CM शिवराज के खिलाफ ASP के सुनील अस्तेय ने छेड़ी जंग, सालों से रिक्त पड़े बैकलॉग पदों की भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण का हनन करने का लगाया आरोप
भोपाल। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार द्वारा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में खाली पड़े 2850 बैकलॉग पदों के लिए जारी की गई विज्ञप्ति अब विवाद की जड़ बनती नजर आ रही है. दरअसल, आजाद समाज पार्टी द्वारा बैकलॉग पदों की भर्ती प्रक्रिया को सामान्य रूप से करवाने को असंवैधानिक बताया जा रहा है. उनका कहना है कि जब रिक्त पड़े पद एससी, एसटी और ओबीसी के हैं तो फिर बैकलॉग पदों के विरुद्ध 2850 कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर की पोस्ट में 1,000 से अधिक पर जनरल केटेगरी को क्यों दिए जा रहे हैं?
महामारी के इस दौर में सड़क पर तो लड़ा नहीं जा सकता इसलिए आजाद समाज पार्टी के नेता सुनील अस्तेय ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ ट्विटर पर ही जंग छेड़ दी है. ट्विटर पर शनिवार को हैशटैग #MPबैकलॉग_भर्ती_रद्द_हो पर समाचार लिखे जाने तक 34000 से भी ज्यादा ट्वीट हो चुके थे और यह मामला ट्रेंडिंग में चल रहा था. मामले को लेकर पूरे भारत के लोगों ने इस हैशटैग का प्रयोग कर ट्वीट किए हैं. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि शिवराज सरकार के इस निर्णय का ना केवल मध्यप्रदेश में बल्कि पूरे देश में विरोध हो रहा है.
बैकलॉग पदों पर भर्ती को लेकर आजाद समाज पार्टी के नेता सुनील अस्तेय ने ट्वीट कर लिखा कि आरक्षण अधि.1994 का पालन न करते हुए स्वास्थ्य विभाग मप्र शासन द्वारा कोरोना महामारी की आड़ में सालों से रिक्त पड़े एससी,एसटी,ओबीसी के #बैकलॉग पदों के विरुद्ध हेल्थ ऑफिसरों की भर्ती की जा रही हैं। जो कि नियम विरुद्ध सामान्य वर्ग से भी पूर्ती की जा रही है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मध्यप्रदेश (NHM MP) ने COMMUNITY HEALTH OFFICER हेतु 2850 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे हैं. इन खाली पड़े पदों के लिए BSC नर्सिंग/पोस्ट बेसिक बीएससी (नर्सिंग)/जीएनएम/बीएएमएस पास अभ्यार्थी आवेदन कर सकते हैं. मध्यप्रदेश शासन के मुताबिक, यह नियुक्ति 6 माह के सर्टिफिकेट कोर्स कार्यक्रम के लिए होगी. सीएचओ पद के लिए चयनित अभ्यर्थियों को 25000 रुपए प्रतिमाह वेतन दिया जाएंगा. इस भर्ती प्रक्रिया के तहत 6 माह की संविदा नियुक्ति होगी.
भर्ती बैकलॉग पदों पर होने के चलते हैं अब विवादों में घिर गई है . किसी भी मामले से जुड़ा हैशटैग अगर ट्विटर पर ट्रेंड होने लगे इसका मतलब वह मामला अब साफ है कि अब वह मामला प्रदेश का नहीं रहा पूरे देश का बन चुका है.. बैकलॉग पदों पर आरक्षित वर्ग को अपना हक नहीं देना शिवराज सरकार को काफी भारी पड़ सकता है क्योंकि अधिकतर आरक्षित वर्ग के युवा बेरोजगार बैठे हैं. ऐसे में आने वाले विधानसभा चुनाव में भी यह बेरोजगार युवा उनके साथ हो रहे इस छलावे का बदला जरूर लेंगे.
गुप्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, यह मामला यहीं ट्विटर तक रुकने वाला नहीं है. जैसे ही लॉकडाउन खत्म होगा उसके बाद आजाद समाज पार्टी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ नेता एससी आयोग, ओबीसी आयोग के अधिकारियों से मुकालात कर इस मामले को लेकर कोर्ट में पिटीशन दायर करवाएंगे. अब यह तो देखने वाली बात होगी कि आरक्षित वर्ग के युवा नेता सुनील अस्तेय अपने वर्ग की लड़ाई जीत पाते है या फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने दलित विरोधी चेहरे को एक बार फिर पूरे देश के सामने पेश करेंगे?