आखिर सुलेमान के काले कारनामों पर क्यों पर्दा डाल रही है शिवराज सरकार?
कोविड से प्रदेश में त्राहिमाम मचवाने वाले मो. सुलेमान मुख्य सचिव की कुर्सी का देख रहे है ख्वाब ?
प्रदेश की जनता को परेशान करके लाशों पर ठहाके लगा रहे है मो. सुलेमान
लेखिका “विजया पाठक” भोपाल से प्रकाशित होने वाली जगत विजन मैगज़ीन की संपादक है….
सरकार के चहेते और करीबी अफसरों में शामिल स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मो. सुलेमान के काले कारनामों पर पर्दा डालने की कोशिश लगातार सरकार द्वारा की जा रही है. दरअसल, भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय के अवर सचिव केसी राजू ने दिनांक 12 जनवरी 2021 को मध्य प्रदेश के प्रमुख सचिव को चिट्ठी क्र. File No.104/52/2021-AVD-IA लिखी, जिसमें मध्य प्रदेश-1989 कैडर के आईएएस अधिकारी मोहम्मद सुलेमान अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा विभाग मध्यप्रदेश शासन मे रहते हुए करोना काल मे किए गए भ्रष्टाचार को लेकर मुख्य सचिव को जांच करने के आदेश दिए हैं.
बड़ी विडंबना है कि सरकार द्वारा ऐसे अधिकारी को हटाने की जगह इसको और बढ़ावा दिया गया. प्रदेश में हो रही मौतों पर मोहम्मद सुलेमान प्रेस वार्ता में मुस्कुराते हुए पाये गए. प्रधानमंत्री कार्यालय से सुलेमान पर लगे आर्थिक अनियमितता के आरोपों की जांच करने के बजाय प्रदेश सरकार लगातार उन्हें संरक्षण दे रही है. यह पहला मौका नहीं है जब मो. सुलेमान पर आर्थिक अनियमितताओं के आरोप लगाए गए हो. इससे पहले भी उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव रहते हुए उन्होंने कई नामी कंपनियों को सस्ते में जमीन उपलब्ध कराने संबंधी नियमों में फेरबदल किए है. बावजूद उसके सरकार ने तो इस संबंध में जांच करना भी उचित नहीं समझा. इससे पहले भी जब यह लोक निर्माण विभाग में थे तब प्रदेश की प्रसिद्ध बिल्डकॉन कंपनी पर एमपीआरडीसी द्वारा करोड़ों का आर्थिक दंड लगाया गया मोहम्मद सुलेमान ने आनन-फानन में वहां के मुख्य अभियंता की छुट्टी करवा दी.
शिवराज सरकार ने जब से उन्हें स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा सौंपा है, तब से सुलेमान लगातार वित्तीय अनियमितता करते आ रहे है. उनके काले कारनामों का चिट्ठा बालाघाट के पूर्व विधायक किशोर समरीते ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेज दिया है और मोदी के इशारे पर पीएमओ ने इस पूरे मामले की जांच के आदेश मप्र सरकार को दो महीनें पहले दिए थे, लेकिन प्रदेश सरकार के लापरवाह अफसरों ने अभी तक इस दिशा में कोई भी जरूरी कदम नहीं उठाए. समरीते ने अपने शिकायती पत्र में लिखा है कि सुलेमान ने एनआरएचएम और कोरोना काल में मेडिकल कॉलेज व अस्पतालों में इलाज के नाम पर बड़ी आर्थिक अनियमितिता की है. भोपाल के एक निजी अस्पताल की क्षमता 650 बेड की है, लेकिन 850 बेड के हिसाब से भुगतान कोरोना इलाज के नाम पर किया गया.
एनआरएचएम में बालाघाट, मंडला, डिंडौरी, सिवनी, छिंदवाड़ा, शहडोल, अनूपपुर, और उमरिया के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को र्फजी खरीदी का भुगतान किया गया. देखा जाए तो मो. सुलेमान शिवराज सरकार के 14 साल के कार्यकाल के दौरान कई प्रमुख विभागों में रहे है और अब उनकी नजर मुख्य सचिव की कुर्सी पर है. दो दिन पूर्व सरकार द्वारा रखी गई प्रेस कांफ्रेंस में जब पत्रकारों ने सुलेमान से प्रदेश में ऑक्सीजन और रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कमी से जुड़ा सवाल पूछा तो उन्होंने हंस कर टाल दिया. यह प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के संवेदनशील अधिकारी का जवाब था.
एक तरफ प्रदेश में आए दिन कोरोना से जहां हजारों लोगों की मौतें हो रही है लोग अस्पतालों में इलाज के लिए दर-बदर भटक रहे है ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के यह जिम्मेदार अफसर लाशों के ढेर पर बैठकर ठहाके लगा रहे थे. यह प्रदेश की जनता का दुर्भाग्य नहीं तो क्या है कि सरकार ने इतने प्रमुख विभाग की जिम्मेदारी एक लापरवाह और असंवेदनशील व्यक्ति के हाथ में दे रखी है जिसे लोगों के स्वास्थ्य की चिंता ही नहीं. मुख्यमंत्री से गुजारिश है कि ऐसे लापरवाह व्यक्ति को तत्काल प्रभाव से स्वास्थ्य विभाग से हटाकर इनके काले कारनामों का पर्दाफाश करने के लिए सीबीआई जांच कराई जाए, ताकि यह सबक हो हर उस अफसर के लिए जो जनता के आंसुओं की कीमत और अपनों के खोने के गम को नहीं समझता. क्रमश…
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