मुख्यमंत्री शिवराज को नापसंद करने लगे भाजपा कार्यकर्ता, मुख्यमंत्री पद से हटाने की भाजपा से उठी मांग, BJP की इस नेत्री ने राज्यपाल से की अपील
इंदौर। मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की प्रदेश मंत्री श्रेष्ठा जोशी ने अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री के खिलाफ राज्यपाल महोदय से अपील की है कि वह शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद से हटाकर किसी दूसरे योग्य व श्रेष्ठ व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाएं. श्रेष्ठा जोशी ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान से कोरोना काल में प्रदेश की स्थिति नही संभल रही है.
शुक्रवार दोपहर करीब डेढ़ बजे भाजपा नेत्री ने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा कि- माननीय राज्यपाल जी एमपी के सीएम को बर्खास्त कर नए सीएम की नियुक्ति की जाए. इसके बाद तमाम लोगों ने जोशी की पोस्ट पर कमेंट लिखना शुरू कर दिया. माना जा रहा था कि भाजपा नेत्री थोड़ी देर में पोस्ट को डिलीट कर देगी या अकाउंट हैक होने की शिकायत कर सकती हैं. हालांकि श्रेष्ठा ने अभी तक पोस्ट नहीं हटाया है.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की पूर्व प्रदेश मंत्री श्रेष्ठा ने फेसबुक पोस्ट कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पद से हटाकर कैलाश विजयवर्गीय या विष्णु दत्त शर्मा को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने की मांग की है. श्रेष्ठा वही भाजपा की कार्यकर्ता है, जो करीब 2 साल पहले ग्रामीण क्षेत्र के एक भाजपा के कार्यकर्ता को तू तड़ाक और मां बहन की गालियां देती सुर्खियों में आई थी.
कार्यकर्ता मर गईं, मैं उनकी कोई उचित मदद नहीं कर पाई
भाजपा नेत्री श्रेष्ठा जोशी ने कहा कि मैंने अपनी अंतर आत्मा की आवाज सुनकर यह सच लिखा है. मेरे आसपास के लोग मर रहे हैं. महिला मोर्चा की दो कार्यकर्ता बीते दिनों कोरोना से मर गई. मैं उनकी मदद तक नहीं कर सकी. लोग हमसे उम्मीद करते हैं फोन लगाते हैं. हम न तो आक्सीजन दिलवा पा रहे हैं न उन्हें इंजेक्शन.
शिवराज जी से स्थिति संभल नहीं रही: श्रेष्ठा जोशी
जो सच है वो सच है प्रदेश में यदि शिवराज जी से स्थिति नहीं संभल रही तो संगठन को किसी योग्य व्यक्ति को जिम्मेदारी देना चाहिए, होना तो यह चाहिये कि नैतिकता के नाते उन्हें खुद ही पद छोड़ना चाहिए. मुझसे संगठन के कई लोगों ने पोस्ट हटाने के लिए भी कहा. मैंने पोस्ट डिलीट नहीं की. मुझे पता है कि भविष्य मेें मुझे इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है लेकिन मैं मेरी अंतर आत्मा की आवाज के साथ समझौता नहीं करुंगी.
मेरी निष्ठा संगठन के प्रति है, व्यक्ति विशेष के प्रति नहीं
श्रेष्ठा जोशी ने एक कार्यकर्ता के बारे में बताया कि दोनों भाईयों ने बचपन से संगठन का काम किया. एक बार्डर पर लड़ने चला गया. दूसरा गंभीर माता-पिता को संभाल रहा था. उनके पिता शांत हो गए, जबकि भाई और मां की हालत गंभीर है. बाॅर्डर से उसका भाई आकर सेवा कर रहा है. उनके लिए मैंने कई कॉल किए, लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली. सुबह 9 बजे से रात 12 बजे तक मदद के लिए कॉल ही लगाती रहती हूं. मेरी निष्ठा संगठन के प्रति है, व्यक्ति विशेष के प्रति नहीं. मुझे तो लगा मैंने कर दिया. कोरोना कोई अचानक नहीं आया है कि हम स्थिति नहीं संभाल पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम जनता को इतनी पाबंदी में रख रहे हैं तो हमें भी रहना चाहिए. अनुशासन सबके लिए अलग-अलग नहीं होता, उसकी परिभाषा एक ही होती है. नियम सबके लिए एक होना चाहिए.