आज है अंतरराष्ट्रीय पेरेंट्स डे, जाने आखिर जुलाई के चौथे रविवार को ही क्यों मनाया जाता हैं.

हर वर्ष जुलाई के चौथे रविवार को अंतरराष्ट्रीय पेरेंट्स डे मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने पेरेंट्स को याद करते हैं, क्योंकि उनके जीवन में पेरेंट्स की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. ताजा उदाहरण में देखें तो हिमाचल प्रदेश में एक पेरेंट्स ने अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए अपनी गाय बेच दी. वहीं, लॉकडाउन के दौरान तमाम ऐसी घटनाएं हुईं जो इस दिन को मनाने के लिए और मजबूर कर देती हैं. जानें पेरेंट्स डे जुड़ी खास बातें.

हर साल जुलाई महीने के चौथे रविवार को अंतरराष्ट्रीय पेरेंट्स दिवस मनाया जाता है. यह मायने नहीं रखता है कि हमारे पेरेंट्स कहां हो सकते हैं. हमारे जीवन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है. इसलिए इस दिन हम जश्न मनाते हैं. वैसे तो मई में मदर्स डे और जून में फादर्स डे मनाया जाता है. वहीं जुलाई में पेरेंट्स डे मनाया जाता है. जीवन में पेरेंट्स हमें स्वतंत्र रूप से सोचने के लिए नेतृत्व भी करते हैं. वह अपने बच्चों की परवरिश और सुरक्षा के लिए सब कुछ करने के लिए तैयार रहते हैं.

अंतरराष्ट्रीय पेरेंट्स डे का इतिहास
यह दिन हमें यह संदेश देता है कि लोगों के जीवन के विकास में पेरेंट्स की भूमिका अहम है. 1994 में अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने कांग्रेस (संसद) में एक कानून को पास को किया, जिसके बाद से जुलाई के चौथे रविवार को अंतरराष्ट्रीय पेरेंट्स डे मनाया जाने लगा. कांग्रेस के संकल्प के अनुसार, यह दिन लोगों के विकास में या फिर बच्चों को पालन-पोषण पर समर्थित है.

पेरेंट्स डे का महत्व
पेरेंट्स डे पूरी दुनिया में पेरेंट्स को समर्पित है और परिवार के बंधन को मजबूत करने और खुशी, प्यार और समझ का माहौल बनाने के लिए उनकी प्रतिबद्धता के लिए सराहना दिखाने का अवसर है. यह पेरेंट्स हैं जो अपने व्यक्तित्व को अपनी अंतर्निहित शक्तियों और प्रतिभाओं के अनुसार ढालते हैं और नैतिक मूल्यों में जीवन को पूरी तरह से जीने की भावना के अधीन हैं.

पेरेंट्स डे बच्चों के जीवन में माता-पिता की अत्यधिक उपस्थिति को स्वीकार करता है. यह पेरेंट्स के बलिदान, पोषण और देखभाल, माता-पिता की भावनात्मक शक्ति के लिए आभार प्रकट करने का एक संकेत है, क्योंकि वह अपने बच्चों को बड़े होने और आगे बढ़ने के दौरान के चरणों को क्रमानुसार देखते हैं. न केवल भौतिक आवश्यकताओं के प्रदाता, माता-पिता एक मार्गदर्शक और संरक्षक की अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो बच्चों के दृष्टिकोण व व्यवहार पर प्रभाव डालते हैं.

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