ग्वालियर की सुर्खियों में बड़ा नाम बने निर्दलीय युवा प्रत्याशी गिरीश मिश्रा
प्रदेश में अभी पंचायत व नगरीय निकाय चुनाव का माहौल गरमाया हुआ है , हर नगर निगम क्षेत्रो में यूं तो अलग अलग खबरे चल रही है पर ग्वालियर नगर निगम क्षेत्र में एक युवा निर्दलीय प्रत्याशी ने माहौल एक पक्षीय कर रखा है , अपने जघन जनसम्पर्क व लोकप्रियता के कारण आज पूरे निगम क्षेत्र में सुर्खियों में इन्होंने जगह बनाई हुई है , भले ही एक वार्ड से चुनावी मैदान में है पर इनकी चर्चा पूरे ग्वालियर में है।
ऐसा क्यों? आइये जानते है ..
ग्वालियर की मैना वाली गली के प्रसिद्ध बालाजी दरबार परिसर के निवासी गिरीश मिश्रा एक ऐसे परिवार से आते है जो पिछली एक पीढ़ी से समाज सेवा के कार्य मे सक्रिय है, बालाजी दरबार के माध्यम से पीड़ितों की समस्याओ का समाधान आध्यात्मिक चिकित्सा के माध्यम से किया जाता है, साथ-साथ धर्म व आध्यत्म का प्रचार प्रसार किया जाता है, हज़ारो की तादात में भक्तजन पूरे भारत वर्ष से इस दरबार से जुड़े है, साथ ही परिवार के सभी सदस्य समाज मे लगातार सक्रिय है व दुखियों के दुख में खड़े रहते है, यही वजह है कि दूसरे वार्ड से चुनाव लड़ने पर भी इनकी खासा लोकप्रियता नज़र आ रही है, इन्ही संस्कारो के कारण गिरीश में नेतृत्व करने की एक खास कला है , जो आज उनके साथ सेकड़ो युवाओ की टीम को साध रखी है, ना सिर्फ जनसम्पर्क के दौरान बल्कि प्रचार एक अतिरिक्त भी गिरीश के चुनावी वार्ड में यह टीम लगातार सम्पर्क साध रही है, जो पूरे चुनाव का माहौल एक पक्षीय कर रखा है।
गिरीश कल और आज …
गिरीश अपने कॉलेज के समय से ही अभाविप के माध्यम से छात्र राजनीति में रहे, उसके पश्चात अलग-अलग संगठन जिनमे बजरंग दल व धर्म जागरण समन्वय जैसे विराट संगठन शामिल है इनमे भी कार्य करने का लंबा अनुभव इन्हें प्राप्त है, मास्टर्स इन पोलिटिकल साइंस में इनकी शिक्षा तक हुई है, करीब 14 वर्षो के कार्य अनुभव के बाद वे भाजपा ग्वालियर के किसान मोर्चा के जिला मंत्री बनाये गए, एक संघर्षशील, मेहनती व युवा प्रिय चेहरे के रुप में इन्होंने समाज के बीच खुद की छवि को बनाया, इन 14 वर्षों में गिरीश ने निस्वार्थ भाव से सम्पूर्ण ग्वालियर में अपनी पकड़ बनाई।
टिकिट ना मिलने से नही , सेवा के भाव से मैदान में आये …
क्योंकि चुनाव की घोषणा होते समय गिरीश जिला भाजपा किसान मोर्चा के जिला मंत्री रहे इसलिए उन्होंने पहले तो चुनावी मंशा नही दिखाई पर वार्ड व युवा साथियो के कहने पर अपना पत्र पार्टी को देकर चुनाव लड़ने हेतु समिति के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत किया था, जिले स्तर से अनुशंषा होने के बाद संभाग से भी अनुसंशा प्राप्त जैसी स्थिति बनी जिसपर नामांकन के आखरी तारीख सामने थी तो गिरीश ने वार्ड 45 से नामांकन दाखिल किया परन्तु एक ही दिन बाद राजनैतिक चक्रव्यूह के दांव पेंच ने ऐसे युवा समाज सेवी का नाम सूची से अलग करवा दिया और एक बड़े नेता के करीबी माने जाने वाले नए चेहरे को पार्टी ने मैदान में उतारा, जिसके बाद भी गिरीश में विरोध नही देखा गया। उन्होंने शील भाव से समाज मे सेवा करने के उद्देश्य से चुनाव लड़ने की मंशा बनाई और निर्दलीय मैदान में उतर गए, पार्टी के इस गलत निर्णय का रुझान ज़मीनी स्तर पर भी समझ आ रहा है । जहां गिरीश ने एक और अपनी विराट टीम के साथ माहौल एक पक्षीय कर रखा है तो वही दूसरे संगठन के प्रत्याशी स्टार प्रचारकों के आने का इंतज़ार कर रहे है।
गौरतलब है कि अभी मतदान शेष है और मतगणना ही यह बता पाएगी की विजयश्री का ताज किसके सर पर सजेगा पर ऐसे निर्दलीय प्रत्याशी समाज को एक नई ऊर्जा देने का कार्य कर रहे है जो लोकतन्त्र के लिए ज़रूरी भी है।