आगर जिले में उपचुनाव को लेकर लगी आचार संहिता का नही हो रहा पालन, कई शासकीय कार्यालयों में अब भी खुले पड़े शिलान्यास के शिलालेख
आगर-मालवा। मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है ऐसे में सभी 28 विधानसभा सीटों पर आचार संहिता लागू हो गई है. इंदौर, ग्वालियर, मुरैना, सागर, खंडवा,बुरहानपुर और देवास जिले ऐसे हैं, जहां नगर निगम भी है. यहां सिर्फ सम्बंधित विधानसभा क्षेत्र में ही आदर्श आचार संहिता का प्रभाव रहेगा। वहीं, रायसेन, अनूपपुर, मंदसौर, धार, राजगढ़, अशोकनगर, गुना, शिवपुरी, दतिया, छतरपुर, भिंड और आगर-मालवा जिले में नगर निगम नहीं हैं. यहां पूरे जिले में आदर्श आचर संहिता लागू रहेगी. लेकिन आगर जिले में खुलेआम निर्वाचन आयोग द्वारा बनाये गए आचार संहिता के नियमों का जमकर मजाक बनाया जा रहा है.
आगर जिला मुख्यालय पर कई शासकीय भवनों में शिलालेख को जिम्मेदारों द्वारा अब तक नही ढंका गया. कुछ इसी तरह का नजारा आगर जिला चिकित्सालय में दिखाई दिया. यहां पर नवीन जिला चिकित्सालय के शुभारंभ के समय लागये गए शिलालेख कल ढ़कने की कार्यवाही अब तक नही हुई है जबकि आचार संहिता लगे हुए आज लगभग 7 दिन से ज्यादा गए है. जिला चिकित्सालय में लगे इस शिलालेख पर कांग्रेस और भाजपा के कई जनप्रतिनिधियों के नाम उल्लेखित है. ऐसे में यहां आचार संहिता का उल्लंघन होता हुआ साफ दिखाई दे रहा है.
जाने क्या है आचार संहिता..
इसके अलावा राजनीतिक दलों, उनके प्रत्याशियों और समर्थकों को रैली, जुलूस या अन्य चुनावी कार्यक्रमों के आयोजन के लिए संबंधित क्षेत्र की पुलिस या प्रशासन से पूर्व अनुमति लेनी होती है. आचार संहिता के नियमों के अनुसार इन सार्वजनिक कार्यक्रमों में कोई भी राजनीतिक दल जाति या धर्म के आधार पर वोट नहीं मांग सकता. कोई राजनीतिक दल या प्रत्याशी ऐसी बात या काम नहीं कर सकता जिससे धर्म, जाति, भाषा या अन्य प्रकार से समुदायों के बीच नफरत फैलती हो. चुनाव आयोग के मुताबिक दलों को चुनाव की लड़ाई अपने बीच रखनी चाहिए और इसे व्यक्तिगत होने से भी रोकना चाहिए.
इन सभी नियमों के उल्लंघन पर चुनाव आयोग संबंधित दल पर दंडात्मक कार्रवाई कर सकता है. इनमें प्रत्याशी का नामांकन खारिज करने से लेकर आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने जैसे कदम तक शामिल हैं. नियमों के मुताबिक दोषी पाए जाने पर प्रत्याशी को जेल तक हो सकती है.
आचार संहिता का पालन केवल राजनीतिक दल नहीं करते, बल्कि मतदाताओं को भी इसका पालन करना होता है. नियमों के मुताबिक मतदान के दिन उन्हें समय पर मतदान केंद्र पहुंच जाना चाहिए. वोटर स्लिप के अलावा वोटर आईडी कार्ड या कोई अन्य सरकारी पहचान पत्र साथ में रखना चाहिए. आचार संहिता के तहत यह उम्मीद की जाती है कि नागरिक खुद तो वोट करें ही, साथ ही अन्य नागरिकों को भी मतदान के लिए जागरूक करें.
इसके अलावा मतदान को लेकर भी कई नियम हैं. जैसे वोटिंग से 24 घंटे पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए पैसे, शराब या अन्य चीज़ों का प्रलोभन प्रत्याशी द्वारा न दिया जाए. वोटिंग के दिन मतदान केंद्र के पास राजनीतिक दल अपने कैंप लगाते हैं. नियमों के मुताबिक इन कैंपों के पास भीड़ इकट्ठी नहीं हो सकती.
आचार संहिता के दायरे में अब सोशल मीडिया भी है. इस बार के उपचुनाव चुनाव में प्रत्याशियों को नामांकन भरते समय अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स की जानकारी देनी होगी. बताया जा रहा है कि वे चुनाव प्रचार थमने के बाद मतदाताओं को फोन, एसएमएस या वॉट्सएप के जरिए अपने पक्ष में वोट करने को नहीं कह सकते.


 
                                         
                                         
                                         
                                