मध्यप्रदेश की सियासत में फिर हुई गाय और अंडे की एंट्री, मुख्यमंत्री ने कहा:- आंगनवाड़ियों में अंडे की जगह मिलेगा दूध

आगर-मालवा। मध्यप्रदेश में गो कैबिनेट के गठन के बाद पहली बैठक रविवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में भोपाल में संपन्न हुई और इसी दिन रविवार को गोपाष्टमी के अवसर पर देश के पहले और एकमात्र कामधेनु गौ अभ्यारण्य सालरिया मैं मुख्यमंत्री शिवराज ने गो पूजन के बहाने एक बार फिर राजनीति का तीर चला है। मुख्यमंत्री ने यहां गो अभयारण्य में गो पूजन किया, गो उत्पादन सामग्री की प्रदर्शनी का अवलोकन किया, पंचायत विभाग के कार्यों का भूमि पूजन किया और अभ्यारणय का भ्रमण कर आवश्यक दिशा-निर्देश अधिकारियों को दिए। सीएम शिवराज ने गोपाष्टमी के अवसर पर गौ-अभ्यारणय में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ गो पूजन किया इन तस्वीरों से यह साफ होता है कि प्रदेश के मुखिया गाय के बहाने जनता से अपने जुड़ाव को मजबूत करने में लगे हैं। सीएम ने अभ्यारणय के शेड क्रमांक 8 में स्थित गायों को तिलक लगाकर उनकी आरती करके पूजा की. उसके बाद सीएम ने अन्य व्यवस्थाएं देखी. सीएम के साथ पशुपालन मंत्री, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री, गौ संवर्धन बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष अखिलेश्वरानन्द सहित गौ विशेषज्ञ भी मौजूद रहे.

मुख्यमंत्री का पूरा संबोधन

गाय और अंडों पर फिर शुरू हुई सियासत

प्रदेश में पहली दफा कोई गाय और अंडे को लेकर राजनीति नहीं हो रही है। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुई तब की महिला बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने भी आंगनबाड़ियों में अंडे देने की वकालत की थी, जिसको लेकर भाजपा संगठन के अंदर विरोध के स्वर उठे थे और अब एक बार फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आंगनवाड़ी से अंडा हटाने की बात कही है। विपक्षी दल कांग्रेस सीएम शिवराज के इस बयान के बाद बच्चों के पोषण को लेकर सरकार पर और सरकार की नीति पर क्या सवाल उठाते हैं यह देखना अभी बाकी है।

जनता के टैक्स से चलेगी गौशाला

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने सम्बोधन के दौरान जनता से बातों-बातों में ही गौशालाओं के संचालन हेतु राशि एकत्रित करने के लिए टैक्स वसूलने की बात भी कर डाली। यहां यह भी कहा जा सकता है कि सरकार अपनी आर्थिक नाकामियों को छुपाने के लिए गौशाला के संचालन के लिए जनता से जब जाकर वसूलने की तैयारी कर रही है। गौरतलब है कि राजस्थान और पंजाब जैसे राज्यों में पहले से ही काऊ सेस लागू है। मध्यप्रदेश में करीब दो करोड़ गोवंश मौजूद है, इसके रखरखाव के लिए कोई माकूल व्यवस्था सरकार की तरफ से नहीं है, ऐसे में गौशालाओं के संचालन के लिए टैक्स की बात बेमानी लगती है।

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गोबर और गोमूत्र से गौशाला बनेगी आत्मनिर्भर

प्रदेश की गौ कैबिनेट में शामिल मंत्रियों की समिति ने यह भी तय किया है कि मध्य प्रदेश के आंगनवाड़ी केंद्रों में अब कुपोषित बच्चों को अंडे की बजाय गाय का दूध दिया जाएगा, जिससे गौशालाओं के संचालन के लिए बजट की कमी नहीं रहेगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गाय के दूध के अलावा गाय के उत्पाद जैसे गोबर और गोमूत्र को भी आत्मनिर्भर बनने की दिशा में सहायक बताया। साथ ही गोमूत्र से बने कीटनाशक का सरकारी विभागों में उपयोग करने के निर्देश भी दिए।

मुख्यमंत्री ने किया 36.55 लाख के निर्माण कार्यां का भूमिपूजन

प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को आगर-मालवा जिले के गो-अभ्यारण्य सालरिया में अपने प्रवास के दौरान 36 लाख 55 हजार के 5 निर्माण कार्यां का भूमिपूजन किया। भूमिपूजन कार्यां में नवीन तालाब कामधेनु फरसपुरा लागत 14.61 लाख रुपए, सेमली के रास्ते पर फरसपुरा चेकडेम निर्माण कार्य लागत 9.33 लाख रुपए, डगआउट पौण्ड निर्माण अनुसंधान केन्द्र के पास एवं आवासीय परिसर के पास गो-अभ्यारण्य फसरपुरा लागत 3.33-3.33 लाख रुपए तथा कन्टूर ट्रेंच निर्माण कार्य गौ-शाला के रास्ते के पास लागत 5.95 लाख रुपए शामिल है।

32 करोड़ की लागत से बना था गौ अभ्यारण्य

आगर जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर सालरिया में कामधेनु गौ अभ्यारण का निर्माण हुआ था, 32 करोड़ की लागत से एशिया के एकमात्र इस गौ अभ्यारण्य की घोषणा जनवरी 2008 में शिवराज सिंह द्वारा की गई थी। 24 दिसंबर 2012 को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इसका भूमिपूजन किया था और 27 सितंबर 2017 को इसका विधिवत रूप से उद्घाटन किया गया। लेकिन इस अभ्यारण्य के शुरू होने के बाद से अभी तक यह अभ्यारण भी राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है, और हिंदू धर्म में पूजी जाने वाली गाय राजनीति की वस्तु बन गई है। 472 हेक्टेयर क्षेत्र में बने इस अभ्यारण में 6 हजार गायों को रखने की जगह है,लेकिन वर्तमान में यहां 3 हजार 950 गायों को रखा गया है।

एक ये भी बड़ी वजह गाय की सियासत में एंट्री की

जरा याद किजिए कांग्रेस ने पशुपालकों से गोबर खरीद कर खाद बनाने की बात कही थी. इसके साथ ही अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि गौधन न्याय योजना प्रदेश में लाएंगे. शायद ये भी एक वजह रही होगी कि शिवराज ने सत्ता में लौटते ही कमलनाथ की इस कोशिश को अपनी ओर झुका दिया.

शिवराज की पहली गौ कैबिनेट में क्या हुआ

राजधानी भोपाल में पहली गौ कैबिनेट की बैठक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई. बैठक में निर्णय लिया गया कि सालरिया अभ्यारण में गौ पशुपालन एवं अनुसंधान केंद्र बनाया जाएगा.

  • नगरीय क्षेत्रों में निराश्रित गोवंश के संरक्षण के लिए नगरीय निकायों को जोड़ा जाएगा
  • सालरिया अभ्यारण में गौ-पशुपालन एवं अनुसंधान केंद्र बनाया जाएगा
  • समाज के सहयोग से प्रदेश में बड़ी संख्या में गौशाला बनाई जाएगी
  • स्व सहायता समूह को गौशाला का संचालन सौंपा जाएगा

2014 से लगातार योजनाएं बनती गईं

भाजपा ने 2014 में अपने घोषणा पत्र में गौ रक्षा का मुद्दा उठाया था. एमपी में गायों के आधार कार्ड बनवाए गए. 2017 में बीजेपी के ऐलान के बाद देश का पहला गौ अभयारण्य बना. विधानसभा 2018 के पहले भाजपा ने गौमाता को जमकर उठाया था.1962 पशुधन संजीवनी’ योजना के नाम से भाजपा ने मोबाइल वैन भी बनाई थी.

गाय के खुराक में 90 फीसदी की कटौती

मध्य प्रदेश की गौशालाओं में इस समय 1.80 लाख गायों को रखा गया है. पिछले वित्तीय वर्ष में पशुपालन विभाग का बजट 132 करोड़ रुपए रखा था, जबकि 2020-21 में तो यह सीधे 11 करोड़ रुपये हो गया, यानी लगभग 90 फीसदी की कटौती कर दी गई. मतलब गाय की खुराक का बजट 20 रुपए से घटकर एक रुपए 60 पैसे हो गई.

बहराल मध्यप्रदेश में एक बड़ा वोट बैंक गाय भी है इससे इनकार नहीं किया जा सकता है. शिवराज की नजर जरुर 2023 के विधानसभा चुनाव में भी होगी. इसलिए शिवराज अभी से प्रदेश में खुद को एक्टिव ही रखना चाहते हैं और कांग्रेस के लिए एक भी मौका नहीं छोड़ना चाहते.

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