डाकन टेकरी के नाम से पहले पहचानी जाती थी प्रसिद्ध शंकर टेकरी, आज भी कोई व्यक्ति यहां नही कर सकता रात्रि विश्राम

शिव के इस चमत्कारिक धाम की प्रशासन नही करता पूछ-परख

विजय बागड़ी, आगर-मालवा। बाबा बैजनाथ की पावन नगरी आगर में हर एक किलोमीटर पर एक शिवालय पाया जाता है और हर शिवालय की अपनी एक कहानी है, किसी शिवालय को सिंधिया स्टेट के दौरान बनवाया गया तो किसी को यही के रहवासियों ने बनवाया लेकिन शहर की एक पहाड़ी पर भगवान शिव का ऐसा प्राचीन मंदिर है जहां रात के समय कोई रात्रि विश्राम नही कर सकता है। हम बात कर रहे है कानड़ दरवाजा बाहर स्थित शंकर टेकरी की जहां मौजूद शिवलिंग इतना चमत्कारिक है कि यहां आने वाला कोई भी भक्त खाली हाथ नही जाता, यहां भक्तों की हर मुराद पूरी होती है।

दरअसल, यह शिवालय काफी प्राचीन है और एक पहाड़ी पर बना हुआ है। शिवालय में मौजूद शिवलिंग काफी पुराना है, शिवलिंग की स्थापना को लेकर किसी के पास कोई प्रमाणिक जानकारी नही है। पहाड़ी पर शिवलिंग होने की सूचना के बाद यहां वर्ष 1932 में स्थानीय लोगों ने पहाड़ी पर मंदिर का निर्माण करवाया। मंदिर के बारे में किंवदंती है कि यहां रात के समय कोई भी व्यक्ति रात्रि विश्राम नही कर सकता, मंदिर के निर्माण से पहले यहां बस केवल शिवलिंग मौजूद था और सुनसान पहाड़ी होने के कारण यहां लोग आने से डरते थे और इसे पूर्व में डाकन टेकरी के नाम से जाना जाता था। मंदिर के आसपास हराभरा होने के कारण यह काफी आकर्षण का केंद्र है और शहर के साथ ही आसपास के क्षेत्र से लोग यहां दर्शन करने व पिकनिक बनाने के लिए आते है।

शंकर टेकरी के इस प्रचीन मंदिर के बारे में किंवदंती है कि यहां कोई रात्रि विश्राम नही कर सकता है। मंदिर पुजारी श्रेय पांडेय ने बताया कि कई वर्षों पहले एक संत यहां रहते थे लेकिन वह भी कुछ माह में ही शांत हो गए थे जिनकी समाधि भी मंदिर प्रांगण में मौजूद है। उन्होंने बताया कि मंदिर में रात्रि विश्राम करने वाले व्यक्ति ज्यादा दिन नही रह पाता है, कुछ महीने पहले भी एक व्यक्ति मंदिर में रहने आए थे लेकिन वह 4-5 दिन भी यहां नही रुक पाए। यहां कई डरावनी घटनाएं भी पुजारी परिवार के साथ घटित हुई और यही कारण है कि इसे पुराने समय में डाकन टेकरी कहा जाता था।

-शिव के धाम की प्रशासन नही करता देखरेख

शिव का यह धाम प्राचीन और चमत्कारिक तो है लेकिन प्रशासन इस खूबसूरत धाम की देखरेख बिल्कुल भी नही करता है। मन्दिर आज की स्थिति में व्यवस्थित बना हुआ है लेकिन यहां नगरपालिका व धर्मस्व विभाग की तरफ से कोई भी विकास कार्य नही कराए गए है जो भी विकास यहां हुए है वह भक्तों के सहयोग से हुए है। यहां आज तक बिजली की कोई व्यवस्था नही है, रोड़ भी अधूरा बना हुआ है, पहाड़ी पर चढ़ने के लिए जो रास्ता है उस पर रैलिंग नही लगी हुई है, साथ ही पानी की भी कोई उचित व्यवस्था नही है। मंदिर के पास करीब 4-5 बीघा जमीन भी है लेकिन वहां भी दूसरों ने अतिक्रमण कर रखा है।

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