शादी के बाद मरते दम तक नहीं छोड़ा बुजुर्ग दंपति ने एक दूसरे का हाथ, परिजनों ने दूल्हा-दुल्हन बनाकर एक चिता पर किया अंतिम संस्कार
मुरैना। जिले की कैलारस तहसील के चमरगवां गांव में एक बुजुर्ग दंपत्ति ने एक साथ इस दुनिया को अलविदा कहा. गांव वालों की मानें तो मंडप में सात फेरे लेते हुए दोनों ने हर सुख-दुख में साथ देने और 7 जन्म तक साथ निभाने का वादा किया था. इस वादे को 67 साल तक पूरी ईमानदारी से पति-पत्नी ने निभाया और दुनिया को एक साथ अलविदा हो गए.
आपको बता दें यह कोई फिल्मी कहानी नहीं बल्कि कैलारस के चमरगवां गांव के बुजर्ग दंपती की सच्चाई है, यहां एक बुजुर्ग पति-पत्नी ने एक साथ दम तोड़ा, उनके प्यार को परिजन व ग्रामीणों ने भी पूरा सम्मान दिया और एक ही चिता पर लिटाकर दोनों का हाथ थमाकर अंतिम संस्कार किया.
चमरगवां गांव के 85 वर्षीय भागचंद जाटव और 81 साल की उनकी पत्नी छोटी जाटव की शादी को 67 साल से ज्यादा हो गए थे, बीती रात को दोनों ने पूरे परिवार के साथ खाना खाया, बेटे व नातियों से बात की और उसके बाद दोनों बुजुर्ग दंपती रोज की तरह अपने कमरे में सोने चले गए. भागचंद व छोटी बाई हर रोज सुबह पांच बजे उठ जाते, लेकिन सुबह सात बजे तक दोनों कमरे से बाहर नहीं आए तो स्वजनों ने कमरे का दरवाजा खोलकर देखा, तब उन्हें खटिया पर बुजुर्ग दंपती के शव मिले, दोनों ने रात में दम तोड़ दिया, उनके प्राण कब निकले किसी को पता भी नहीं चला.
मृतक दंपती के स्वजन और ग्रामीणों की मानें तो इन दोनों में एक दूसरे के प्रति सम्मान, प्यार व जिम्मेदारी ऐसी थी कि भागचंद खेती, बाड़ी, परिवार से लेकर रोजगार तक की बातें पत्नी से विचार करके करते थे, छोटी बाई ने भी पति के हर सुख-दुख में उनका साथ दिया और परिवार को एक साथ रखा. बुजुर्ग दंपती के इसी प्रेम को उनके जाने के बाद भी सम्मान मिला. दोनों के शवों के नए कपड़े पहनाकर दूल्हा-दुल्हन की तरह कुर्सी पर बैठाया गया, फूल मालाएं पहनाई गईं और गाजे-बाजे के साथ पूरे गांव में अंतिम यात्रा निकाली गई. उसके बाद श्मशान में एक बड़ी चिता बनाकर दोनों का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया. मुखाग्नि देने के बाद पूरे गांव के पुरुषों ने दंपत्ति की चिता की परिक्रमा की और सती माता की जय का जयकारा लगाया.