मध्यप्रदेश के महानगरों के बाद गांव में पैर फैला रहा कोरोना संक्रमण, कोरोना की दूसरी लहर ने प्रदेश सहित देश के युवाओं को बनाया अपना शिकार


अगर तीसरी लहर आई तो उसका सामना करने के लिए क्या तैयारियां है बताए सरकार


विजया पाठक

एडिटर, जगत विजन


कोरोना संक्रमण प्रदेश में पूरी तरह से अपनी जड़े फैला चुका है। अभी तक जहां सिर्फ प्रदेश के बड़े शहरों में कोरोना संक्रमण का जाल बिछा हुआ था वहीं अब यह जाल धीरे-धीरे प्रदेश के ग्रामीण अंचलों की तरफ बढ़ रहा है। और यदि ऐसा हुआ तो आने वाला समय मध्य प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में रहने वाले लोगों के लिए बहुत ही खतरनाक होने वाला है। कोविड महामारी की दूसरी लहर अब गांवों में भी बरपा रही है कहर, इसका ताजा उदाहरण इंदौर के 35 कि.मी. दूर कुडाना गांव के होली चौक पर पसरा सन्‍नाटा इस बात का गवाह है कि गांव में कुछ ठीक नही है। 40 हजार की आबादी वाले छोटे से गांव में 60 में ज्‍यादा लोग संक्रमित हो चुके है एवं 15 की मौत भी हो गई है। इसके बावजूद सरकार और उनके नुमाइंदे उतने चिंतित नही है।

यह तो इंदौर जैसे बड़े शहर के पास गांव की स्थिति है। ग्रामीण दूर दराज इलाके में स्थिति बद से बदतर है। लोग बिना टेस्टिंग और मेडिकल सुविधाओं के अभाव में दम तोड रहे है। हाल ही में शिवराज जी ने किसान सम्‍मान निधि में राशि भुगतान का ऐलान किया है सम्‍मान निधि किसानों को तब मिलेगी जब वह जीवित रहेगा राजनीति के लिए ऐलान करना ठीक नही है युद्ध स्‍तर पर सिर्फ कोरोना महामारी से निपटने की तैयारी करें। वर्तमान गांव में वेटिंलेटर, आक्‍सीजन, एम्‍बुलेंस और मेडिकल स्‍टाफ की व्‍यवस्‍थाओं पर ध्‍यान दें जान है तो जहान है को सर्वमान्‍य मानकर ग्रामीण इलाकों की भयावहता को भांप कर वर्तमान में सही निर्णय ले साथ ही साथ डब्‍ल्‍यू.एच.ओ. द्वारा तीसरी लहर का प्रकोप भी जल्‍द ही बताया जा रहा है उसे भी संज्ञान में रखते हुए मेडिकल व्‍यवस्‍थाओं को मजबूत करें क्‍योंकि ग्रामीण इलाकों में महामारी पर अंकुश लगा पाना असंभव होगा।


प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की कोरोना संक्रमण को लेकर क्या तैयारियां है उसकी स्थिति दूसरी लहर में सामने आ चुकी है। हर तरफ लाशों का ढेर, प्रतिदिन मरते सैकड़ों लोग, अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की कमी यह सब स्वास्थ्य विभाग की नाकामी का सबूत है। हाल ही में देश के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के.विजय राघवन के बयान के बाद स्थिति और गंभीर होती दिखाई दे रही है। राघवन ने स्पष्ट सरकार को चेतावनी दी है कि जिस तरह से देश में संक्रमण फैला हुआ है उस स्थिति को देखते हुए तीसरी लहर आना लाजमी है और अगर ऐसा हुआ तो वो दृश्य बहुत ही भयावह होने वाला है। क्योंकि कोरोना संक्रमण ने पहली लहर में बुर्जगों को अपना निशाना बनाया दूसरी लहर में युवा शक्ति को और तीसरी लहर में बच्चों का शिकार बना सकता है। ऐसे में शिवराज सरकार को प्रदेश की स्थिति को अभी से तुरंत काबू में करने के लिए प्लान बना लेना चाहिए ताकि तीसरी लहर से प्रदेश की जनता को बचाया जा सके।


जल्द से जल्द हो लोगों का वैक्सीनेशन
एक बात समझ के परे है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 मई से 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के टीकाकरण की घोषणा की थी तो प्रदेश सरकार को अपने यहां वैक्सीनेशन की स्थिति से उनसे परिचित क्यों नहीं कराया। यदि समय रहते सरकार समझदारी दिखाती तो आज बड़ी संख्या में प्रदेश के लोगों का वैक्सीनेशन हो जाता है। अब सिर्फ सरकार की कोशिश यह होनी चाहिए कि जल्द से जल्द लोगों का वैक्सीनेशन करें, इसलिए जब तक सभी का वैक्सीनेशन नहीं हो जाता तब तक प्रदेश में लॉकडाउन को यथावत रखने पर विचार करना चहिए।


युवाओं की मृत्यु दुखद
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने सबसे ज्यादा युवाओं को अपना शिकार बनाया। यह न सिर्फ मध्य प्रदेश बल्कि देश के विभिन्न राज्यों में यही स्थिति देखने को मिली। इन सबका एक बड़ा कारण है राज्य सरकारो का संक्रमण की तरफ से ध्यान हटना। दरअसल संक्रमण की पहली लहर के बाद राज्य सरकारो ने संक्रमण से बचाव संबंधी तमाम सुविधाओं को विकसित करने के बजाय सिर्फ चुनावों पर ध्यान दिया। यही वजह है कि जब संक्रमण की दूसरी लहर आई तो उसने देश के युवाओं को अपने चपेट में लिया। 131 करोड़ की जनसंख्या वाले देश में 60 प्रतिशत युवा है जिनमें बहुत कुछ कर गुजरने की क्षमता है। लेकिन सरकारो की आलस्यता के कारण आज युवा मर रहा है। कई घर बिना बेटे, बिना पिता, बिना भाई के हो गए और सरकार सिर्फ आंकड़े छिपाने में व्यस्त रही।


आगे की क्या है तैयारी
देखा जाए तो मध्य प्रदेश में तीसरी लहर से निपटने के लिए सरकार की कोई खास कोशिशे नजर नहीं आ रही है। कहा जा रहा है कि संक्रमण इस बार अपना शिकार बच्चों को बनाएगा। इसका मतलब है कि देश के बच्चों की जिंदगी खतरे में है, क्योंकि सरकार के पास न तो इससे बचाव के लिए ऐसा कोई सटीक प्लान नहीं जिससे बच्चों की जिंदगी को बचाई जा सके। देश में अब तक बच्चों की वैक्सीन पर कोई काम होता दिखाई नहीं दे रहा है यह भी एक चिंता का विषय है।

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