‘कोको’ अभी जिंदा है! तीन माह बाद कुत्ते के डीएनए से हुई मालिक की पहचान
‘कोको’ अभी जिंदा है!
होशंगाबाद। कहते हैं कि कुत्ते जैसी अपने मालिक के प्रति वफादारी शायद ही किसी और जानवर में देखने को मिलती है. लेकिन हम आप से कहे कि मालिक भी अपने कुत्ते के प्रति उतना ही वफादार हो तो शायद आप आश्चर्यचकित हो जाएंगे लेकिन यह बिल्कुल सत्य है. एक ऐसा ही मामला होशंगाबाद जिले के देहात थाना क्षेत्र से सामने आया है. जहां के शादाब ने अपने वफादार कहे जाने वाले कुत्ते को पाने के लिए पैसा पानी की तरह बहाया और आखिरकार उस मालिक को अपना प्यारा जानवर मिल गया. लेकिन जानिये आखिर कैसे..
●क्या था पूरा मामला
मध्यप्रदेश के होशंगाबाद में नवंबर माह में एक लैब्राडोर डॉग के मालिक खो जाने का अनोखा मामला सामने आया था. जिसमे एक डॉग के दो मालिक होने का दावा पुलिस के सामने आया था. जिसके बाद पुलिस ने दोनों मालिकों की सहमति से डॉग का डीएनए टेस्ट करने के लिये सैम्पल लिया था. दोनों मालिक डॉग को पुलिस के सामने अपना होना बता रहे थे. पुलिस ने पचमढी में डॉग के पिता का भी सैंपल लेने के लिए डॉक्टर की टीम को भेजा था.
●लैब्राडोर डॉग पर दो मालिकों का दावा
होशंगाबाद के देहात थाने में शादाब खान और कृतिक शिवहरे लैब्राडोर डॉग अपना होने का दावा करने पहुंचे थे. जिसके बाद करीब पांच घण्टे तक थाने में पुलिस और दोनों डॉग मालिकों को बीच बहस चलती रही. आखिरकार पुलिस ने एक हल निकाला और दोनों से डॉग का डीएनए टेस्ट करने की बात कही. जिस पर दोनों ने अपनी अपनी सहमति दी थी. जिसके बाद पशु चिकित्सक ने डॉग का डीएनए टेस्ट के लिये सैम्पल लिया था. इसके बाद शादाब खान ने डॉग के पिता का पचमढ़ी में होना बताया. पशु चिकित्सक के साथ पुलिस की एक टीम पचमढ़ी पहुची थी, जहां उसका भी डीएनए टेस्ट के लिए सैम्पल लिया गया था.
●कोको बनाम टाइगर
होशंगाबाद के रहने बाले शादाब खान का कहना था कि उनका लैब्राडोर प्रजाति का डॉग लगभग 3 माह पहले घर से गुम हो गया था. जिसकी सूचना उन्होंने देहात थाने में की थी. वहीं 18 नवंबर को मालाखेड़ी में ही डॉग के होने की सूचना मिलने पर शादाब खान कृतिक के स्थान पर पहुंचे थे. जिसके बाद उन्हें पता चला के वहां पर उनका डॉग कोको है और उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दी थी कि उसका डॉग मालाखेड़ी में ही एक जगह बंधा हुआ है. तभी होशंगाबाद देहात पुलिस द्वारा पुलिस अभिरक्षा में डॉग को शादाब खान को दिया गया था. डॉग से संबंधित दस्तावेजों को पुलिस को दिखाया गया था. इसके बाद दूसरे दिन 19 नवंबर को कृतिक द्वारा डॉग को लेकर थाने में दावा प्रस्तुत किया गया था कि यह जो डॉग आप लेकर आए हैं वह मेरा है जिसका नाम टाईगर हैं, इसके बाद से ही लगभग 2 दिनों से डॉग को लेकर दोनों ही पक्ष स्वयं के डॉग होने का दावा कर रहे थे. वहीं शादाब खान का कहना था कि डॉग का नाम कोको है. वहीं कृतिक का कहना था की डॉग का नाम टाइगर है.
●पुलिस का दृष्टिकोण
देहात थाना टीआई अनूप सिंह ने बताया की सितंबर 2020 का प्रकरण था. जिसमें मालाखेड़ी में रहने वाले शादाब खान का लैब्राडोर प्रजाति का डॉगी, कृतिक शिवहरे के पास है. शादाब ने बताया था कि यह डॉग मेरा है और कृतिक ने बताया था कि इस डॉग को उनके द्वारा खरीदा गया है. आखिरी में इस बात पर तय हुआ था कि डॉग का डीएनए टेस्ट कराया जाए और आज डॉग के डीएनए के टेस्ट रिपोर्ट आई. जिसमें यह स्पष्ट हुआ है कि डॉग का मालिकाना हक शादाब खान का है. शादाब खान द्वारा बताए गए डॉग के लिए गए सैंपल से डॉग का सैंपल मैच हुआ है. जिससे यह साबित हुआ है कि डॉग शादाब खान का है. चार माह के बाद लैब्राडोर टाइगर डॉग की हैदराबाद से डीएनए रिपोर्ट आई. डीएनए रिपोर्ट के आधार पर (लैब्राडोर डॉग) कोको है टाइगर नहीं. देहात थाना प्रभारी अनूप सिंह नैन ने बताया कि डीएनए रिपोर्ट के अनुसार फैसला शादाब खान के पक्ष में आया है. मामले में जो भी विधि संगत कार्रवाई होगी वह की जाएगी.