विकास के नाम पर हो रहा – भ्रष्टाचार



पौधा भ्रष्टाचार का, आज हुआ वटवृक्ष

हिमांशी तिवारी✍️

भ्रष्टाचार, बलात्कार, बेरोजगारी, जातिवाद और संप्रदायिकता जैसे तमाम समस्याओं से छुटकारा पाने के बजाय और इसे बढ़ावा मिल रहा है. वर्तमान समय में तो ऐसा प्रतीत होता है कि भ्रष्टाचार और बलात्कार एक समान हो चुका हैं, जैसे बलात्कार में एक लड़की की इज्जत लूटी जाती है, वैसे ही भ्रष्टाचार में लोगों का हक छीना जाता है.
खासकर हमारे देश में दहेज प्रथा के तरह भ्रष्टाचार जैसी कुप्रथा को भी लोगो द्वारा एक प्रथा के रूप में ही अपना लिया गया है और स्थिति ऐसी आ गई है कि हमारे देश मे आज भ्रष्टाचार एक आम बात सी हो गई है. जहाँ भ्रष्टाचार में व्यक्ति अपने निजी लाभ के लिए देश की संपत्ति का शोषण करता है, यह देश की उन्नति के पथ पर सबसे बड़ा बाधक तत्व है.

भारत समेत अन्य विकासशील देश में भ्रष्टाचार तेजी से फैलता जा रहा है. भ्रष्टाचार के लिए ज्यादातर हम देश के राजनेताओं को ज़िम्मेदार मानते हैं, पर सच यह है कि देश का आम नागरिक भी भ्रष्टाचार के विभिन्न स्वरूप में भागीदार हैं.

देश में राजनीति को गाली देने से भ्रष्टाचार खत्म नहीं होता है, जो लोग टोल प्लाजा पर पैसे बचाने की तरकीब ढूंढते है, गाड़ी के कागज़ न होने पर पुलिस वालों को रिश्वत देकर छुटकारा पाने वाले लोग, ट्रेन में सीट के लिए टी.सी. को रिश्वत देने वाले, लड़की को छेड़ता हुआ देखकर कुछ न बोलने वाले, चोरी की लाइट जलाने वाले लोगो को कोई अधिकार नहीं है भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने का, प्रत्येक व्यक्ति को खुद का भ्रष्टाचार खुद से रोकना होगा तभी मुल्क का भ्रष्टाचार ख़त्म होगा.
बहुत ही छोटी सी बात है कि योजनाओं में फ़ेर-बदल और घोटाला सिर्फ सुनने मात्र के लिए है परंतु जब किसी का हक़ किसी और की झोली में डाल दिया जाता है, चंद रुपयों के लालच में लोगों को सरकारी योजनाओं के लाभ नहीं मिल पाता है तब कई ग्रामीण परिवारों का कष्ट बढ़ जाता है. कई योजनाएं बनाई जाती है पर योजनाओं के लाभ पाने के लिए भी सरकारी बाबुओं को पैसे खिलने पड़ते हैं. आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत बनाई गई योजनाओं का लाभ कुछ गिने चुने लोगो को ही मिल पाया, क्या इसी को कहते है “आग लगे चाहे बस्ती में, सरकार तो है अपनी मस्ती में”?

भ्रष्टाचार की सूची तो बहुत लंम्बी है जिसके कुछ ग्राम पंचायतों के भ्रष्टाचार के मामले सामने आए हैं, उत्‍तर प्रदेश के बरेली जिले की पिपौली ग्राम पंचायत की हाल के दिनों में गांव वालों की ओर से उनकी पंचायत में घोटाले को लेकर आवाज उठाई गई है. इस बात की शिकायत शेरगढ़ ब्‍लॉक के ब्लॉक विकास अधिकारी (बीडीओ) से भी की गई है. ऐसा नहीं है कि पिपौली एकलौती ग्राम पंचायत है जहां भ्रष्‍टाचार का मामला सामने आया है. ग्राम पंचायत में भ्रष्‍टाचार के मामले अक्‍सर सामने आते रहते हैं.

भारत में 2.51 लाख पंचायतें हैं, जिनमें 2.39 लाख ग्राम पंचायतें हैं. इसमें 6904 ब्लॉक पंचायतें और 589 जिला पंचायतें शामिल हैं. देश में 29 लाख से अधिक पंचायत प्रतिनिधि हैं. यह आंकड़े इस बात को सोचने पर मजबूर करते हैं कि ग्राम पंचायत में हो रहे भ्रष्‍टाचार की खबरों में अगर जरा भी सत्‍यता है तो यह कितना बड़ा घालमेल हो सकता है.

ऐसा ही एक और किस्सा भ्रष्टाचार का छत्तीसगढ़ का है जहाँ सरकारी कामकाज में भ्रष्टाचार उजागर करने वाले युवक को पंचायत ने डिफाल्टर घोषित कर दिया. इसके लिए बकायदा एक प्रस्ताव भी पारित किया गया है. यह मामला बोड़ला जनपद के ग्राम पंचायत कांपा का है. ग्राम पंचायत ने कांपा गांव की है 28 साल के युवक राजराम साहू की गलती सिर्फ यह थी कि वह गांव में हो रहे सरकारी कामकाज में गड़बड़ी की शिकायत जिला प्रशासन से करता था. युवक ने शौचालय निर्माण में गड़बड़ी की शिकायत की, जो जांच में सही पाई गई. उसने मूलभूत की राशि के खर्च में गड़बड़़ी व पशु शेड निर्माण की भी शिकायत की. पंचायत के प्रतिनिधियों को इन शिकायतों से लगा कि इससे उनकी छवि को नुकसान हो रहा है, इसलिए युवक के खिलाफ ही नियम विरूद्ध प्रस्ताव पारित कर दिया गया.

पंचायती राज अधिनियम के तहत ग्राम पंचायत को सिर्फ ग्राम विकास और सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर प्रस्ताव पास करने के अधिकार हैं, न कि किसी व्यक्ति की आलोचना और निंदा का अधिकार. एक तरह से यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की भी अवहेलना है क्योंकि लोकतंत्र में किसी को भी शिकायत करने का अधिकार प्राप्त है और धारा-40 की भी अवहेलना है. ऐसे में पंचायत के प्रतिनिधि बर्खास्त भी किए जा सकते हैं. अधिनियम की धारा 91 के तहत इस मामले को तत्काल निरस्त कर देना चाहिए.
हाल ही 2021 में, पन्ना जिले की कई ग्राम पंचायतों में अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है. इन मामलों में अधिकारियों की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही हैं. कर्मचारियों की बेफिक्री का आलम यह है कि बगैर काम किए ही लाखों रुपए फर्जी तरीके से निकाले जा रहे हैं. यहां तक की कई ग्राम पंचायतों में फर्जी फर्मों के नाम से बिल लगाकर सरकारी राशि का गोलमाल किया गया. अधिकांश मामलों की जानकारी अधिकारियों को होने के बावजूद कोई कार्रवाई न होना भ्रष्टाचार को एक गोरखधंधे का रूप दे रहा है.

ऐसा ही मामला ग्राम पंचायत बखतरी में देखने को मिल रहा है. जहां पर अनपढ़ गरीब-आदिवासी का सरपंच के सीधे साधे होने का फायदा उठाकर वहां पर पदस्थ सचिव द्वारा व्यापक रूप से भ्रष्टाचार किया जा रहा है.
इतना ही नहीं ग्राम पंचायत में बन रहे प्रधानमंत्री आवास योजना में भी जमकर पैसा लेकर योजना का लाभ देने की शिकायतें कई बार की जा चुकी हैं, सचिव ने उस राशि को बिना कार्य कराए ही हजम कर लिया। जिसकी शिकायत ग्राम के निवासी ने कई बार की, लेकिन आज तक दबंग सचिव के ऊपर कोई भी कार्रवाई नहीं हो सकी. उसी प्रकार पुलिया निर्माण में नाममात्र सीमेंट गिट्टी उपयोग कर लाखों रुपये डकार लिए गए. ग्रामीणों ने सचिव पर आरोप लगाते हुए कहा कि साहब कई सालों से जमे सचिव द्वारा ग्राम पंचायत में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है. खखरी बंधन में भी वन विभाग का घटिया पत्थर उपयोग कर खखरी बांधने का कार्य चल रहा है. बख्तरी से म ढिया मार्ग में भी बिना काम कराए राशि का आहरण कर लिया गया.विकास के नाम पर जमकर बंदरबांट किया जा रहा है, जिले के उदयपुरा विकास खंड में विकास के दावे खोखले साबित हो रहे हैं.

केलकच्छ ग्राम पंचायत में विकास के नाम पर जमकर बंदरबांट की गई है और विकास कार्यों के नाम पर लाखों रुपये की राशि निकालकर सरकार को चूना लगाया गया है. ग्राम केलकच्छ में बाजार मोहल्ले की सड़क के ऊपर पानी और कीचड़ के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है. यहां के मोहल्लों में मांग के बाबजूद सड़क नहीं बनाई गई है, यही हालत शौचालय को लेकर भी हैं यहां शौचालय तो बने लेकिन गटर ही नहीं बनाये गए, तो कहीं ढक्कन नहीं लगाए गए हैं जो निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार को उजागर कर रहे हैं. इसी तरह के हालात प्रधानमंत्री आवास योजना के हैं यहां जरूरतमंदों को आवास नहीं मिले हैं लेकिन जिनके पास पक्के मकान पहले से हैं उन्हें इस योजना का लाभ दिया गया है.

”कागजों का पेट भरा है, लेकिन लोगों का नहीं भरा. कागजों में काम हुए हैं, लेकिन जमीन पर काम नहीं हुए. कई रोड, नाली, खड़ंजा तो पेपर में बन गए हैं, असल में कहां हैं हमें पता ही नहीं. सरकारी बाबुओं ने तो जैसे रिश्वत लेने की शपथ ले ली है देश की जनता भी चाय की चुस्की के साथ भ्रष्टाचार पर बस चर्चा करती रहती है.

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