क्या गुल खिलाएगी मलैया और बाबा की राजनीति.
दमोह.
कभी राजनीति में एक दूसरे के घुर विरोधी रहे पूर्व मंत्री जयंत मलैया और पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया अब एक ही छत के नीचे आते दिख रहे हैं । इन दोनों के बीच लंबे समय से चली आ रही गहरी खाई अब पटती नजर आ रही है।
कहते हैं कि राजनीति में दोस्ती और दुश्मनी कभी स्थाई नहीं होती। ऐसा ही कुछ जिले की राजनीति में भी इन दिनों देखने मिल रहा है। कभी एक दूसरे के घोर विरोधी कहे जाने वाले जयंत मलैया के पुत्र सिद्धार्थ मलैया और पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया के बीच खटास कम होती जा रही है। हटा की राजनीति में कद्दावर नेता रहे स्वर्गीय देवेंद्र चौरसिया के पुत्र सोमेश चौरसिया से मुलाकात के बाद सिद्धार्थ मलैया ने हाल ही में हटा बंद का आयोजन किया था जिसमें कांग्रेस, भाजपा, समाजवादी पार्टी सहित अन्य कई लोगों ने हिस्सा लेकर जोरदार समर्थन भी किया था ।
इसके बाद हटा की ही राजनीति के छत्रप कहे जाने वाले पुष्पेंद्र हजारी ने अपने बेटे के साथ पूर्व मंत्री जयंत मलैया से मुलाकात की थी, वहीं दूसरी ओर हटा में पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया और सिद्धार्थ मलैया की मुलाकात के मायने भी अब नए सिरे से निकाले जाने लगे हैं । ऐसा माना जा रहा है कि युवाओं की एक नई खेप तैयार हो रही है। पथरिया से बसपा विधायक रामबाई पर गंभीर और सनसनीखेज आरोप लगाने वाले सिद्धार्थ मलैया को कुर्मी समाज ने भी घेरने के भरसक प्रयास किए हैं।
इन्हीं सब की बीच यह सब नए समीकरण भी तैयार हो रहे है । हटा में सारे कद्दावर नेता एक तरफ और विधायक रामबाई तथा केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल गुट के खासम खास माने जाने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल एक तरफ है । हटा की जो नई खेप तैयार हो रही है वह जयंत मलैया कि पुत्र सिद्धार्थ मलैया के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है । ऐसे में राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा आम हो गई है कि सिद्धार्थ मलैया दमोह के साथ साथ कहीं हटा में भी तो अपनी राजनीतिक जमीन तलाश नहीं कर रहे हैं या फिर वह वास्तव में चौरसिया परिवार के साथ खड़े हैं।
दमोह विधानसभा से चुनाव हारने के बाद जयंत मलैया एवं उनका परिवार कुछ कार्यकर्ताओं तक ही सिमट कर रह गया था। क्योंकि कुछ चापलूस कार्यकर्ता उनके चुनाव हारने के बाद ही दूसरे गुट में जाकर शामिल हो गए। लेकिन अब नए समीकरण बनने के बाद मलैया समर्थकों में भी उत्साह नजर आ रहा है। उधर बाबा जी की मलैया जी से पींगे बढ़ाने से साफ हो रहा है कि वह एक बार फिर से पथरिया विधानसभा में अपनी जोरदार दावेदारी पेश कर सकते हैं । क्योंकि लखन पटेल बाबा जी और शिवचरण पटेल की आपसी लड़ाई के कारण ही पथरिया सीट भाजपा से सीधे बसपा के खाते में चली गई है। चुनाव भले ही अभी दूर है लेकिन यह सारे समीकरण बता रहे हैं कि राजनीतिक जमीन मजबूत करने की तैयारी अभी से शुरू हो गई है । यदि रामकृष्ण कुसमरिया और लखन पटेल की जुगलबंदी हो जाती है तो निश्चित रूप से आने वाला चुनाव बसपा विधायक रामबाई के लिए आसान नहीं होगा । क्योंकि अभी तक मलैया और बाबा जी एक दूसरे के विरोधी रहे हैं लेकिन अब उन में खटास कम होने के साथ ही नए समीकरण भी जन्म ले रहे हैं।
दमोह से शंकर दुबे की रिपोर्ट.