छूट्टी के बदले किस मांगने वाले अपर कलेक्टर का हुआ ट्रांसफर

आगर-मालवा। जिले में पदस्थ अपर कलेक्टर एन.एस राजावत ने कलेक्ट्रेट भवन में कार्यरत एक महिला कर्मचारी से अश्लीलता व अभद्रता की थी, जिसको लेकर महिलाकर्मी ने जिला कलेक्टर अवधेश शर्मा को एक आवेदन सौंपकर अपर कलेक्टर पर कार्यवाही की मांग की थी।

महिलाकर्मी ने आवेदन में बताया था कि अपर कलेक्टर ने छुट्टी के बदले उनसे किस करने की मांग की थी। इसके बाद महिला रोते हुए अपर कलेक्टर के कक्ष से बाहर आ गई। महिला को रोता देख साथी कर्मचारियों ने महिला से रोने का कारण पूछा तो महिला ने पूरी आपबीती सुनाई। इसके बाद यह मामला मीडिया के समक्ष आया तो मीडिया ने पीड़िता का साथ दिया और अपर कलेक्टर को जमकर घेरा।

जिसके बाद आज शासन ने कार्यवाही करते हुए अपर कलेक्टर एन.एस राजावत का ट्रांसफर भोपाल मंत्रालय में किया है. बता दें दि टेलीग्राम ने निष्पक्ष ओर बेबाक तरीके से लगातार इस मुद्दे पर समाचार प्रकाशित किए थे और महिला का साथ देने की कोशिश की थी, जिसका ही परिणाम है कि अपर कलेक्टर एन.एस राजावत का ट्रांसफर हुआ है लेकिन सिर्फ ट्रांसफर ही इस घटिया कार्य की सजा नहीं है, कायदे से तो अपर कलेक्टर के ऊपर महिला उत्पीड़न के मामले में प्रकरण दर्ज होना चाहिए और उन्हें सख्त से सख्त सजा देना चाहिए क्योंकि अगर प्रशासनिक अधिकारियों से ही महिलाएं सुरक्षित नहीं रहेगी तो हम आम लोगों से और आम महिलाएं अपने आप को इस देश में कैसे सुरक्षित मान सकेगी?


अपर कलेक्टर ने कलेक्टर के समक्ष रखा था अपना पक्ष

9 अक्टूबर को लिखित में कलेक्टर के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए एडीएम ने पत्र की एक कॉपी मीडिया को देते हुए बताया था कि उन पर लगाए गए आरोप निराधार हैं और उनके विरुद्ध षड्यंत्र रचा गया है. एडीएम ने अपने पत्र में यह भी बताया था कि जो महिला उन पर आरोप लगा रही है, वह पिछले 3 वर्षों से कार्य कर रही है तथा आए दिन विभिन्न फाइल ले लेकर मेरे पास आती रही है किंतु इतने वर्षों में कभी ऐसी स्थिति नहीं बनी. संबंधित महिला कर्मचारी बार-बार अवकाश लेने की आदी होकर जब मेरे पास अवकाश लेने आए तो मेरे द्वारा यह जानकारी मांगी गई कि अल्प सेवाकाल में कब-कब में कितने अवकाश लिए गए. मेरे द्वारा की गई जांच पड़ताल से महिला कर्मचारी को लगा कि संभवत मेरा अवकाश स्वीकृत नहीं हो पाएगा, तो वह मेरे कक्ष से रोते हुए बाहर निकल गई और अन्य कर्मचारियों के पूछने पर जुटी एवं बेबुनियाद कहानी बनाकर मुझे बदनाम किया गया.

एडीएम ने अपने पत्र में यह भी बताया था कि 3 वर्षों से उनके साथ स्टेनों के रूप में कार्य कर रही महिला कर्मचारी जो रोज दिन में कई बार शासकीय कार्य से मेरे चैम्बर में आती हैं जब उसके साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ तो मुझ पर लगाया गया यह आरोप कैसे संभव है.

जब संबंधित महिला ने व अन्य कर्मचारियों ने स्टेनों को शिकायत के लिए कहा तो वह उनके साथ भी नहीं गई. स्टेनो से मेरे कार्य व व्यवहार की जानकारी ली जा सकती है.

एडीएम ने शिकायतकर्ता महिला कर्मचारी से ठोस सबूत मांगे जाने एवं निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए यह भी बताया कि उन पर जो आरोप लगा है वह उनकी सेवा काल में दाग है और चरित्र हनन की कोशिश की गई है।

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