मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का निधन, लम्बे समय से थे बीमार, आज लखनऊ में ली अंतिम सांस.
मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का निधन
लखनऊ/भोपाल। बीते कई दिनों से खराब सेहत के कारण लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का मंगलवार सुबह निधन हो गया. निधन की जानकारी उनके बेटे यूपी के मंत्री आशुतोष टंडन ने दी है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि ‘बाबूजी नहीं रहे’. सोमवार रात से ही उनकी हालत बेहद नाजुक बताई जा रही थी. इसको लेकर मेदांता अस्पताल की तरफ से मेडिकल बुलेटिन भी जारी किया गया था, जिसमें उनकी हालत नाजुक होने की बात कही गई थी.
मेदांता अस्पताल में भर्ती मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था. डॉक्टर ने उनकी तबीयत गंभीर होने की बात कही थी. इसी साल 11 जून को मेदांता अस्पताल में भर्ती हुए लालजी टंडन की तबीयत 15 जून को ज्यादा बिगड़ गई थी. पेट में ब्लीडिंग होने पर उनका ऑपरेशन भी किया गया था. इसके बाद से वो लगातार वेंटिलेटर पर थे. टंडन की गिनती बीजेपी के बड़े नेताओं में होती है
उत्तरप्रदेश की लखनऊ सीट से सांसद रहे लालजी टंडन राजनीति की पुरानी पीढ़ी के दिग्गज नेता रहे हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ने के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा और पार्षद से लेकर राज्यपाल तक का सफर तय कर एक कीर्तिमान रच दिया. उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर में जन्मे लाल जी टंडन महज 12 साल की उम्र में ही संघ से जुड़ गए थे. 1960 में राजनीतिक करियर शुरू करने वाली लालजी टंडन ने जेपी आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. उनके राजनीतिक सफर की बात करें तो वे.
●12 साल की उम्र में ही संघ से जुड़े.
●1960 में शुरू किया राजीनितक सफर.
● जेपी आंदोलन में लिया बढ़-चढ़कर हिस्सा.
● टंडन दो बार पार्षद चुने गए और दो बार विधान परिषद के सदस्य रहे.
●वो तीन बार,1996 से 2009 तक विधान सभा के सदस्य बने रहे.
● लालजी टंडन कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली यूपी सरकार में मंत्री रहे.
● यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे.
●लखनऊ लोकसभा सीट से पहली बार 2009 में चुनाव लड़े और जीतकर संसद पहुंचे.
●21 अगस्त 2018 को लालजी टंडन बिहार के राज्यपाल बने.
●20 जुलाई 2019 को उन्हें मध्यप्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया.
एमपी राज्यपाल के दायित्व का निर्वहन.
90 के दशक में उत्तर प्रदेश में बीजेपी और बीएसपी की गठबंधन सरकार के पीछे लालजी टंडन की ही भूमिका मानी जाती रही. मध्यप्रदेश में मचे सियासी घमासान के बीच विधानसभा सत्र के अभिभाषण के दौरान राज्यपाल लालजी टंडन ने बीजेपी कांग्रेस सहित सभी विधायकों को लोकतंत्र के दायित्व को निभाने की नसीहत दी थी. यही वजह रही कि पूरे सियासी घटनाक्रम में राज्यपाल की भूमिका पर सवाल खड़े नहीं हुए.
मध्य प्रदेश से करीबी नाता रहा.
अटल जी की वजह से लालजी टंडन का मध्य प्रदेश से करीबी नाता रहा. लालजी टंडन उस पीढ़ी के नेता रहे जिसने बाद में जनसंघ और फिर भारतीय जनता पार्टी को बड़ा मुकाम दिलाने में बड़ा योगदान दिया. यही वजह है कि उन्हें मध्य प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया.
अटल बिहारी वाजपेयी के बेहद करीबी.
लालजी टंडन पद्मश्री अटल बिहारी वाजपेयी के बेहद करीबी रहे. उनके चुनावी प्रबंधन की पूरी कमान हमेशा लालजी टंडन ने ही संभाली. जब अटल जी ने राजनीतिक संन्यास की घोषणा की तो उत्तराधिकारी के रूप में एक अकेला नाम लालजी टंडन का ही सामने आया.
लखनऊ लोकसभा सीट से चुने गए थे सांसद.
2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने लालजी टंडन को लखनऊ लोकसभा सीट से चुनावी रण में उतारा. अपने नाम की घोषणा होने के बाद लालजी टंडन सीधे अटल जी से मिलने पहुंचे और इसके बाद ही उन्होंने चुनाव प्रचार शुरू किया और चुनाव में उन्हें भारी वोटों से जीत हासिल हुई.