कलेक्टर साहब! आपके शाजापुर जिले की सारसी पंचायत के रोजगार सहायक किसी अधिकारी से नही डरते, मनरेगा में खुलेआम जेसीबी चलवाते है…

मोहन बड़ोदिया। मनरेगा एक ऐसा कानून है जिसमें गांव के व्यक्ति को कहीं दूसरी जगह पलायन कर काम करने नहीं जाना पड़े और उसे अपनी पंचायत में ही हर समय पर्याप्त रोजगार उपलब्ध हो सके लेकिन अब इस कानून के अंतर्गत आने वाले कार्यों में ग्रामीणों का भला तो नहीं होता लेकिन रोजगार सहायक और सचिव की जेब जरूर भर जाती है.

शाजापुर जिले की जनपद पंचायत मोहन बड़ोदिया के अंतर्गत आने वाली सारसी पंचायत में मनरेगा के हर कार्यों में जेसीबी और अन्य मशीनरी चीजों का उपयोग होता है. यहां के रोजगार सहायक इतने बहादुर हैं कि वह सस्पेंड होने के बावजूद भी भ्रष्टाचार करने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे. दरअसल, यहां पर रोजगार सहायक भगवान सिंह किसी अधिकारी से नहीं डरते. वह मनरेगा के हर कार्यों में खुलेआम जेसीबी का उपयोग करवाते हैं, चाहे वह सड़क निर्माण हो, पौधारोपण का कार्य हो या फिर तलाई निर्माण कार्य. पहले भी हमने कई दफा इस ग्राम पंचायत में चल रहे भ्रष्टाचार को उजागर करने की कोशिश की लेकिन शाजापुर जिला पंचायत में बैठे उच्च अधिकारी इस पंचायत की ओर ध्यान ही नहीं देना चाहते क्योंकि हो सकता है शायद उन्होंने भी उनकी जेब में थोड़ा बहुत माल रखा हो?

सिर्फ हमने ही नहीं मुख्यधारा मीडिया ने भी इस पंचायत के भ्रष्टाचार की खबरें दिखाई लेकिन ना तो पंचायत सचिव पर कोई कार्यवाही हुई और ना ही रोजगार सहायक पर. यह लोग अभी भी गरीब लोगों के पेट पर लात मारकर अपना पेट भरने में लगे हुए हैं.

हमें जेसीबी से कार्य करवाने वाले वीडियो ग्रामीणों ने ही उपलब्ध करवाए हैं और वह लोग भी चाहते हैं कि उनकी पंचायत को उनके जैसे भ्रष्ट कर्मचारियों से मुक्ति मिले और कोई ईमानदारी से काम करने वाला पंचायत सचिव या रोजगार सहायक ग्राम पंचायत में आए ताकि उनकी पंचायत का भी कोई उद्धार हो सके. ग्रामीण ने हमसे फोन पर चर्चा कर बताया कि उनके गांव में हर तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है, पंचायत सचिव और रोजगार सहायक एक भी दिन आकर पंचायत की तरफ नहीं देखते सिर्फ वह लोग जब उन्हें कोई काम होता है तो ही पंचायत में आते हैं अन्यथा पंचायत की तरफ देखते भी नहीं ग्रामीणों ने अभी बताया कि कोरोनाकाल में भी ना तो हमें मास्क बांटे गए और ना ही हमारे गांव में सैनिटाइजर का छिड़काव कराया गया. वह लोग हमसे प्रश्न कर रहे थे कि आप बताएं अगर सरकार ने सैनिटाइजर और मास्क के लिए पैसे भेजे थे तो फिर वह पैसे कहां गए कहीं पंचायत सचिव और रोजगार सहायक तो नहीं खा गए?

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