आगर से कांग्रेस पार्टी के विधायक विपिन वानखेड़े ने झोलाछाप डॉक्टरों के समर्थन में कलेक्टर को लिखा पत्र

●झोलाछाप डॉक्टरों को कोरोना मरीजो का उपचार करने की मांगी अनुमति

●विधायक ने जिला कलेक्टर अवधेश शर्मा से झोलाछापों को कोरोना उपचार की ट्रेनिंग दिलाने और दवाइयां उपलब्ध करने की मांग की

आगर-मालवा। जिले में लगातार झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा कोरोना सस्पेक्ट मरीजों का इलाज करने की खबरें प्रकाशित होने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अमले ने अब ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज करने पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया है लेकिन अब आगर विधायक विपिन वानखेड़े झोलाछाप डॉक्टरों का समर्थन करते नजर आ रहे हैं, विधायक वानखेड़े में जिला कलेक्टर अवधेश शर्मा के नाम एक पत्र जारी किया जिसमें उन्होंने लिखा कि झोलाछाप डॉक्टरों को कोरोना से संबंधित इलाज करने की ट्रेनिंग दी जाए और ग्रामीण क्षेत्र में उनके इलाज करने की समय सीमा तय कर उन्हें इलाज करने दिया जाए.

दरअसल, कुछ दिन पूर्व जिले की सुसनेर तहसील के ग्राम धानियाखेड़ी में एक झोलाछाप डॉक्टर द्वारा संतरे के बगीचे में मरीजों को दरी व कार्टून पर लिटाकर ड्रिप चढ़ाई जा रही थी, जिसके बाद प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज करवा दिया था, उसी के कुछ दिनों बाद आगर जिला मुख्यालय पर मालीखेड़ी रोड स्थित एक स्कूल के अंदर एक झोलाछाप डॉक्टर नासिर खान करीब दो दर्जन लोगों का इलाज कर रहा था जो कि कोरोना सस्पेक्ट थे.

विधायक ने पत्र में लिखा कि झोलाछाप डॉक्टरों को प्रतिबंधित करने की जगह उनको कोरोना संक्रमण के इलाज की ट्रेनिंग दी जाना चाहिए. साथ ही कोरोना संक्रमण के उपचार हेतु प्राथमिक दवाइयां भी झोलाछाप डॉक्टरों को उपलब्ध कराना चाहिए. झोलाछाप डॉक्टर के साथ पटवारी, पंचायत सचिव या अन्य सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाना चाहिए एवं सरकारी कर्मचारियों के साथ झोलाछाप डॉक्टरों की गांवों में उपलब्ध होने की समय सीमा सुनिश्चित करनी चाहिए क्योंकि झोलाछाप डॉक्टर पर ग्रामीण जनता का अतिविश्वास है और आप भी जानते हैं कि कोरोना से लड़ने के लिए मरीज में आत्मविश्वास होना अति आवश्यक है, इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि झोलाछाप डॉक्टरों को प्रतिबंधित करने की जगह दिशा-निर्देश एवं ट्रेनिंग देकर उनका उपयोग स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में किया जाए. जितना भय कोरोना से है, उससे ज्यादा भय जनता में झोलाछाप डॉक्टरों के प्रतिबंधित होने से बना हुआ है. ग्रामीण जन उपचार के अभाव में घुटन महसूस कर रहे हैं.

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