महामारी में मुसीबत की दस्तक: ब्लैक के बाद अब वाइट फंगस की हुई एंट्री, ब्लैक से ज्यादा खतरनाक है वाइट फंगस

एक और देश कोरोना महामारी से मुक्त नही हो पा रहा है तो वही इसी के बीच ब्लैक फंगस के बाद अब देश में वाइट फंगस की दस्तक से मुश्किलें बढ़ गई हैं. BHU के INSTITUTE OF MEDICAL SCIENCE के न्यूरोलॉजी विभाग के डॉ. विजयनाथ मिश्रा ने बताया कि वाइट फंगस को चिकित्सकीय भाषा में कैंडिडा कहते हैं. ये फंगस लंग्स के साथ रक्त में घुसने की क्षमता रखता है. रक्त में जब यह फंग्स पहुंच जाता है तो इसे कैंडिडिमिया कहते हैं.

वाइट फंगस इसलिए ज्यादा खतरनाक है क्योंकि यह शरीर के हर एक अंग को प्रभावित करता है. अगर यह लंग्स तक पहुंचे, तो लंग बॉल कहते हैं. सीटी स्कैन जांच में फेफड़ों के भीतर यह गोल-गोल आकार में दिखाई देता है.

कोरोना में सबसे ज्यादा नुकसान फेफड़ों को हो रहा है. वाइट फंगस भी फेफड़ों पर अटैक करता है. अगर कोरोना मरीजों में इस फंग्स की पुष्टि हुई, तो जान जाने का खतरा बढ़ सकता है.

शरीर के हर अंग पर करता है असर

डॉ. मिश्रा ने बताते है कि यह फंगस स्किन, नाखून, मुंह के भीतरी हिस्से, आमाशय, किडनी, आंत व गुप्तागों के साथ मस्तिष्क को भी अपनी चपेट में ले सकता है और इससे मरीज की मौत शरीर के अंग फेल होने से हो सकती है. जो ऑक्सीजन या बॉटलेटर पर हैं, उनके उपकरण जीवाणु मुक्त होने चाहिए जो भी ऑक्सीजन लंग्स में जाए वह फंगस से मुक्त होनी चाहिए.

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कोरोना रिपोर्ट निगेटिव क्यों?

पटना में वाइट फंगस के दो मरीज कोरोना निगेटिव भी है. डॉ . मिश्रा बताते हैं की संभव है की उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो. इससे वायरस ने नाक में प्रसार नहीं किया और भीतर चला गया. जब स्वैब से सैंपल लिया तो उसमें वायरस नहीं मिला. इस तरह के मामलों में सीटी स्कैन के जरिए ही असल संक्रमण की पुष्टि होती है.

वाइट फंग्स के लक्षण

●संक्रमण अगर गुठने तक पहुंच गया तो आर्थराइटिस जैसी तकलीफ महसूस होगी, चलने-फिरने में दिक्कत होना संभव है.

●अगर फंग्स दिमाग तक पहुंचा तो सोचने विचारने की क्षमता पर असर होगा, सिर में दर्द या अचानक दौरा आने लगेगा.

●त्वचा पर छोटा और दर्द रहित गोल फोड़ा हो जाएगा, जो संक्रमण की चपेट में आने के एक से दो सप्ताह में हो सकता है.

●वाइट फंगस लंग्स में पहुंच गया तो खांसी, सांस में दिक्कत, सीने में दर्द और बुखार भी हो सकता है.

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