कोरोना में “अन्न दाताऔ” की बढ़ती मुश्किलें.
वैश्विक महामारी के चंगुल में जूझता पूरा विश्व और इसी में हमारे देश के किसानों की चिंताएं भी बढ़ती जा रही है हमारे देश में 80 से 90% गेहूं की फसल कट चुकी है और प्रकृति की कृपा से इस साल संपूर्ण फसलो का अच्छा उत्पादन किसानों को हुआ और किसानों को अच्छी निपत में भी बैठी. लेकिन लाकडाउन के चलते यह फसल किसानों के घर में ही है इसके अतिरिक्त हम फसलों की बात करें तो इनमें प्याज लहसुन और आलू कई तादाद में लोगों के पास अभी भी है आलू के लिए तो फिर भी कोल्ड स्टोरेज की सुविधाएं हैं लेकिन वह भी लगभग अभी तक भर चुके हैं और प्याज तो इतनी मात्रा में लोगों के पास है और ऊपर से बढ़ती गर्मी के प्रकोप से वह प्याज खराब होने का भय किसानों को है यदि उचित समय पर इसकी खरीदारी नहीं हुई तो लोगों को यह प्याज सड़क किनारे फेंकने की नौबत भी आ सकती है यदि हम फल और सब्जी की बात करें तो जोकि रबि की फसल के पश्चात बोवाई होती है.
लॉकडाउन के तुरंत बाद सबसे ज्यादा अगर किसी को नुकसान हुआ है तो वह सब्जी और फल उगाने वाले किसान को। फल और सब्जियां जल्द खराब होने वाले आइटम (पेरिसेबल) होते हैं, इन्हें एक निश्चित समय पर खेत से तोड़ना होता है अन्यथा फसल खराब हो जाती है। और खेत से निकली फसल को मंडी तक पहुंचाना भी होता है, लेकिन लॉकडाउन में कद्दू, लौकी, तरोई, खीरा, खरबूजा, तरबूज, शिमला मिर्च, हरी पत्ते दार सब्जियों के किसानों को काफी नुकसान हुआ, और बिक्री ना होने के कारण किसान लोग जानवरों को खिलाने के लिए विवश हैं।
जिन भी किसानों को खेती के साथ-साथ अपना दूध का धंधा हैं लेकिन लाकडाउन के चलते बाजारों में जितनी भी मिठाइयों की दुकानें बंद है इसीलिए दूध की बिक्री भी समुचित नहीं हो रही है।
मंदिर ,विवाह समारोह इत्यादि बंद होने के कारण जिन किसानों ने फूलों की खेती की थी वह फूल आज पशुओं को खिलाने एवं फेंकने के लिए विवश है।
इन दिनों अकस्मात बारिश होने का डर भी किसानों की चिंताऔ का एक कारण है। क्योंकि अधिकांश किसानों को जो उत्पादन हुआ है उसे रखने के लिए उनके पास पर्याप्त मात्रा में जगह भी नहीं है जिससे फसल को नुक्सान भी है, लेकिन फिर भी जीन किसानों ने अपनी फसल मंडी एवं निजी व्यापारी इत्यादि जगह पर बेची है उन्हें फसल की बिक्री का दाम अभी तक उपलब्ध नहीं किया जिससे किसान अपने मजदूरों को उनके श्रम के पैसे नहीं दे पा रहे हैं.
और यदि हम आगामी खरीफ फसल की बात करे तो जिसके अन्तर्गत धान ,सोयाबीन, मक्का ,ज्वार मूंग इत्यादि यह फसल जून-जुलाई के दौरान बोई जाती है जिनमें खाघ एवं दवाइयों की आवश्यकता होती है इन सब की पूर्ति करना भी अति आवश्यक है।
हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा निर्णय लिया गया जिसमें कृषि केंद्र मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को राहत देने का आह्वान किया है जिससे बीमा कंपनी ग्रास रूट तक सर्वे करने के पश्चात बीमा मुहैया करेगी।
अंशुल धाकड़, (छात्र)
(पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर)