20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज. कितनी हक़ीक़त, कितना फ़साना..

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक बार फिर देश के नाम सम्बोधन हुआ ! यह संबोधन अर्थव्यवस्था पर केंद्रित रहा ! 20 लाख करोड रुपए के पैकेज की घोषणा से पहले प्रधानमंत्री ने जो भूमिका बांधी है, उससे यही लगता है कि आर्थिक चुनौतियों और समस्याओं को आप उन्हें चाहे कितना भी बड़ा करके बताएं वे उन्हें उस तरह नहीं देखते हैं

विजया पाठक ✍️

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक बार फिर देश के नाम सम्बोधन हुआ ! यह संबोधन अर्थव्यवस्था पर केंद्रित रहा ।

20 लाख करोड रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा से पहले प्रधानमंत्री ने जो भूमिका बांधी है, उससे यही लगता है कि आर्थिक चुनौतियों और समस्याओं को आप उन्हें चाहे कितना भी बड़ा करके बताएं वे उन्हें उस तरह नहीं देखते हैं ।

आत्मनिर्भर भारत

पीएम के देखने के नजरिए में पिछले 6 साल में भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है l उन्होंने कहा कि 20 लाख करोड रुपए देश की जीडीपी का 10% है ।

मतलब देश की जीडीपी 2.10 लाख करोड़ है ! नरेंद्र मोदी जी ने इस आर्थिक पैकेज को नाम दिया है आत्मनिर्भर भारत l

जिसमें आत्मबल, आत्मविश्वास पर भी जोर दिया ! मोदी जी के संबोधन में लोकल पर जोर दिया गया ।

यह पैकेज किसान लघु एवं मध्यम उद्योग में मजदूरों यानि सबके लिए है । अब इस आर्थिक पैकेज की सिलसिलेवार जानकारियां भी दी जा रही है ।

इस पैकेज में मोदी जी ने चतुरता और चालाकी का परिचय दिया है ! क्योंकि पीएम के मुताबिक इस आर्थिक पैकेज में लैंड, लेबर, लिक्विडिटी और लॉ सभी पर बल दिया है !

इस पैकेज में पहले भी सरकार और आरबीआई ने जो आर्थिक घोषणा की है वह भी शामिल है! मतलब इससे ही आरबीआई ने 8 लाख करोड़ की लिक्विडिटी की घोषणा की हैl

साथ ही मोदी सरकार भी 1.70 लाख करोड़ की आर्थिक सहायता प्रदान कर चुकी है । इससे तो यही लगता है कि यह पैकेज लगभग 10 लाख करोड का ही बैठता हैl मोदी सरकार ने एक बार फिर आधी हकीकत आधा फसाना की चाल चल कर लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया!

अब ये 10 लाख करोड़ किन-किन सेक्टरों को मिलेगा कितना मिलेगा समझ से परे है! मोदी जी आप जो सहायता प्रदान कर रहे हैं वह कितने लोगों तक पहुंचेगी और पारदर्शिता क्या रहेगी इस पर भी विचार करने की जरूरत है |

मनेरगा जैसी जनकल्याणकारी योजना में भ्रष्टाचार किसी से छुपा नहीं है l सिर्फ मनेरगा ही नहीं अन्य सभी योजनाओं में भ्रष्टाचार होता है |

हितग्राहीयों तक सरकारी सहायता नहीं पहुंच पाती है l सरकार का दायित्व है कि, जो भी शासकीय सहायता प्रदान की जाती है वह प्रत्येक हितग्राही तक पहुंचनी चाहिए |

सरकारी घोषणा करना आसान है लेकिन उनकी पारदर्शिता से पालन कराना मुश्किल है l मोदी सरकार में भी वही हो रहा है जो पिछली सरकारों में हुआ है l

मोदी जी घोषणाएं करने से पहले उस योजना का बेहतर क्रियान्वयन हो, उसकी खाका तैयार करना चाहिए!

एक कमेटी बनाना चाहिए । जो सहायता राशि के संचालन पर निगरानी रखे केंद्र और राज्य सरकारें गरीबों, मजदूरों, किसानों को लॉकडाउन में कितनी सहायता राशि बाँट चुकी है ।

क्या वाकई में इन लोगों तक पहुंची है या नहीं पहुंची ।

मजदूर आज भी भूखे हैं गरीब आज भी दर बदर की ठोकरें खाने को मजबूर है । फिर लाखों करोड़ों के आर्थिक पैकेज की क्या अहमियत ।

जब लोगों तक सहायता का पैसा ना पहुंचे तो देश की अर्थव्यवस्था को नष्ट करने का क्या औचित्य l

निष्कर्ष

इस समय देश बड़े नाजुक दौर से गुजर रहा है l हर एक वर्ग आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा हैl रोजगार छिना है, व्यापार ठप हैं ।

उद्योग धंधे चौपट हैl ऐसी परिस्थिति में आर्थिक पैकेज निश्चित तौर पर संजीवनी नहीं है । लेकिन यदि इस पैकेज में सुनियोजित उपयोग नहीं हुआ तो स्थिति और बिगड़ेगी देश के हालात और हाल पर मोदी जी ने चिंता जरूर की है ।

लेकिन इसमें सरकार की नियत और नीति भी स्पष्ट होनी चाहिए

घोषणाओं की वाह वाह समस्या का समाधान नहीं है 20 लाख करोड़ का पैकेट आधी हकीकत है पर इस आधी हकीकत में पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित होनी चाहिए ।

भ्रष्टाचार की बिल्कुल भी गुंजाइश नहीं होनी चाहिए l तभी प्रधानमंत्री मोदी और जनता की मनसा पूरी होंगी l

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