कोरोना इफ़ेक्ट: आगर के ग्रामीण क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टर ने संतरे के पेड़ पर लटकाई जिंदगियां, कोरोना का ऐसा डर की यहां खेत बन गया अस्पताल
आगर-मालवा। जिले में कोरोना के आंकड़े हर रोज बढ़ रहे हैं तो वहीं ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के अंदर जिला चिकित्सालय आकर इलाज कराने का एक नया भय बन चुका है. ग्रामीण जिला चिकित्सालय या फिर अन्य प्रतिष्ठित डॉक्टर से इलाज कराने की बजाय झोलाछाप डॉक्टरों पर इन दिनों ज्यादा विश्वास जता रहे हैं. ग्रामीणों को डर है कि अगर वह जिला चिकित्सालय जाएंगे तो उन्हें कोरोना पॉजिटिव बताकर भर्ती कर लिया जाएगा.
जिले से कोरोना की भयावहता जाहिर करती कुछ हैरान कर देने वाली तस्वीरें इन दिनों सामने आई है. जिले में कोरोना के मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवा है पहले ही बेहाल है. हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि ग्रामीण अंचल में निजी चिकित्सक या यूं कहें झोलाछाप डॉक्टर खेतों में पेड़ों की टहनियों से बांधकर मरीजों को बॉटल चढ़ा रहे हैं.
यह चौका देने वाली तस्वीर सुसनेर से पिड़ावा (राजस्थान) की ओर जाने वाले मार्ग पर ग्राम धानियाखेड़ी से करीब आधा किलोमीटर दूर है. जहां पर मुख्य सड़क से 200 मीटर की दूरी पर स्थित एक संतरे के बगीचे में दरी और कार्टून के ऊपर ही मरीजों को लिटाकर एक झोलाछाप डॉक्टर पेड़ पर बॉटल लटकाकर मरीजों का बेख़ौफ़ तरीके से इलाज कर रहा है. इतना ही नही आसपास के करीब 10 गावों से बड़ी संख्या में लोग यहां इलाज कराने पहुँच रहे है.
यहां इलाज करा रहे मरीजों को ना तो कोरोना का खौफ है और ना ही उनके लिए दो गज की दूरी और मास्क जरूरी है. यहां मरीजों को परिजनों द्वारा अपनी बाइक पर बैठा कर लाते हुए आसानी से देखा जा सकते हैं. अब आप इन सब बातों से अंदाजा लगा सकते हैं कि देश में आखिर कोरोना संक्रमण के मामले इतनी तेजी से क्यों बढ़ रहे हैं और मौत का आंकड़ा भी कहीं ना कहीं लोगों की लापरवाही के कारण ही बढ़ता हुआ नजर आ रहा है. लोग पहले तो सादा बुखार समझ कर झोलाछाप डॉक्टरों से अपना इलाज कराते रहते हैं और अंत में कोरोना के कारण जब लंग्स में इंफेक्शन शुरू हो जाता है तो लोग अस्पताल की तरफ भागते हैं और फिर स्थिति खराब होने पर दम तोड़ देते हैं.