इस तरह हुई प्रदुम्न सिंह की भाजपा में वापसी

दमोह.

दमोह के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष चंद्रभान सिंह के कार्यकाल के दौरान राजनीति का ककहरा सीखने वाले बड़ा मलहरा विधायक प्रदुम्न सिंह का भाजपा में वापस जाना आश्चर्य में नहीं डालता। कभी बाबा जी के भी शागिर्द रहे दे रहे प्रदुम्न सिंह की भाजपा में वापसी पूर्व नियोजित समझी जा रही है।


दमोह जिले के हिंडोरिया के राज परिवार से ताल्लुक रखने वाले छोटे मुन्ना उर्फ प्रदुम्न सिंह बड़ा मलहरा से कांग्रेस की सीट पर 2018 में विधायक निर्वाचित हुए थे। लेकिन कमलनाथ सरकार गिरने के साथ ही यह कयास लगाए जा रहे थे कि उनकी भी भाजपा में वापसी हो सकती है। बस इंतजार इस बात का था कि भाजपा में वापसी कराने वाला कोई शख्स मिल जाए। प्रदुम्न सिंह के ही चचेरे भाई राहुल सिंह कॉन्ग्रेस से दमोह विधायक हैं। इसे महज संयोग कहा जाए या प्रबल भाग्य कि एक ही परिवार से 2 सदस्य एक साथ विधानसभा पहुंचे।

प्रदुम्न उर्फ छोटे मुन्ना कि यह राजनीतिक यात्रा इतनी सरल नहीं रही जितना कि लोग समझ रहे हैं। सन 2000 के दशक में जब चंद्रभान सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष थे उस समय बड़ा मलहरा विधायक प्रद्युम्न सिंह उन्हीं के बंगले पर रहकर राजनीति की बारीकियां सीख समझ रहे थे। वक्त बीतता चला गया और आगे जाकर उन्होंने मंडी सदस्य का चुनाव लड़ा। वह बतौर अध्यक्ष भी निर्वाचित हुए। इसके बाद उन्होंने भाजपा से ही विधानसभा चुनाव के लिए दावेदारी भी प्रस्तुत की। लेकिन इसी बीच भाजपा के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री जयंत मलैया से उनकी रार ठन गई और वह तब से अब तक बरकरार है। एक समय ऐसा भी आया जब जयंत मलैया ने सार्वजनिक रूप से उन्हें अध्यक्ष पद से हटाने की धमकी भी दे डाली। तब अपनी अध्यक्ष की कुर्सी बचाने के लिए उन्होंने तत्कालीन कृषि मंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता रामकृष्ण कुसमरिया बाबाजी का दामन थाम लिया.

इस बीच कई बार ऐसा हुआ कि जयंत मलैया और प्रदुम्न सिंह की रार खुलकर सामने आई और वह लगातार चली आ रही है । संयोग देखिए कभी उमा भारती गुट के खास कहे जाने वाले प्रदुम्न सिंह ने विधानसभा चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस का दामन थाम लिया और वह बड़ा मलहरा सीट से निर्वाचित हुए। उन्होंने भाजपा की तत्कालीन विधायक ललिता यादव को शिकस्त दी थी। हिंडोरिया राजपरिवार की केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल से करीबी किसी से छिपी नहीं है। ऐसा माना जा रहा है कि बाबाजी और प्रहलाद पटेल के माध्यम से ही प्रदुम्न सिंह दोबारा उमा भारती से मिले और भाजपा में जाने की उनकी राह प्रशस्त हुई। आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रदुम्न सिंह को ही अपना प्रत्याशी बनाती है या किसी और को टिकट देती है यह भविष्य के गर्त में है। लेकिन एक बात तो तय है कि विधायकी छोड़ने के बाद दोबारा चुनाव जीतना प्रदुम्न सिंह के लिए आसान नहीं होगा। साथ ही भाजपा में उनका भविष्य कितना सुनहरा है होगा यह तो समय ही बताएगा।


दमोह से शंकर दुबे की रिपोर्ट

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