आगर के लॉ कॉलेज के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने नही किया पदों का सृजन, नतीजा यह कि 18 माह बाद भी नही मिल पाई बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता, दाव पर लगा 240 विद्यार्थियों का भविष्य

विजय बागड़ी, आगर-मालवा। उद्योग की बात हो या फिर शिक्षा की आगर जिले के साथ हमेशा ही सरकार ने छलावा किया है। पहले विधि संकाय में रुचि रखने वाले बच्चों को इंदौर या उज्जैन का सफर तय करना पड़ता था लेकिन वर्ष 2020 में आगर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में अपना पक्ष मजबूत करने के लिए भाजपा ने 8 सालों से बन्द पड़े विधि महाविद्यालय को फिर से नेहरू महाविद्यालय के पुराने भवन में शुरू कर दिया, इससे पहले कार्यक्रम आयोजित किया गया था और उच्च शिक्षा मंत्री ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया की मान्यता के बगैर ही इस विधि महाविद्यालय की शुरुआत कर दी परन्तु उम्मीद थी कि जल्द ही मान्यता मिल जाएगी लेकिन यह भी मात्र एक छलावा साबित हुआ। चुनाव खत्म हुआ यहां भाजपा की हार हुई लेकिन उसके बाद उच्च शिक्षा मंत्री ने दोबारा कभी इस विधि महाविद्यालय की तरफ आँख उठा कर नही देखा और अब यही विधि महाविद्यालय अपनी बदहाल स्थिति पर आंसू बहा रहा है क्योंकि अब 18 महीने बाद भी बार काउंसिल ऑफ इंडिया से आगर के विधि महाविद्यालय को मान्यता प्राप्त नहीं हुई है।

इसके लिए यहां की प्रभारी प्राचार्य लगातार प्रयास कर रही है लेकिन फिर भी अभी तक उन्हें सफलता प्राप्त नहीं हुई है, वही उच्च शिक्षा विभाग की तरफ से यहां पदों का सृजन भी नहीं हुआ है और जब तक पदों का सृजन उच्च शिक्षा विभाग की तरफ से नहीं होगा तब तक बार काउंसिल ऑफ इंडिया की तरफ से मान्यता मिलना नामुमकिन है, इससे तो आप समझ ही गए होंगे कि जो भी समस्या आ रही है वह पदों के सृजन के कारण आ रही है और पदों का सृजन करना उच्च शिक्षा विभाग के हाथों में है। वर्तमान में 240 बच्चे इस विधि महाविद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं लेकिन अगर मान्यता इस विधि महाविद्यालय को नहीं मिलती है तो इन सभी 240 बच्चों का भविष्य और इनका अनमोल समय खराब हो जाएगा।

यहां एक भी परमानेंट शिक्षक की नियुक्ति इन 18 महीनों के दौरान नहीं हुई है और ना ही विधि महाविद्यालय को अभी तक प्राचार्य मिला है। यहां डिप्लॉयमेंट पर 2 माह के लिए दो गेस्ट फैकल्टी आती है और फिर अगले 2 माह के लिए दूसरे लोग यहां पढ़ाने आते हैं, इस कारण बच्चों को भी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और समय पर कक्षाएं भी यहां संचालित नहीं हो रही है। हर रोज इक्का-दुक्का बच्चे ही विधि महाविद्यालय परिसर में नजर आते हैं और वह भी ऑफिशियल वर्क से ही आते हैं लेकिन कक्षाएं लगती हुई बहुत कम बार ही दिखाई देती है। 18 माह पहले नेहरू महाविद्यालय के लोकार्पण के दौरान मध्यप्रदेश शासन के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने मंच से संबोधित करते हुए कहा था कि आगर का विधि महाविद्यालय बाबा बैजनाथ के परम भक्त जय नारायण बापजी के नाम से जाना जाएगा लेकिन अब तक ना तो कॉलेज को मान्यता मिली, ना फैकल्टी मिली और ना ही कॉलेज का नामकरण हुआ और पूरे मध्यप्रदेश में जितने भी शासकीय विधि महाविद्यालय है उनमें से सबसे ज्यादा फीस भी छात्रों से यही वसूली जा रही है। हर जगह लगभग 1900 से 2000 रुपये फीस लगती है लेकिन यहां 7280 रुपये से लेकर 8000 रुपये तक फीस ली जा रही है।

~2012 में हुआ था बन्द

वर्ष 2012 तक विधि की पढ़ाई आगर के नेहरू महाविद्यालय में कराई जाती थी लेकिन विधि की पढ़ाई कराने की मान्यता रद्द होने के बाद नेहरू महाविद्यालय नई बिल्डिंग में शिफ्ट हो गया और पुराने कॉलेज भवन का उपयोग कलेक्ट्रेट कार्यालय के रूप में वर्ष 2013 में किया जाने लगा क्योंकि कलेक्टर कार्यालय सहित जिले के कई कार्यालय संयुक्त कलेक्टर भवन में शिफ्ट हो गए ऐसे में विधि महाविद्यालय की शुरुआत एक बार फिर से उसी पुराने कॉलेज भवन में की गई जहां बरसों तक विधि की पढ़ाई कराई गई। सबसे पहले आगर-मालवा में विधि कॉलेज की शुरुआत वर्ष 1966 से हुई थी। उस समय काॅलेज प्राइवेट हुआ करता था। 46 साल तक नेहरू काॅलेज में एलएलबी की पढ़ाई होती रही। वरिष्ठ अधिवक्ता स्व. गोविंद सिंह कानूनगो, स्व. नारायण दास बाहेती, बंशीधर खंडेलवाल व अन्य व्याख्याता लंबे समय तक छात्रों को पढ़ाई कराते रहे। इन तीनों अभिभाषकों के पढ़ाए छात्र आगर, सुसनेर, नलखेडा, सोयत के अलावा इंदौर, उज्जैन, भोपाल सहित प्रदेश व देश के कई शहरों में वकालात कर रहे हैं तो कुछ जिला न्यायाधीश तक के पद पर पहुंचे, वही कई छात्र शासकीय अधिवक्ता तो कुछ एजीपी तक नियुक्त हुए।

हमारे द्वारा उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव व सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी से चर्चा की गई है, प्रयास निरंतर जारी है और हमें उम्मीद है कि जल्द ही आगर के विधि महाविद्यालय को बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता मिल जाएगी और जयनारायण बापजी के नाम से इसका नामकरण भी जल्द किया जाएगा।- मनीष सोलंकी (सांसद प्रतिनिधि, नेहरू महाविद्यालय, आगर)

“विधि महाविद्यालय के रूप में छात्रों के साथ एक बहुत बड़ी ठगी हुई है, उनका भविष्य दाव पर लगा हुआ है। अब तक मान्यता नही मिली है, फैकल्टी की भी नियुक्ति यहां नही हुई है, हमने छात्रों के साथ मिलकर उनकी मांगों को लेकर कई बार ज्ञापन दिया है लेकिन इसका उच्च शिक्षा विभाग पर कोई असर ही नही दिखाई दे रहा है। – अंकुश भटनागर (राष्ट्रीय सचिव, एनएसयूआई)

” मेरे द्वारा उच्च शिक्षा विभाग को पदों के सृजन को लेकर पत्र लिखा गया है। यहां एक प्राचार्य के साथ ही 6 फैकल्टी की आवश्यकता है अगर जल्द ही पदों का सृजन हो जाता है तो बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता मिलने में काफी आसानी होगी। – डॉ रेखा गुप्ता (प्रभारी प्राचार्य, विधि महाविद्यालय आगर)

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