दोहरे हत्या काण्ड में दोहरे आजीवन कारावास की सजा

दमोह से शंकर दुबे की रिपोर्ट


दमोह के पंचम अपर सत्र न्यायाधीश नीरज शर्मा ने 2016 के बहुचर्चित मल्लपुरा हत्याकांड में निर्णय सुनाते हुए दो आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया। अभियोजन में महत्वपूर्ण बात यह रही कि विद्वान न्यायाधीश ने मृत्यु पूर्व कथन को सत्य व संपुष्ट माना है।
अभियोजन की घटना के अनुसार 9 मई 2016 को मृतिका आरती और उसके पति मृतक देवेंद्र के मकान के बंटवारे पर से उपजे विवाद के दौरान अभियुक्त गण आरोपी जग्गू उर्फ जगमोहन तथा अशोक गोली उर्फ गुलाब ने मिट्टी का तेल डालकर आग लगाकर हत्या कर दी थी।


सत्रप्रकरण क्रमांक 75/2016 के विचारण में अभियोजन की ओर से अपने मामले के समर्थन में पन्द्रह अभियोजन साक्ष्यों का परीक्षण कराया गया। जबकि बचाव की ओर से अभियुक्त गण ने घटनास्थल पर न रहने का अभिवाक् लेते हुए दो साक्षी का परीक्षण बचाव साक्षी के रूप में कराया। किंतु माननीय न्यायालय ने अतिरिक्त शासकीय अधिवक्ता अनुनय श्रीवास्तव के कथनों से सहमत होते हुए इस तथ्य पर विश्वास किया कि मरने वाला व्यक्ति कभी झूठ नहीं बोलता और मरणासन्न के कथन को संपुष्ट मानते हुए आरोपी गणों को आजीवन कारावास की सजा एवं 1000 हज़ार रुपए अर्थदंड से दंडित किया। यह सजा मृतिका आरती की हत्या के लिए एवं मृतक मृतक देवेंद्र की हत्या के संबंध में अलग-अलग दी गई हैं । विद्वान न्यायाधीश ने अपने निर्णय में यह भी कहा है कि अभियुक्त गण को दी गई उपरोक्त सभी सजाएं साथ साथ भुक्ताई जाएं।

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