किसानों को कांग्रेस का समर्थन, छावनी चौराहे पर किया चक्का-जाम..
आगर-मालवा: जिले के किसान उपार्जन में ढील और बारदान की कमी के चलते इतने अधिक परेशान है की उन्हें अब अधिकारी तक अपनी बात पहुचाने के लिए हाइवे जाम करना पड़ रहा है। कांग्रेस जिला पदाधिकारी द्वारा किसानों का समर्थन करते हुए उनका पक्ष रखा गया। मौके पर एनएसयूआई प्रदेशाध्यक्ष विपिन वानखेड़े, कांग्रेस जिलाध्यक्ष बाबूलाल यादव, पार्षद देवेंद्र वर्मा, एनएसयूआई विधानसभा अध्यक्ष अनमोल वर्मा व बड़ी संख्या में किसान मौजूद थे।
विपिन वानखेड़े द्वारा जब एसडीएम महेन्द्र कवचे से किसानों की समस्या का जल्द निराकरण करने की बात कही, तो एसडीएम के पास कोई शब्द नही थे.
जिसके चलते वानखेड़े ने किसानों की समस्या हल नहीं होने की स्थिति में प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि शासन बारदाने उपलब्ध कराने में समर्थ नहीं है, तो उन्हें चुल्लू भर पानी मे डूब जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि किसानों को सरकार ने काफी ज्यादा परेशान किया है. किसानों की उपज 4 से 5 दिनों में खरीदी जा रही है. वहीं प्रशासन बारदान तक उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है. उन्होंने कहा की बारदान कोई कोरोना की दवाई नहीं है, जिसको बनाने में इतना समय लग रहा है. यदि सरकार के पास बारदान नहीं है, तो हम बारदान लाने का जिम्मा उठाने को तैयार हैं.
जाने क्या है समस्या….
जिला मुख्यालय पर किसानों ने कई तरीको से अपनी समस्या को कई बार प्रशासन तक पहुचाने की कोशिश की। पहले छावनी प्रेस स्तिथ उपार्जन केंद्र के गेट पर ताला लगाया उस वक्त तहसीलदार के आश्वासन के बाद किसान मान गए थे। लेकिन एक उपार्जन केंद्र पर समस्या हो तो बात माने जिले के हर एक उपार्जन केंद्र पर एक ही समस्या जो की बारदान की कमी।
दूसरी बार किसानों ने मंडी के गेट पर ताला लगाया फिर झालरा उपार्जन केंद्र के बाहर हाइवे जाम और इन सभी आंदोलन के बाद भी किसानों की परेशानी का कोई हल नही हुआ। जिसके बाद आज किसानों के सब्र का बांध फुट गया और उनके द्वारा उज्जैन-कोटा मार्ग पर चक्का-जाम कर दिया गया। बता दे कुछ दिन पूर्व ही जिले में झालरा उपार्जन केंद्र पर एक किसान की मौत हो चुकी है उसके बाद भी जिला प्रशासन कोई उचित कदम नही उठा रहा है।
उपार्जन में ढील का एक ही मुख्य कारण सामने आया है वह है बारदान की कमी. अब देखने वाली बात यह है की इतनी कोशिश के बाद भी बारदान की कमी दूर हो पाएगी या किसानो को फिर से आंदोलन के लिए अग्रसर होना पड़ेगा। क्यों कि अभी तक लगभग 4 बार किसान आंदोलन कर चुके है परंतु कोई हल उनकी समस्या का नही निकल पाया है।