दो राजनीतिक घुर विरोधी अब एक साथ एक मंच पर, जानिए कौन है वो
दमोह। कहते हैं कि राजनीति और धंधे में दोस्ती और दुश्मनी कभी स्थाई नहीं होती। यह कहावत इन दिनों बड़ा मलहरा विधानसभा में चरितार्थ होती दिख रही है। जी हां मध्य प्रदेश की 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में से एक दमोह लोकसभा क्षेत्र की बड़ा मलहरा विधानसभा में इन दिनों अलग ही रंग देखने को मिल रहे हैं। जहां पर भाजपा के प्रत्याशी और कभी कांग्रेसी विधायक रहे हिंडोरिया राज परिवार के सदस्य प्रदुम्न सिंह लोधी उर्फ छोटे मुन्ना की जुगलबंदी पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया से दिख रही है। सनद रहे कि कभी पूर्व मंत्री मलैया और प्रदुम्न सिंह के बीच में गहरी खाई थी। जो राजनीतिक परिदृश्य के साथ बदलकर दोस्ती में तब्दील हो गई। इतना ही नहीं मंच से एक दूसरे को ललकारने वाले मलैया और प्रदुम्न सिंह अब बड़ा मलहरा में एक साथ चुनाव प्रचार कर रहे हैं।
2 दिन पहले ही जयंत मलैया अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ एक विशाल काफिला लेकर बड़ा मलहरा विधानसभा पहुंचे। जहां उन्होंने भाजपा प्रत्याशी प्रदुम्न सिंह के पक्ष में धुआंधार जनसंपर्क प्रचार किया। कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर प्रदुम्न सिंह को जिताने की अपील की, तो मलैया भी प्रदुम्न सिंह के सुर में सुर मिलाते हुए नजर आए। उनके चेहरे पर कहीं भी पूर्व द्वेष की झलक देखने को नहीं मिली। लोगों के लिए यह जुगलबंदी हैरान कर देने वाली थी। मालूम हो कि प्रदुम्न सिंह जब दमोह कृषि उपज मंडी के अध्यक्ष थे तो उनमें और निवर्तमान मंत्री जयंत मलैया में तलवारें खिंची हुई थी। यहां तक की मलैया ने उन्हें पद से हटवा देने तक की धमकी दे डाली थी। जिसके बाद उनमें और भी रार बढ़ गई। तब प्रद्युम्न सिंह ने कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया का दामन थाम लिया और अपनी अध्यक्ष पद की कुर्सी को न केवल बचाया बल्कि राजनीति में आगे भी बढ़ाते रहे।
प्रदुम्न सिंह की राजनीति कोई बहुत पुरानी नहीं है, यह बात अलग है कि उन्हें राजनीति अपने पिता राजा भैया से विरासत में मिली है। जब चंद्रभान सिंह लोधी दमोह जिला पंचायत के अध्यक्ष हुआ करते थे उस समय प्रदुम्न सिंह ने अपनी राजनीतिक शुरुआत उन्हीं के बंगले पर रहकर की थी। राजनीति का ककरहा भी वहीं से सीखे और समय के साथ अपने खलीफाओं को भी बदलते रहे। जैसा कि राजनीति में होता है ? ठीक वैसा ही उन्होंने भी किया। उन्होंने किसी एक नेता को अपना गुरू नहीं बनाया और यही कारण है कि 2018 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले उन्होंने भाजपा से पलटी मार कर कांग्रेस में अपना घर बना लिया और बड़ा मलहरा से टिकट भी हासिल कर लिया तथा जीत भी दर्ज कराई। लेकिन जैसे ही सवा साल बाद कांग्रेस की सरकार गिरी और भाजपा की सरकार मध्यप्रदेश में स्थापित हुई तो उन्होंने कांग्रेस को छोड़ने में भी देरी नहीं लगाई और वापस भाजपा का दामन थाम लिया।
इतना ही नहीं विधायक पद से इस्तीफा देते ही उन्हें नागरिक आपूर्ति निगम का अध्यक्ष भी बना दिया गया। प्रदुम्न सिंह की प्रदेश की तेजतर्रार नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती से नजदीकियां भी किसी से छिपी नहीं हैं। प्रदुम्न सिंह के ही चचेरे भाई राहुल सिंह दमोह विधानसभा से कांग्रेस विधायक हैं। जब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ उस समय राहुल सिंह ने कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ा बल्कि उन्हें इस बात पर ताज्जुब हुआ कि उनके भाई ने कैसे भाजपा का दामन थाम लिया। पार्टी बदलने के कारण लोगों का भारी विरोध झेल रहे प्रदुम्न सिंह के लिए जयंत मलैया का साथ संजीवनी का काम कर रहा है । बता दें कि यहां पर लोधी समुदाय के अलावा जैन समाज के वोट भी निर्णायक स्थिति में है। ऐसे में मलैया का प्रचार चुनाव के परिदृश्य को कितना बदल पाता है यह तो समय ही बताएगा। फिलहाल कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों ने चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी है।
दमोह से शंकर दुबे की रिपोर्ट