शिवसेना, बीएसपी व नोटा ने बीजेपी से छीनी परंपरागत आगर विधानसभा सीट

मध्यप्रदेश उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी और अन्य दलों ने 8 सीटों के नतीजों को प्रभावित किया है. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इन दलों ने कांग्रेस को 6 सीट और बीजेपी को 2 सीट का नुकसान पहुंचाया है.

भोपाल। मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में बीएसपी और अन्य ने 8 सीटों पर नतीजों को प्रभावित किया है. इन आठ सीटों में से छह सीटों पर कांग्रेस को नुकसान पहुंचा, जबकि दो सीटों पर बीजेपी की भी घटी. पांच सीटों पर बीएसपी तीसरे स्थान पर रही. इस उपचुनाव में बीएसपी को 5.75 फीसदी वोट मिले. जबकि 2018 के विधानसभा चुनाव में ये आंकड़ा 5.11 फीसदी था. जिससे साफ है कि बीएसपी का वोट शेयर बढ़ा है. उपचुनाव में भले ही बीएसपी कोई भी सीट जीतने में सफल न रही हो, लेकिन पांच सीटों पर बसपा और निर्दलियों ने कांग्रेस का गणित जरूर बिगाड़ दिया.

बीजेपी की परंपरागत सीट आगर पर शिवसेना, बीएसपी और नोटा ने बीजेपी का गणित बिगाड़ दिया. सीट पर जीत-हार का अंतर सिर्फ 1947 वोटों का रहा, जबकि नोटा को 1279 वोट, शिवसेना को 1761 और बीएसपी को 1413 वोट मिले. जीत कांग्रेस के विपिन वानखेड़े के हिस्से में गई.

आगर विधानसभा सीट के सियासी इतिहास की बात की जाए तो संघ की प्रयोग शाला कहे जाने वाले मालवांचल में इस सीट पर बीजेपी का दबदबा माना जाता है. अब तक हुए 15 आम चुनावों में से इस सीट पर 11 बार जनसंघ और बीजेपी के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है. तो चार बार कांग्रेस ने जीत का स्वाद चखा है. इस सीट पर बीजेपी के मनोहर ऊंटवाल दो बार चुनाव जीते थे. लेकिन दोनों ही बार वे अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए.

इन छह सीटों पर बिगड़ा कांग्रेस का गणित

भांडेर

भांडेर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के फूल सिंह बरैया सिर्फ 161 वोटों से हार गए. यहां से बीएसपी के महेंद्र बौद्ध 7,023 वोट काटने में सफल रहे. जबकि नोटा के पक्ष में 1619 वोट आए. लिहाजा बीजेपी की रक्षा सिरोनिया को इसका सीधा फायदा मिला और जीत दर्ज करने में कामयाब हुईं.

जौरा

जौरा विधानसभा सीट पर बीएसपी के सोनेराम कुशवाह कांग्रेस की राह में रोड़ा बन गए. उन्होंने 47 हजार 881 वोट हासिल किए. जबकि कांग्रेस प्रत्याशी पंकज उपाध्याय को करीब 55 हजार 500 वोट मिले. जबकि भाजपा के पक्ष में 66946 वोट पड़े और बीजेपी प्रत्याशी सूबेदार सिंह 13 हजार 446 वोटों से जीत गए.

मेहगांव

मेहगांव विधानसभा सीट से चुनावी किस्मत आजमाने उतरे कांग्रेस के हेमंत कटारे 11 हजार 833 वोटों से हार गए. इस सीट पर बीएसपी के योगेश नरवरिया 21 हजार 960 वोट झटकने में सफल रहे. बीजेपी प्रत्याशी ओपीएस भदौरिया को 72043 वोट मिले और सीट भाजपा की झोली में गई.

अंबाह

बड़ामलहरा विधानसभा सीट पर कांग्रेस की राम सिया भारती को मजबूत माना जा रहा था, लेकिन बीएसपी के अखंड प्रताप सिंह ने मैदान में उतरकर उनके गणित को बिगाड़ दिया. जीत बीजेपी के प्रद्युम्न सिंह लोधी की हुई. बीएसपी को 20 हजार 424 वोट मिले. कांग्रेस और बीजेपी में हार-जीत का अंतर 17 हजार 399 वोट रहा.

अंबाह

अंबाह विधानसभा सीट पर कांग्रेस के सत्यप्रकाश सिकरवार 13 हजार 761 वोटों से हार गए, जबकि निर्दलीय चुनाव में उतरे अभिनव छारी को 19 हाजर 84 वोट मिले. सीट बीजेपी के कमलेश जाटव की झोली में गई.

पोहरी

शिवपुरी जिले की पोहरी विधानसभा सीट पर बीजेपी के सुरेश धाकड़ ने जीत दर्ज की. लेकिन यहां बसपा प्रत्याशी कैलाश कुश्वाहा को 43848 वोट मिले और पार्टी इस सीट पर दूसरे नंबर पर रही. जबकि कांग्रेस के हरिबलभ्भ शुक्ला तीसरे नंबर पर रहे. इस सीट पर हार-जीत का अंतर 22000 रहा. यानि अगर बीएसपी ने उपचुनाव नहीं लड़ा होता तो शायद पोहरी के परिणाम कुछ और होते. यानि पोहरी में कांग्रेस की हार में बसपा का बड़ा रोल रहा.

बीजेपी को भी बसपा ने एक सीट पर हरवाया

ऐसा नहीं है बसपा के केवल कांग्रेस के लिए वोट कटवा साबित हुई. मुरैना सीट पर बीजेपी भी बसपा के चलते चुनाव हार गई. यहां बसपा प्रत्याशी रामप्रकाश राजौरिया को 43084 वोट मिले. जबकि बीजेपी प्रत्याशी रघुराज सिंह कंषाना की हार का अंतर यहां 5751 रहा. यानि मुरैना में बसपा ने बीजेपी का खेल बिगाड़ दिया. ये सीट कांग्रेस की झोली में गई.

किसे कितना मिला वोट प्रतिशत

उपचुनाव में नतीजों ने प्रदेश के चुनावी इतिहास को ही दोहराया है. इस बार बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ गया है. वहीं कांग्रेस के वोट फीसदी में गिरावट आई है. उप चुनाव में बीजेपी को 49.46 फीसदी वोट मिला है. 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का वोट प्रतिशत 41.33 फीसदी था. कांग्रेस को उपचुनाव में 40.50 फीसदी वोट मिले, जो 2018 के विधानसभा चुनाव में 41.35 फीसदी था.बीएसपी को उप चुनाव में 5.75 फीसदी वोट मिले, जो पिछले विधानसभा चुनाव में 5.11 फीसदी था. नोटा पर सिर्फ 0.88 फीसदी वोट पड़े.

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