आखिर पत्रकारों को कोरोना योद्धा क्यों नहीं मानती सरकार?


पत्रकार की मौत के बाद कौन करेगा उनके परिवार का पालन पोषण?


पत्रकारों के हित में कमलनाथ भी करें पहल

प्रदेश को भगोड़े और डरपोक स्वास्थ्य मंत्री की नहीं है आवश्यकता, प्रभुराम को तुरंत मंत्रि-मंडल से बाहर करे सरकार


विजया पाठक,

एडिटर जगत विजन


कोरोना का संकट हर तरफ गहराया हुआ है। संक्रमण का यह खेल आगे कब तक जारी रहेगा कुछ कहा नहीं जा सकता। लेकिन मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए यह दौर बहुत की कठिन और चुनौती भरा है। आए दिन प्रदेश में 500 से अधिक मरीजों की जान जा रही है और राजधानी भोपाल में आए दिन 1800 से ज्यादा मरीज संक्रमित पाए जा रहे है। संक्रमण के इस घातक वायरस ने हर किसी को अपनी चपेट में लिया है। पत्रकार भी इससे अछूते नहीं रह पाए और अब तक न सिर्फ भोपाल के बल्कि पूरे प्रदेश के कई पत्रकारों को यह वायरस निगल चुका है। लेकिन चिंता का विषय यह है कि अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए जिन पत्रकारों ने अपनी जान गवां दी।

उन के बाद उनके परिजनों के लिए सरकार ने क्या व्यवस्था कर रखी है। कोरोना की रोकथाम और मरीजों के इलाज के लिए जुटे शासकीय कर्मचारियों को जहां शिवराज सरकार ने कोरोना योद्धा करार दिया है। वहीं, सरकार और जनता के बीच सेतु का कार्य करने वाले निस्वार्थ पत्रकारों को यह सरकार योद्धा तक नहीं मानती और उनके मृत्यु पर श्रद्धांजलि देकर अपना पल्ला झाड़ लेती है। जबकि यह गलत है शिवराज सरकार को पत्रकारों के हितों की ओर से भी अब ध्यान देने की आवश्यकता है। दिन रात एक करके जो पत्रकार सरकार की योजनाओं को जनता तक पहुंचाने के लिए काम करते है उसकी मृत्यु होने पर यह सरकार उसे भुला देने में पीछे नहीं हटती। आलम यह है कि तथाकथित पत्रकारों को छोड़ दें तो आज स्थिति यह है कि अगर किसी पत्रकार की कोरोना के कारण ड्यूटी के दौरान मृत्यु हो जाती है तो अगले दिन से उसके बच्चे और पत्नी कैसे जीवन यापन करेंगे इसका कोई ठिकाना नहीं।

मेरा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से विनम्र आग्रह है कि वे खुद दोनों संबंध में विचार करके जल्द से जल्द कोई निर्णय लें ताकि कोरोना के संकटकाल में कार्य कर रहे पत्रकारों का मनोबल और बढ़े। इतना ही नहीं एक विषय की ओर से मुख्यमंत्री जी का ध्यान आकर्षित कराना चाहूंगी कि पूरा प्रदेश बीते एक वर्ष से कोरोना के संकट से जूझ रहा है। ऐसे में प्रदेश सरकार के पास भरपूर समय था कि वो प्रदेश के हर एक जिले में ऑक्सीजन प्लांट बनवाए, वेंटिलेटर खरीदे, अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़वाए। लेकिन आदरणीय न आपने और न ही आपके फिसड्डी स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया।

सिर्फ पूरी सरकार प्रदेश में उपचुनाव करवाने में जुटी रही और आज हालत यह है कि पूरा प्रदेश ऑक्सीजन के एक एक कण के लिए मोहताज बना हुआ है और दूसरे राज्यों की तरफ झांकने को मजबूर है। अगर अभी भी समय रहते नहीं चेते तो आने वाला समय इससे भयावह भी हो सकता है।


स्वास्थ्य मंत्री को तुरंत पद से हटाए


कांग्रेस के भगोड़े नेताओं को भारतीय जनता पार्टी में शामिल कर शिवराज सरकार अपनी छवि भी धूमिल करती जा रही है। जब प्रदेश की जनता ऑक्सीजन, बेड और इलाज के लिए दर-दर भटक रही है। ऐसे समय में स्वास्थ्य मंत्री पूरी तरह से गायब है। आखिर कहां छुपे बैठै है प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी। चौधरी को शायद यह ध्यान नहीं कि यह जनता है और जनता हिसाब लेना बहुत अच्छी तरह से जानती है। यदि प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा स्वास्थ्य मंत्री विश्वास सारंग से स्वास्थ्य विभाग को संभाला जा सकता है तो फिर प्रभुराम चौधरी की क्या आवश्यकता। क्यों सरकार जनता के टैक्स से प्राप्त करोड़ों रुपए इस तरह के भगोड़े मंत्रियों के ऐशोआराम में खर्च करती है। ऐसी भी क्या मजबूरी है शिवराज सिंह चौहान की ज्योतिरादित्य के खेमे के मंत्रियों को कुछ कह भी नहीं पा रहे। अगर ऐसी ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब भारतीय जनता पार्टी को चुनाव में वोट आसानी से प्राप्त हो पाएंगे।

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