वह हों रहीं घटना से अनभिज्ञ था किन्तु प्रशासन के खिलाफ उसके मन में भी कटुता रहीं होगी!
सैकड़ों की भीड़ में वह भी बैठा हुआ था, वह भी सबसे आगे हालाकि इस बात का मुझे तब भान हुआ जब उसे इस तस्वीर के बाएं कोने में पाया। हालांकि मेरी नज़र उस पर तभी पड़ गई थीं जब वह हमारे द्वारा निकाली गई शोभायात्रा में शामिल होने कि कोशिश कर रहा था! हा कोशिश … क्योंकि जब वह शामिल होना चाह रहा था तभी हमारे किसी आदरणीय ने उसे शोभायात्रा से दूर आगे कर दिया था। वहीं मेरी नज़रे उससे बिझड गई थीं और शोभा यात्रा को देखने वालों पर गड़ रहीं थीं।
मैं देख रहा था कि आमजन इस बीच कुछ समझ पा रहे थें या नहीं? या कुछ न समझने का डोंग रच रहे थें हा परन्तु एक बात जरूर सत्य थीं। तमाशा देखने में मज़ा सबको आ रहा था। सांकेतिक विश्वा अर्थी को कांधा दिए में भी चला जा रहा था , हम रहें होंगे बांबे बाजार में , तभी अंशुल भैया द्वारा किसी दुकान में खड़े अंकल को आवाज़ दी गई , हा हमारे साथी अंशुल भैया दूसरी ओर से कांधा दिए थे। ख़ैर देखकर अच्छा लगा कि वह भी हमारे साथ शामिल हो गए। परन्तु अब भी हम कुछ ही थे ! अब इन नज़रों का क्या हैं , चंचल नयन हमारे, लगातार देख रहे थे विभिन्न लोगो को .. हा फिर मैं देख रहा था कुछेक बुजुर्ग लोग अर्थी देख हाथ जोड़ रहे थें , शायद उन्हें अर्थी वास्तविक जान पड़ी हो । अन्नतः हम पहुंच चुके थे नगर निगम .. वहीं जो बतौर कार्य नरक निगम था .. और लगातार खंडवा की जनता को पानी से त्रस्त किए था ।
अर्थी नीचे रख दी गई थीं .. कथित मातम भी मनाया जा रहा था … नज़रे फ़िर गड़ी उसी के उपर .. हा हा वहीं .. हरा गमछा सिर बांधे , पागल सा नजर आ रहा था , इसी बीच लगातार निगम के खिलाफ नारे बाजी जारी थीं .. साथ ही वह भी हाथ उपर किए हरेक नारा लगाएं रहा था। शायद वह भिकारी मालूम पड़ता था , फिर आज शाम तस्वीर देख उसकी याद आईं , तस्वीर में आगे की ओर बाएं तरफ बैठा यह व्यक्ति मेरे जिज्ञासु मन में सवाल जमाए रहा था … वह रहा होगा घटना से अनभिज्ञ परन्तु प्रशासन के खिलाफ उसके मन में मलाल जरूर रहा होगा।
खंडवा में जल प्रदाय हेतु बिछती इन पाइपलाइन को देख फिर यह किस्सा ज़हन में आया। उक्त घटना उस समय की रही जब खंडवा में जल संकट गहरा रहा था, क्यों! क्योंकि जिम्मेदार मौन थे। बीते वर्ष जून जुलाई माह में खंडवा मध्य प्रदेश में जल संकट के चलते समाज सेवियों द्वारा लगातार विरोध प्रदर्शन किया जा रहा। यह शव यात्रा भी उसी का हिस्सा थीं जिसमें बतौर एक जागरूक नागरिक मैं भी शामिल था। लगातार अलग अलग माध्यमों से प्रदर्शन हो रहे थे जब दबाव बना तो फिर एक जल प्रदाय हेतु पाइपलाइन बिछाने की बात कही गई… शायद यह वही मालूम होती हैं।
लेखक-विशाल चौहानफ़ोन न.-9399211043