आखिर कब सुधरेंगे ‘मेरे’ हालात?
रत्नसागर तालाब की कोई सुध लेने को तैयार नही है और न किसी सामाजिक संघटन ने श्रमदान कर तालाब को सवारने का प्रयास किया
अपने हालात पर आंसू बहा रहा रातोड़िया तालाब
आगर-मालवा: शहर के बीचों-बीच स्तिथ रातोड़िया तालाब अपने हालातों पर आंसू बहा रहा है। कई समाजसेवी, अधिकारी-कर्मचारी द्वारा जल स्त्रोतों को सहेजने का कार्य किया जाता है लेकिन जिन जलस्त्रोतों में पूरे साल पानी भरा रहता है उनकी कोई पूछ-परख करने को तैयार नही है।
रत्नसागर(रातोड़िया तालाब) शहर के मध्य में स्तिथ है और शहर के मुख्य भाग छावनी क्षेत्र में रातोड़िया की वजह से ग्राउंड वाटर फूल रहता है जिससे ट्यूबवेल व कुँए में पानी नही सूखता लेकिन रत्नसागर तालाब की कोई सुध लेने को तैयार नही है और न किसी सामाजिक संघटन ने श्रमदान कर तालाब को सवारने का प्रयास किया।
दर्दनीय हालात में पड़े रातोड़िया का जीर्णोद्धार कब होगा यह तो समय के गर्भ में ही छिपा हुआ है। हालांकि गर्मी के दिनों में यह रहवासियों ओर राहगीरों के लिए मुसीबत का सबब बनता नजर आ रहा है और इससे उठने वाली असहनीय दुर्गंध से जीना मुश्किल हो रहा है। तालाब के सौंदर्यकरण के लिए कई बार योजनाएँ बन चुकी है लेकिन वह सब योजना हवा में उड़ती दिखाई देती है और आज तक कोई भी योजना धरातल पर नही उतरी।
कोरोना के चक्कर मे तालाब को भूले
रत्नसागर तालाब की हालात इन दिनों कुछ ज्यादा ही खराब दिखाई दे रही है। तालाब के ज़्यादातर भाग में जलकुम्भी जमी हुई है लेकिन तालाब की सुध लेने के लिए कोई जिम्मेदार आगे आने को तैयार नही है वही तालाब का वह भाग जो सुख चुका है,वहाँ भारी मात्रा में कचरा जमा हुआ है लेकिन तालाब की साफ-सफाई के लिए नगरपालिका द्वारा कोई उचित कदम नही उठाया गया।
अब देखने वाली बात यह है की रातोड़िया तालाब की दुर्दशा सुधरेगी या फ़िर धीरे-धीरे तालाब अपना अस्तित्व खो देगा।