25 किलोमीटर तक नदी में ढूंढा पर नही मिले मोहन बड़ोदिया के तहसीलदार, फार्म हॉउस पर पार्टी करने गए थे, साथी पटवारी की पहले मिल चुकी है लाश

25 किलोमीटर तक नदी में ढूंढा पर नही मिले मोहन बड़ोदिया के तहसीलदार, फार्म हॉउस पर पार्टी करने गए थे, साथी पटवारी की पहले मिल चुकी है लाश

सीहोर। मध्यप्रदेश के सीहोर में 15 अगस्त काे पटवारी के साथ नदी में बहे शाजापुर जिले की तहसील मोहन बड़ोदिया के तहसीलदार‎ नरेंद्र सिंह ठाकुर का अब तक कोई पता नहीं चल सका है। पटवारी का शव बुधवार को सीहोर की सीवन नदी के करबला पुल से करीब 12‎ किमी दूर छापरी के पास मिला‎ था।‎ अभी तक सीवन नदी पर टीम घटनास्थल से करीब 25 किमी तक सर्चिंग कर चुकी है।

तहसीलदार की तलाश 150 अधिकारी-कर्मचारियाें की चार टीमें कर रही हैं। 15 अगस्त की शाम तहसीलदार नरेंद्र सिंह ठाकुर (45), पटवारी महेंद्र सिंह रजक (33), महेंद्र शर्मा और राहुल आर्य ने दोस्त तरुण सिंह के फॉर्म हाउस में पार्टी करने का प्लान बनाया था। पार्टी के बाद वे रात में पटवारी की कार से घर के लिए निकले। भारी बारिश के चलते नदी उफान पर थी। करबला पुल डूबा हुआ था। सर्चिंग में लगी टीम का कहना है कि संभवत: तेज बहाव में उन्होंने कार ब्रिज पर से निकालने की कोशिश की और गाड़ी समेत दोनों बह गए। घरवाले अगले दिन यानी मंगलवार दोपहर तक उनके आने का इंतजार करते रहे।

तहसीलदार सीहोर के शुगर‎ फैक्ट्री चौराहा के रहने वाले हैं।‎ उस दिन तेज बारिश थी, इसलिए‎ उन्हें करबला पुल पर कितना‎ पानी होगा, इसका अंदाजा होगा।‎ फिर भी वह सीवन नदी चौराहा‎ से ना आते हुए करबला से गए।‎ जब तेज बारिश हो रही थी‎ और हाई अलर्ट था तो इस‎ खतरनाक पुल पर आवागमन‎ रोकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं‎ थी, अगर वहां पर व्यवस्था होती‎ तो इस तरह का हादसा घटित नहीं‎ होता।‎

आधा दिन बीतने के बाद तहसीलदार का बेटा पुष्पेंद्र थाने पहुंचा और पिता की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। इसके बाद पुलिस-प्रशासन एक्टिव हुआ और नदी में सर्चिंग शुरू हुई। बुधवार सुबह करबला पुल के पास एक कार मिली। जांच में पता चला कि यह कार पटवारी महेंद्र रजक की है। इसी कार से दोनों पार्टी मनाने निकले थे। गोताखोरों ने नदी में सर्चिंग शुरू की। घटनास्थल से करीब 12 किमी दूर पटवारी का शव मिला। तहसीलदार को भी काफी तलाशा गया, लेकिन उनका कुछ पता नहीं चला। बुधवार शाम को‎ SDERF की टीम ने भी कोशिश शुरू की।

सोमवार रात 11.30 बजे मोहन‎ बड़ोदिया के तहसीलदार नरेंद्र‎ ठाकुर एक फार्म हाउस से पटवारी‎ महेंद्र रजक के साथ शुगर मिल‎ चौराहा स्थित अपने घर आ रहे थे।‎ इस बीच इंदौर नाका स्थित मंत्री‎ पेट्रोल पंप से उनकी कार करबला‎ रोड की तरफ जाती दिखाई दी थी।‎ नदी में उस समय तक काफी पानी‎ था। इसलिए प्रशासन का अमला‎ तहसीलदार और पटवारी की‎ तलाश में जुट गया था। पहले दिन‎ मंगलवार को शाम तक कुछ पता‎ नहीं चल सका। बुधवार सुबह‎ से जब फिर से सर्चिंग आपरेशन शुरू‎ किया तो करबला पुल से करीब एक‎ किमी दूर कार पानी में दिखाई दी और करीब 12 किमी दूर छापरी के‎ पास पटवारी मृत मिले।

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