउंटर आलोट रेलवे स्टेशन से संबंधित था और रेलवे द्वारा यहां पर टिकट बुकिंग को लेकर एक सिस्टम लगाया गया था लेकिन यहां कोई कर्मचारी रेलवे विभाग का कार्य नहीं कर रहा था बल्कि पोस्ट ऑफिस का ही एक कर्मचारी रेलवे टिकट बुकिंग करता था, इसके बावजूद रेलवे ने इसे घाटे का सौदा बताते हुए टिकट काउंटर को जिले में बंद कर दिया।

4 साल 5 महीने में हुआ बंद

रेलवे टिकट काउंटर की शुरुआत स्व. मनोहर ऊंटवाल के संसदीय कार्यकाल के दौरान 29 जुलाई 2018 को हुई थी और बड़े लाव-लश्कर के साथ कार्यक्रम आयोजित कर इस रेलवे टिकट काउंटर का शुभारंभ किया गया था और जिलेवासियों ने इस रेलवे टिकट काउंटर के शुभारंभ के साथ ही एक उम्मीद जताई थी कि अब जल्द ही जिले में रेल सुविधा भी शुरू हो जाएगी लेकिन यह सपने अधूरे ही रह गए और अब 4 साल 5 महीने यानी कि 220 हफ्तों में ही 9 जनवरी 2023 को यह रेलवे काउंटर अस्तित्व से बाहर हो गया। अब फिर जिलेवासियों को रेल टिकट बुक करने के लिए यहां तो एमपी ऑनलाइन वालों के पास जाना पड़ता है या फिर वह खुद जिस स्टेशन से ट्रेन से सफर करना चाहते हैं वहां जाकर टिकट खरीदते हैं। हैरानी की बात यह है की फिलहाल उज्जैन से लेकर झालावाड़ तक जिस रेल लाइन की मांग जिलेवासी कर रहे है इस पूरे क्षेत्र की संसदीय सीटों पर भाजपा का कब्जा है लेकिन इसके बावजूद जिले को रेल सेवा नही मिल पा रही है।

40 टिकट रोज बुक करने का था लक्ष्य

आलोट रेलवे स्टेशन से संबंधित जो टिकट काउंटर आगर जिले में खोला गया था वहां पर 40 रेलवे टिकट रोज बुक करने का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि इतनी टिकट बुक नहीं हो पाती थी, साथ ही रेलवे द्वारा यहां पर कोई स्वयं की जगह नहीं ली गई थी जबकि पोस्ट ऑफिस द्वारा उन्हें रेलवे टिकट घर खोलने के लिए निशुल्क रूप से जगह उपलब्ध करवाई गई थी और यहां पर प्रति टिकट पर रेलवे द्वारा 15 रुपए अतिरिक्त यात्रियों से वसूला जाता था। हालांकि अब यह टिकट घर बंद हो गया है और जो सिस्टम रेलवे द्वारा पोस्ट ऑफिस में टिकट बुकिंग को लेकर लगाया गया था वह भी रेलवे विभाग द्वारा वापिस ले जाया जा चुका है।

“मेरे द्वारा क्षेत्रवासियों की रेलवे की मांग को विधानसभा में प्रमुखता के साथ उठाया गया है। उसके साथ ही रेलवे खिड़की आगर में हुआ करती थी उसको बंद किया गया है। उसको पुनः शुरू करवाने को लेकर भी मेरे द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। – विपिन वानखेड़े (विधायक, आगर)

“हमारे द्वारा रेल के लिए भी रेल मंत्री से पत्राचार किया गया है। इसके साथ ही टिकट खिड़की जो बंद हुई है उसे भी पुनः शुरू करवाने के प्रयास जारी है। – चिंतामण राठौर (आगर जिला अध्यक्ष भाजपा)

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