दलित-आदिवासी अधिकारियों को बेवजह निलंबित करने के सम्बंध में उज्जैन कमिश्नर से मिले सुनिल अस्तेय, उज्जैन आई.जी को दिया 7 दिन का अल्टीमेटम
उज्जैन
●पीड़ित अधिकारियों-कर्मचारियों की आवाज बन रही है भीम आर्मी.
●दलित,आदिवासी अधिकारियों को बेवजह किया जा रहा निलंबित.
●भीम आर्मी ने उज्जैन कमिश्नर को दिया सात दिन का अल्टीमेटम.
● उज्जैन आईजी से नीमच मामले को लेकर भेंट, एडीएम पर एफ.आई.आर व तहसीलदार को जल्द किया जाए गिरफ्तार
सुनिल अस्तेय
दलित युवक को भाजपा नेत्री श्रेष्ट जोशी द्वारा गाली-गलौज मामले में अभी तक गिरफ़्तार नही हुई, 48 घण्टे में सुनवाई नही हुई तो पीड़ित ने युवक ने आत्मदाह करने को कहा है।
दलित भाजपा नेता लखन सिंह चौहान
भाजपा सरकार में अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़ा वर्ग के बहुजन अधिकारियों को प्रताड़ित किया जा रहा है। बहुजन वर्ग के अधिकारियों द्वारा सही कार्य करने के बाद भी उन्हें बेवजह निलंबित रख कर निरंतर प्रताड़ित किया जा रहा है। भीम आर्मी ऐसे अधिकारी-कर्मचारियों की सुध लेने के लिए कटिबद्ध है। दलित,आदिवासी अधिकारी-कर्मचारी है तो क्या आप सस्पैंड कर देंगे, भीम आर्मी प्रदेश के ऐसे अधिकारी कर्मचारियों को न्याय दिलाने के लिए तत्पर है और ईमानदार अधिकारियों को न्याय दिलाने के लिए हम उनकी आवाज बनेंगे।
यह जानकारी देते हुए भीम आर्मी के प्रदेश प्रभारी सुनिल अस्तेय ने कहा कि प्रदेश के बहुजन वर्ग के अधिकारी-कर्मचारियों के साथ बेवजह निरंतर अन्याय हो रहा है पर उन्हे डरने की आवश्यकता नहीं है, भीम आर्मी ऐसे कर्मचारियों के साथ कंधे से कंधा मिला कर तैयार खड़ी है। भीम आर्मी प्रदेश प्रभारी सुनिल अस्तेय ने मंगलवार को पुलिस महानिरीक्षक राकेश गुप्ता से बहुजन समाज के नागरिकों पर हो रहे अत्याचार के मामलों के शीघ्र निराकरण को लेकर चर्चा की। इस अवसर पर अस्तेय के साथ शिष्ट मंडल में भीम आर्मी के प्रदेश उपाध्यक्ष दुलेसिंह और जिला उज्जैन के जिलाध्यक्ष रवि गुजराती भी उपस्थित थे।
सुनिल अस्तेय ने आईजी से कहा कि नीमच जिले की रामपुरा तहसील में अनुसूचित जनजाति के कर्मचारी जगदीश मुवैल के साथ मारपीट सवर्ण समाज के तहसीलदार मनीष जैन द्वारा 14 मई 2019 को की जाती है। पुलिस द्वारा पीड़ित जगदीश की रिपोर्ट नहीं लिखी जाती है। तब पीड़ित द्वारा परिवाद दायर किया जाता है। अजा-अजजा विशेष न्यायालय द्वारा पुलिस को आदेश दिए जाने के बाद पुलिस द्वारा 19 अगस्त 2019 को रिपोर्ट लिखी जाती है। घटना घटित होने के 404 दिन बाद भी पुलिस द्वारा सवर्ण तहसीलदार की गिरफ्तारी नहीं की गई है।
पुलिस द्वारा बहाना बनाया जा रहा है कि आरोपी को तामिली नहीं हो पा रही है जबकि अभियुक्त तहसीलदार 1 साल से निरंतर राजस्व न्यायालय में न्यायालयीन आदेश जारी कर रहा है और हर माह मोटी तनख्वाह, शासकीय वाहन सहित सारी सुविधाएं और सारे भत्ते ले रहा है, हद तो तब हो जाती है जब कलेक्टर कार्यालय को लिखित सूचना दिए जाने के बाद भी नीमच जिले के ए.डी.एम विनय कुमार धोका-एट्रोसिटी के आरोपी को भिंड जिले के लिए भारमुक्त करके फरार करने में मदद करते हैं। सुनिल अस्तेय ने कहा कि ए.डी.एम विनय कुमार धोका पर आईपीसी की धारा 120 बी और एट्रोसिटी एक्ट की धारा 3 (2) (6), 3 (2) (7) , 8 में कार्यवाही की जाए। इस पर पुलिस महानिरीक्षक राकेश गुप्ता ने पुलिस अधीक्षक नीमच को तत्काल फोन पर चर्चा कर अभियुक्त की शीघ्र गिरफतारी करने को कहा तथा इस मामले में टीआई द्वारा ढील क्यों बरती गई इसका लिखित कारण भी भिजवाने को कहा।
इसके पश्चात सुनिल अस्तेय ने शिष्ट मंडल के साथ उज्जैन संभागायुक्त आनंद शर्मा से संभाग में कानून और व्यवस्था की बेहतर स्थिति हेतु चर्चा की। अस्तेय ने कहा कि नीमच-मंदसौर स्थित गांधीसागर बांध में वर्ष 2019 के बाढ़ प्रभावितों को आज तक मुआवजा नहीं मिला हैं, वही बाढ़ राहत में घोटाला करने वाले सवर्ण अधिकारी को दंडित नहीं किया गया है। पूर्व कलेक्टर अजय गंगवार को 3 मार्च 2020 को मनासा अनुभाग के एस.डी.एम शोभाराम सोलंकी द्वारा यह प्रतिवेदित किया गया था कि तत्कालीन तहसीलदार रामपुरा सुधाकर तिवारी द्वारा रामपुरा गांव में 17 परिवार के सदस्यों को एक से अधिक बार राहत राशि का वितरण कर दिया। यह केवल एक ही गांव की जांच में सामने आया है, जबकि राहत राशि मंदसौर और नीमच 2 जिलों के 500 गांवों में वितरित की गई है। इस प्रकार यदि नगर पालिका अधिनियम अंतर्गत जांच की जाए तो गड़बड़ी और भ्रष्टाचार का यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। कोरोना की आड़ में जांच नहीं की जा रही है, न ही गांधीसागर बांध की बाढ़ से प्रभावित पीड़ित पात्र बहुजन को राहत राशि मिल पाई है। गरीब अजा-अजजा और पिछड़ा वर्ग के ग्रामीण आज भी मुआवजा राशि के लिए तरस रहे है।
भाजपा इन मुददों को लेकर सत्ता में आई थी, पर सत्ता में आते ही मुददे भूल गई। नीमच जिले के पूर्व कलेक्टर अजय गंगवार ने स्वयं को बाढ़ राहत वितरण में गड़बडी के मामलों से बचाने हेतु जनहित और सत्य का पक्ष लेने वाले अजा वर्ग के नायब तहसीलदार अरूण चन्द्रवंशी के विरूद्ध दुर्भावना पूर्वक प्रतिवेदन भेज कर निलंबित कराया था जबकि अनियमितता करने वाले सवर्ण जाति के अधिकारी सुधाकर तिवारी को निलंबित करने का प्रतिवेदन नहीं भेजा।
सुनिल अस्तेय ने कहा कि भीम आर्मी यह मांग करती है कि अजा वर्ग के निर्दोष नायब तहसीलदार अरूण चन्द्रवंशी को 7 दिवस में बहाल किया जाए अन्यथा भीम आर्मी संभागायुक्त कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन कर आंदोलन करेगी, जिसकी संपूर्ण जवाबदारी संभागायुक्त की होगी।
प्रदेश भर में हालात बद से बदतर, भ्रष्टाचार चरम पर
अस्तेय ने चर्चा में बताया कि प्रदेश के कर्मचारियों को अन्य राज्यों जैसे हरियाणा, पंजाब, राजस्थान से कम पे ग्रेड से वेतन दिया जा रहा है, आवश्यक सुविधाएं भी नहीं दी जा रही है।
हालात इतने बदतर है कि कमलनाथ के गृह जिले छिंदवाड़ा में पदस्थ रहे पूर्व कलेक्टर निवास शर्मा ने अवैध नियुक्तियां करने को लेकर सहायक अधीक्षक भू अभिलेख पर इतना दबाव डाला कि भ्रष्टाचार से तंग आकर सहायक अधीक्षक भू अभिलेख ने आत्म हत्या कर ली। इसी प्रकार लिपिक, पुलिस कर्मचारी, नायब तहसीलदार जैसे अधिकारी कर्मचारी आत्महत्या तक कर रहे हैं, यह स्थिति बहुत ही चिंताजनक है। अस्तेय ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में एक ओर तो अधिकारी द्रांसफर उद्योग से परेशान थे, वही कई ऐसे अधिकारी कर्मचारी है जो कांग्रेस के कार्यकाल में राष्द्रहित में कार्य करने पर निलंबित किए गए थे, वे आज भी निलंबित है।
प्रदेश की भाजपा सरकार ऐसे अधिकारियों की सुध नहीं ले रही है। प्रदेश में कांग्रेस के समय में संभागायुक्त जैसे उच्च पदों पर बैठाए गए अधिकारी भाजपा सरकार बनने के बाद भी वहीं जमे हुए है। भ्रष्टाचार का आलम यह है कि नीमच जिले के एडीएम, जिनका रीडर रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों लोकायुक्त में पकड़ाया, उसका आज तारीख तक चालान पेश नहीं हुआ, क्योंकि लोकायुक्त में भी सवर्ण अधिकारी बैठे है। सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारी सरकार को धूल झोंक कर कार्य कर रहे हैं, 4 साल में 2 बार सरकार बदल गई पर नीमच जिले के ए.डी.एम विनय कुमार धोका वहीं पर पदस्थ है।