छिंदवाड़ा जिले में अब लोकसभा विस्तारक की भूमिका में अशोक यादव, मात्र 5 माह में बदल दी जिले की कार्यशैली
विजय बागड़ी, भोपाल। आज़ादी के बाद से मात्र एक बार ही जीती गई मध्यप्रदेश की वो लोकसभा सीट जो वर्षो से राष्ट्रीय संगठन के लिए चुनौती बनी हुई है, मात्र एक बार इस सीट से सुंदरलाल पटवा ही जीत पाए। उसके अलावा कभी इस सीट पर भाजपा को जीत हासिल नहीं पाई, लेकिन इस बार भाजपा ने केंद्रीय निगरानी में इस सीट की बदाबंदी शुरू कर दी है। साथ ही इस जिले में एक लोकसभा पूर्णकालिक विस्तारक के तौर पर अशोक यादव को भेजा है। यूं तो ये संघ के स्वयंसेवक है और 20 साल से भी ज्यादा समय से पूर्णकालिक कार्यकर्ता के तौर में भाजपा की सेवा में पूरे भारत में अलग-अलग स्थान पर रह रहे है। पूर्णकालिक का अर्थ होता है जो अपना पूरा समय संगठन को दें, अपने परिवार को छोड़कर घर से अलग रहकर समाज के बीच ने संगठन का विस्तार करे।
पूर्व में ये अमेठी लोकसभा चुनाव, गुजरात चुनाव, गोवा चुनाव, पूर्वोत्तर के कई राज्यों के चुनाव, जम्मू कश्मीर के चुनाव जैसे अनेकों ऐसे चुनावो में भूमिका निभाएं है। मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा किसान आंदोलन से प्रभावित माने जाने वाले मंदसौर जिले की विधानसभा सहित रतलाम नगरीय निकाय चुनाव में भी इन्होंने हाल ही में भूमिका निभाई है जिसके कारण आज ये संगठन के ऐसे सपूत है जो हर एक कार्यकर्ता के लिए प्रेरणा है, वर्तमान में ये चर्चा इसलिए भी क्योंकि अभी ये मध्यप्रदेश की उस लोकसभा सीट के विस्तारक प्रभारी है जिसे आज़ादी के बाद मात्र एक बार ही भाजपा जीत पाई और वो है कमलनाथ का गढ़ कहे जाने वाला छिंदवाड़ा।
यूं तो यहां पहले भी पूर्णकालिक कार्यकर्ता बहुत आए है। हर चुनाव में पूर्णकालिक कार्यकर्ता चुनाव से पूर्व विधानसभा स्तर पर आते रहे है, यह पहली बार है जब लोकसभा स्तर पर पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में अशोक यादव यहां पहुंचे है। चर्चा का विषय तो तब शुरू हुआ जब इतने अनुभव और लंबे पूर्णकालिक जीवन के बाद भी अशोक यादव आज भी अपने इस नए कार्यक्षेत्र में मोटरसाइकल से प्रवास पर निकल जाते है वो भी मई की उस गर्मी में जो छिंदवाड़ा को एक और मायनो में देश में अलग करती है। चिलचिलाती धूप में जब चिड़िया भी यहां अपना घोंसला नही छोड़ रही उस धूप में ये पूर्णकालिक कार्यकर्ता हर सुबह जिले के किसी ना किसी जनजातीय क्षेत्र में जंगलों के बीच हो या शहरी, ग्रामीण अंचल में अपने एक कार्यकर्ता को साथ लिए अपनी मंज़िल को निकल पड़ते है।
ज्यादातर भोजन एक समय करना, हर कार्यकर्ता को गलत में डांटना तो सही में सराहना इनकी सबको एक दृष्टि से देखने की ये खासियत आज पूरे जिले के कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा बन गई है। हर कार्यकर्ता आज इनसे प्रभावित होकर भाजपा को इस जिले में विजय बनाने की दौड़ में लग गया है। अशोक यादव इसलिए भी सबके प्रेरणा बनकर उभरे है क्योंकि वह जिला अध्यक्ष हो या कोई पन्ना प्रभारी, सबको एक ही दृष्टि से देखते है। ऐसे तो ये देखने को आता है की हर संगठन में हर एक प्रमुख व्यक्ति के कोई न कोई खास होते है, लेकिन अशोक यादव के साथ ये देखने में आया है की इनकी खास सिर्फ पार्टी है। केंद्र और राज्यों में जब किसी संगठन का शासन हो तो यह आम बात है की उसके जुड़े लोग कही ना कही एक अलग स्वभाव के होंगे पर बड़े होटलों में ना रहते हुए भाजपा कार्यलय के ही एक कमरे में रहना, रातों को लेट आना और सुबह अगले लक्ष्य पर निकल जाना मात्र चंद घंटों की नींद लेना और दिनभर अनवरत कार्य करना, कही बाहर भोजन ना करते हुए है रोज जिले के एक अलग पन्ना प्रभारी अथवा बूथ के कार्यकर्ता के यहां ही भोजन करना, जब किसी राष्ट्रीय या राजकीय नेताओं का प्रवास हो तो मंच से नीचे बैठकर यह कहना की हमारा कार्य संगठन बढ़ाना है यह कार्यकर्ताओं का स्थान है। ऐसी अतुलनीय सार्थकता और सरल व्यक्तित्व की जहां भी कार्यकर्ताओं को मिले हाथ में डायरी एक साधारण कुर्ता, एक पेन, अपना फोन चार्जर साथ में लिए जिस तरह से हर दिन यह कार्यरत है कही ना कही। ये संकेत दे रहा है की इस बार कमलनाथ का गढ़ कहे जाने वाले जिले में भाजपा अपनी दस्तक देने के पूर्ण उद्देश्य में है।
5 जनवरी 2023 से अशोक यादव यहां आए है और मात्र 4 माह में जो बदलाव संगठन की कार्यशैली पर पड़ा है, उससे सभी कार्यकर्ताओं को एक नया प्रशिक्षण प्राप्त हो रहा है, एक बूथ स्तर के कार्यकर्ता की चिंता जिस तरह से अब जिले में की जा रही है इससे हर कोई दंग है, एक पूर्णकालिक कार्यकर्ता की कितनी अहम भूमिका हो सकती है इसको छिंदवाड़ा भाजपा पहली बार स्पष्ट रूप से अनुभव कर रही है।