“कोविड इडियट” कैसे होते हैं?

पढ़िए जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर अव्यक्त अग्रवाल की शानदार फ़ेसबुक पोस्ट…

“COVID IDIOTS

कोविड इडियट आपके और मेरे परिवार में भी हो सकते है , मित्रों में हो सकते हैं.

कोविड इडियट किसी बड़े पद से लेकर हाई कोर्ट के वकील, डॉक्टर, आई ए एस या नेता, मंत्री भी हो सकते हैं.

और मैं ढेरों कोविडियट को देख चुका हूँ , अंततः बेड के लिए अप्रोच लगाते.

आप सबने भी देखे होंगे ऐसे ज्ञानी जो किसी भी प्रमाणित ज्ञान को अपनी काल्पनिक थ्योरी और अधकचरे विज्ञान से धूल में मिलाते देते हों.

आम तौर पर हत्याएं आपराधिक या हिंसक लोग करते हैं लेकिन पांडेमिक के समय मूर्खता, लाखों लोगों की’ आत्म हत्या’ या प्रियजनों की ‘हत्या’ करवा सकती है.

अतः मूर्खता इस पेंडेमिक के समय दुष्टता से कहीं अधिक खतरनाक है.

अतः कोविड इडियट्स के लक्षणों को पहचानिए और यदि वे आपके करीबी हैं तो या तो दृढ़ता से उन्हें सुधारिये या फ़िर उनसे अलग हो जाइये.

भारत के इन ख़राब हालातों में इन कोविड इडियट्स का बहुत बड़ा हाथ है.

तो पढ़िए इनके लक्षण :

  1. ये कहते मिलेंगे कोरोना जैसी कोई बीमारी नहीं होती. ये एक साज़िश है वग़ैरह.
  2. कोरोना एक सामान्य फ्लू है जिसकी मृत्यु दर बेहद कम है. मीडिया , सरकार , WHO आपको डरा रहे हैं.
  3. मास्क लगाने से ऑक्सीजन कम होती है और इम्युनिटी कम होती है.
  4. शादी , सगाई, रिश्तेदारी, पार्टी, फ़ालतू घूमना पास से बात करना, बहस करना इन्हें बेहद पसंद होगा.
  5. कोरोना 5G रेडिएशन है, नेबुलाइजर से ऑक्सीजन मिलती है, मुझे कोरोना नहीं टायफॉइड था जैसे वीडियो और पोस्ट ये खूब फॉरवर्ड करेंगे.
  6. कोविड के लक्षण आने पर भी ये isolate नहीं होंगे, मास्क तो पहनना है नहीं। मास्क से इन्हें घुटन होती है.
  7. पहले तो जांच नहीं करवाएंगे फ़िर करवा भी ली तो रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर भी घूमते रहेंगे, मिलते रहेंगे बिना किसी को बताए.
  8. यदि ये ठीक हो जाएंगे अपने आप, तो इस मूर्खता पूर्ण निष्कर्ष को उछल उछल कर बताएंगे सबको कि कोरोना मामूली है. मर वो रहे हैं जो अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं. लोग कोरोना से नहीं दवाओं से मर रहे हैं. घर पर रहने वाले सब ठीक हो रहे हैं. इनका अद्भुत डेटा कलेक्शन सिस्टम होता है.
  9. जब इनकी सांसें फूलने लगेंगी तब ये अस्पताल भागेंगे और उन लोगों से मदद मांगने में शर्माएंगे नहीं, जिन्हें ये अपना अंतर्यामी ज्ञान देते रहे, वो ज्ञान जो वैज्ञानिक रूप से अपुष्ट , काल्पनिक और निराधार रहा था. मैंने ऐसे लोगों की मदद तो की लेकिन मन भी किया कि इन्हें बातें सुनाऊं.

10., अस्पताल पंहुच कर भी ये गैर अनुशासित रहेंगे और अपना दिमाग़ लगाना बंद नहीं करेंगे. जांच से लेकर दवा तक में किन्तु परंतु करेंगे.

  1. कुछ ही प्रतिशत कोविड इडियट की आंखें खुल पाती हैं और खुलने पर भी ये किसी को नहीं बताते कि वे गलत थे और उनकी बेवकूफी से न जाने कितने और लोग संक्रमित हो गए. पूरा का पूरा परिवार और प्रिय जन भी.
  2. कोविड इडियट को मास्क से लेकर वैक्सीन तक सबकी गहरी जानकारी है , ऐसा उन्हें लगता रहता है। वे अपनी जानकारी से मिलते जुलते वीडियो , व्हाट्सएप्प पोस्ट पढ़ते और फॉरवर्ड करते रहेंगे और अपने ज्ञान से आल्हादित होंगे. उन्हें लगेगा पूरा विश्व एक साजिश का हिस्सा और शिकार बन गया बस वो ही enlightened हैं.

वैक्सीन के बाद किसी को कोरोना हो गया तो वैक्सीन के खिलाफ पोस्ट लिखने से लेकर वीडियो बनाने तक वे उतावले दिखेंगे.

कोविइडियट इस राष्ट्रीय आपदा के समय देश की विकराल समस्या हैं. अपने अपने स्तर पर इन्हें परिवार के लोग संभाले.

औऱ जो कोविड इडियट बड़े स्तर पर सोशल मीडिया पर, लोगों के दिमाग को प्रभावित करे उसे कानून संभाले। जो इनकी ड्यूटी कोविड वार्डों में सोशल वर्क के लिए लगाई जाए.

  1. कोविड इडियट के अपने स्वयं के आत्म मुग्ध ऑब्जरवेशन / अवलोकन होते हैं. जैसे वे कहेंगे गांव में तो covid से कोई नहीं मरता सिर्फ शहर में ही मरते हैं.

इन्हें पहचानिए और नियंत्रित कीजिये
अन्यथा बहुत से परिवार
अपूर्णीय क्षति झेलेंगे….

ध्यान रखें …
दिमाग़ ख़राब न हो तो कोविड से लंग्स खराब होने की संभावना बेहद कम हो जाएगी
.

आपका
डॉ अव्यक्त

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