सावधान: राजस्थान के बाद अब आगर में बर्ड फ्लू की दस्तक, पुराना डिपो क्षेत्र में मिले कई मृत कौवे
आगर-मालवा (विजय बागड़ी)। कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा अभी खत्म ही नहीं हुआ कि बर्ड फ्लू ने मध्यप्रदेश में दस्तक दे दी है. मध्यप्रदेश में इंदौर के बाद अब आगर में भी मृत कौवों में बर्ड फ्लू के वायरस के लक्षण पाए गए हैं. आगर के छावनी क्षेत्र में पुराने डिपो में लगातार कौवों की मौत हो रही है, मरने वाले कौवों में बर्ड फ्लू के लक्षण पाएं गए हैं.
वर्तमान में आगर में जिस वायरस से कौवों की मौत हुई है, उसका अभी तक पता नही चल पाया है लेकिन इंदौर में जिन कौवों की मौत हुई है उनकी जांच रिपोर्ट के आधार पर जिस वायरस के कारण उनकी मौत हुई है वह केवल कौवों तक ही सीमित है. इससे दूसरे पक्षियों के संक्रमित होने का डर नहीं है. फिर भी, इंदौर में वायरस के मामले सामने आते ही नगर निगम और वेटरनरी विभाग के डॉक्टरों की टीम मुस्तैद हो गई है. लेकिन आगर में तो इसके विपरित ही देखने को मिल रहा है. यहां सिर्फ नगर पालिका की टीम ही मुस्तेद दिखाई दे रही हैं. पुराना डिपो में अब तक 100 से ज्यादा कौवे मर चुके हैं. मृत कौवों के सैंपल भोपाल स्थित प्रयोगशाला भेजे गए है, जिनकी जांच रिपोर्ट आना अभी बाकी है.
शनिवार को ही नगरपालिक की टीम पुराना डिपो क्षेत्र में पहुंची. नगरपालिका के स्वच्छता निरीक्षक बसन्त डूलगज ने बताया कि पिछले दो दिनों से इस क्षेत्र में भारी मात्रा के कौवों की मौत हो रही हैं. हमने सभी मृत कौवों को इकट्ठा कर शहर से दूर दफना दिया है, वही यहां रहने वाले लोगों को भी मृत कौवों से दूर रहने की समझाइश दी गई है. उन्होंने यह भी बताया कि यहां पिछले 2 दिनों में करीब 120 कौवों की मौत हुई है जिसमें से कुछ कौवों के सैंपल भोपाल स्थित प्रयोगशाला भेजे गए हैं ताकि इनकी मौत का कारण पता चल सकें. फिलहाल हमें समाचार पत्र व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से पता चला है कि मालवा क्षेत्र में बर्ड फ्लू के मामले सामने आ चुके हैं इसलिए हम किसी भी तरह की लापरवाही नही बरतना चाहते हैं.
बर्ड फ्लू ऐसे बन सकता है बड़ा खतरा
अगर बर्ड फ्लू का वायरस मुर्गियाें में भी पाया गया, तो यह सबसे बड़ा खतरा बन जाएगा. मुर्गियों से इंसानों में वायरस फैलने की अधिक संभावना रहती है. इसके अलावा शीतकालीन प्रवास के लिए हजारों की संख्या में विदेशी पक्षी प्रदेश में आए हुए हैं. इनमें भी वायरस का डर सताने लगा है . सांभर झील त्रासदी के समय भी सबसे अधिक विदेशी पक्षी ही महामारी की चपेट में आए थे. मृत परिंदों के सैंपल लेकर मध्यप्रदेश के भोपाल की एक प्रयोगशाला में भेजे गए हैं. रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का पता चल पाएगा.