400 समर्थकों के साथ भाजपा के पूर्व मंत्री केएल अग्रवाल कांग्रेस में शामिल, कमलनाथ ने दिलाई सदस्यता.
आगामी विधानसभा उपचुनाव से पहले मध्यप्रदेश में दलबदल का दौर जारी है. आज भाजपा के पूर्व मंत्री ने अपने 400 समर्थकों के साथ कांग्रेस ज्वाइन की है. उन्होंने कांग्रेस में आने के पीछे की वजह उन विधायकों को बताया जो कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी में चले गए. पूर्व सीएम कमलनाथ ने उन्हें कांग्रेस की सदस्यता दिलाई. पढ़िए पूरी खबर…
भोपाल। मध्यप्रदेश में 26 सीटों पर होने वाले विधानसभा उप चुनाव के पहले चल रहे दलबदल के दौर में आज कांग्रेस ने बीजेपी को करारा झटका दिया है. ग्वालियर-चंबल और खासकर शिवपुरी के कद्दावर भाजपा नेता और पूर्व मंत्री के एल अग्रवाल ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया. इस अवसर पर के एल अग्रवाल ने कहा कि वो कांग्रेस में नहीं आना चाहते थे, लेकिन जब 15 महीने की कमलनाथ सरकार का कार्यकाल देखा और बिकाऊ लोगों की हरकत देखी, तो उनको सबक सिखाने के लिए वे कांग्रेस में शामिल हुए.
पूर्व मंत्री केएल अग्रवाल ने कहा कि मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने पिछले 15 महीने में गुना को बर्बाद कर दिया है. प्रशासन के लोगों के साथ मिलकर कॉलोनाइजरों को ठेकेदारों को नोटिस दिए जा रहे हैं और उनसे पैसे लेकर समझौता किया जा रहा है.
केएल अग्रवाल ने कहा कि मैं कमलनाथ को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि मुझे टिकट मिले या ना मिले, मेरा लक्ष्य तन-मन धन से गुना शिवपुरी बमोरी में संजू सिसोदिया को हराना और कमलनाथ को एक बार फिर मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाना है.
पूर्व सीएम कमलनाथ ने कहा कि केएल अग्रवाल से परिचित नहीं था, लेकिन जब उनसे मुलाकात हुई और मैंने पूछा कि आपका लक्ष्य क्या है तो उन्होंने कहा कि बिकाऊ लोगों को वह घर बिठाना चाहते हैं. कमलनाथ ने कहा कि यह चुनाव मध्यप्रदेश के भविष्य और मध्य प्रदेश की छवि तय करने वाला होगा.
कमलनाथ ने कहा कि केएल अग्रवाल इसलिए भी आए हैं कि क्योंकि उन्होंने सच्चाई का साथ दिया है, हमारे संविधान में उपचुनाव का प्रावधान है, लेकिन यह प्रावधान इसलिए किया गया है कि जब किसी विधायक या सांसद का निधन हो जाए, लेकिन पहली बार ऐसा हो रहा है कि कोई चुनाव सौदेबाजी के कारण हो रहा है.
पहली बार ऐसे हालात बने हैं कि बिकाऊ लोगों के कारण उपचुनाव की स्थिति बनी है. उन्होंने कहा कि यह क्या मध्यप्रदेश के लिए शोभा देता है. उन्होंने जनता से कहा कि इसे मध्य प्रदेश की राजनीति और भविष्य का चुनाव मानिएगा.