दमोह उपचुनाव में मंत्री भूपेंद्र सिंह की गाड़ी में मिला लाखों रूपए कैश का मामला दबाया? चुनाव आयोग ने क्यों थामी चुप्पी, कार्यवाही के नाम पर महज खाना पूर्ति?


चुनाव के बाद दमोह जिले में हुए कोरोना विस्फोट में मारे गए 158 से अधिक लोगो की मौत का जिम्मेदार कौन है?


विजया पाठक, एडिटर, जगत विजन


दमोह में हाल ही में हुए उपचुनाव के ठीक एक दिन पहले शिवराज सरकार के प्रमुख मंत्री और दमोह उपचुनाव के चुनाव प्रभारी भूपेंद्र सिंह के स्टाफ की गाड़ी में लाखों रूपए कैश मिलना चर्चा का विषय रहा। लेकिन विचार करने वाली बात यह है कि गाड़ी में मिले लाखों रूपए कहां से आए, कैसे आए, भूपेंद्र सिंह के स्टाफ की गाड़ी चुनाव रैली में क्यों शामिल की गई यह कुछ ऐसे सवाल है जिनके अभी भी पूरी तरह से जवाब मिलना बाकी है।

चुनाव में कैश बांटने की भूमिका को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी पुलिस द्वारा की गई इस कार्यवाही पर सवालियां निशान उठाए और जांच चुनाव आयोग से उच्च स्तरीय जांच कराने की गुहार लगाई थी। लेकिन न तो शिवराज सरकार ने और न ही चुनाव आयोग ने किसी ने भी इस पूरे मामले में कोई कार्यवाही करना उचित नहीं समझा और मामला लगभग रफादफा करने की कोशिश की। सूत्रों की मानें तो नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह के इशारे पर ही दमोह की जनता को नोटों के माध्यम से खरीदने की कोशिश की गई।

यह सब चुपचाप भूपेंद्र सिंह के कहने पर किया जा रहा था, लेकिन भूपेंद्र सिंह की इस चाल का फर्दाफाश होते ही इस पूरे मामले से उन्होंने हाथ उठा लिया और कहा कि वो दो दिन पूर्व ही दमोह शहर को छोड़ चुके थे, उनका इस मामले से कोई लेना देना नहीं।


चुनाव के बाद कोरोना संक्रमण का हुआ विस्फोट
भूपेंद्र सिंह की मनमानी के चलते शिवराज सरकार ने कोरोना संक्रमण की संकट की घड़ी में चुनाव कराए जाने की जहमत उठाई। इससे असर यह हुआ कि चुनाव होते ही एक बड़ा कोरोना संक्रमण का विस्फोट दमोह में हुआ और बड़ी संख्या में लोग वहां कोरोना संक्रमित हुए।

शासकीय रिकॉर्ड अनुसार दमोह में रोजाना औसतन 45 से अधिक मरीज संक्रमित हो रहे है, जबकि वास्तव में यह आंकड़ा लगभग तीन गुना है। वही अब तक महज 7 दिन के भीतर 158 से अधिक लोगो की मौत हो चुकी है। वही 500 से अधिक एक्टिव केस है। जिले में अस्पताल, आईसोलेशन सेंटर और उनमें मिलने वाली मरीजों को सुविधा सब कुछ राम भरोसे है। भूपेंद्र सिंह को चुनाव प्रभारी रहते हुए यह चुनाव कराना था और भाजपा को जीत दिलाकर खुद का कद पार्टी और संगठन के बीच मजबूत करना था तो उन्होंने वो जनता की जान जोखिम में डालते हुए किया।

हर दिन सैकड़ों लोगों के साथ रैलियां, रैलियों में कोविड गाइडलाइन का उल्लंघन सब देखा गया। जब चुनाव हो गए तो दिखावा करने के लिए भूपेंद्र सिंह के इशारे पर ही दमोह में कोरोना कफ्र्यु लगाए जाने के आदेश दिए गए। वहां चुनाव ड्यूटी पर गए पुलिसकर्मी तक संकमित हो गए और इलाज के लिए राजधानी भोपाल की ओर भागे। आखिर दमोह में कोरोना संक्रमण के इस विस्फोट का जिम्मेदार कौन है, मुख्‍यमंत्री शिवराज भूपेंद्र सिंह द्वारा बरती गई इस लापरवाही के खिलाफ कार्यवाही करेंगे।

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