सवर्णों ने श्मशान में नही जलाने दिया दलित महिला का शव, समाजजनों ने जंगल में किया अंतिम संस्कार
मानवता से बड़ा जातिवाद!
आजाद के 73 वर्ष बाद भी हमारा देश जातिवाद के कारण काफी पिछड़ा हुआ है। हमारे देश में इंसान को उसकी जाति के आधार पर परखा जाता है। अनुसूचित जाति-जनजाति में पैदा हुआ हर शख्स पैदा होने के बाद से जिंदगी के हर मोड़ पर जातिवाद का शिकार होता है। अन्याय-अत्याचार की यह कहानी यही खत्म नही होती मरने के बाद लाश तक को जातिवाद का शिकार होना पड़ता है।
आज हम आपको ऐसी घटना के बारे में बताने जा रहे है जहां एक महिला की मौत के बाद उसके शव को सिर्फ इसलिए श्मशान में नही जलाने दिया गया क्योंकि वह दलित थी।
इंदौर। जिले की तहसील देपालपुर के समीप ग्राम चटवाड़ा में जातिवाद का एक अत्यंत घिनोना चेहरा सामने आया है. जिससे हर किसी को यह एहसास होगा कि क्या यह वही भारत है जिसकी हम ओर हमारे देश के नेता बात करते है। घटना यह है कि ग्राम चटवाड़ा में एक दलित महिला की मौत हो गई थी जिसके बाद परिजन महिला का शव लेकर ग्राम के उस श्मशान में गए जहाँ ग्राम के ऊंची जाति के व्यक्तियों का अंतिम संस्कार किया जाता है लेकिन जातिवाद का जहर आज भी लोगों के अंदर इतना फुट-फुटकर भरा है कि उन्हें जिंदा दलित के बाद अब मृतक दलित से भी दिक्कत होने लगी।
अखिल भारतीय बलाई महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज परमार सहित अन्य लोग महिला के शव को लेकर करीब 7 घण्टे तक धरने पर बैठे रहे। इस आशा के साथ की शायद उनकी सुनवाई हो और उन्हें भी बराबरी के साथ उस श्मशान में अंतिम संस्कार करने का मौका मिले जहा हर ऊंची जाति के व्यक्ति का होता है। मौके पर प्रशासन की ओर से तहसीलदार भी वहा मौजूद थे लेकिन दबंगो के आगे उनकी भी एक ना चली। आखिर में सभी लोगों ने हर बार की तरह अपनी हार को स्वीकार किया और फिर प्रशासन द्वारा जंगल मे चद्दर लगाकर उसके नीचे महिला का अंतिम संस्कार करवाया गया।
महिला के अंतिम संस्कार के बाद अखिल भारतीय बलाई महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज परमार ने एक वीडियो बनाकर उनके सामने निर्मित हुई परिस्तिथि पर काफी दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि में स्वर्ण वर्ग के लोगों की दिल से काफी सम्मान करता था ओर मानता था कि यह वर्ग हमे अपना मानता है लेकिन आज इस घटना के बाद मेरे देखने मे आया कि मरने के बाद मुर्दे से इतना भेदभाव कर रहे है तो जीतेजी हमारे वर्ग के लोगों के साथ कितना करते होंगे।
वही इस घटना पर भीम आर्मी के प्रदेश प्रभारी सुनील अस्तेय ने ट्वीट कर कहा कि दलित का शव है तो श्मसान में जलाना मना है। अपरकास्ट हिन्दू सवर्ण दलितो के मरे हुये व्यक्ति से भी छुआछूत करते है।
देखो रे धर्म के ठेकेदार जातिवाद कितना हावी है और आप बोलते हो की जाति खत्म हो गई हे? हमारे लोगों पर कितना भेदभाव हो रहा है मरने के बाद सम्मान न मिला तो जीते जी क्या?
अब आप ही विचार करे और कमेंट कर बताये क्या हमारा देश बदला है? क्या हम आधुनिक भारत मे प्रवेश कर चुके है या फिर आज भी हम गुलाम भारत मे जीवन व्यापन कर रहे है?
कमेंट जरूर करें।।