मध्यप्रदेश के आगर-मालवा में दिखाई दिया दुर्लभ “सफेद कौवा”, पहली बार कुछ ऐसा देख लोगों ने कैमरे में कैद की तस्वीरें
आगर-मालवा। आम दिनों में घरों की छत पर कौवे कांव-कांव करते नजर आ ही जाते है लेकिन ये हमेशा काले रंग के होते हैं. अगर हम आपसे पूछे कि क्या आपने कभी सफेद कौवों को देखा है, तो शायद आपके जवाब ना हो. लेकिन हम आपको बताना चाहेंगे कि ये बेहद दुर्लभ होते हैं. हाल ही में ये मध्य प्रदेश के आगर-मालवा जिले में देखने को मिले हैं. इससे पहले वर्ष 2017 में भी सतना जिले में सफेद कौवे को देखा जा चुका है.
आगर-मालवा जिला मुख्यालय पर बड़े तालाब किनारे स्तिथ गणेश मंदिर के पास के पेड़ पर सफेद कौवा नजर आया जिसको वहां मौजूद लोगों ने अपने कैमरे में कैद करने मुनासिफ समझा क्योंकि ये हर कही आसानी से नजर नही आते और शायद आपने तो पहले देखें भी नही होंगे.
जानकारों के अनुसार, सफेद कौवा भी दूसरे काले कौवों के जैसा ही सामान्य होता है, लेकिन अनुवांशिक दोष ल्यूसीज्म की वजह से कुछ कौवो का कलर सफेद हो जाता है. दुनिया में कौवो की कई ऐसी प्रजातियां हैं जिनके शरीर पर कहीं ना कहीं सफेद धब्बे पाएं जाते है.
पौराणिक कथाओं की मान्यताओं के मुताबिक, पहले कौवे सफेद रंग के ही हुआ करते थे लेकिन अमृत के लालच ने इनको काले रंग का बना दिया. कथाओं के अनुसार, बहुत समय पहले एक साधु ने एक सफेद कौवे को अमृत ढूंढने के लिए भेजा और उसे आदेश दिया कि वो सिर्फ अमृत की जानकारी लाकर दे लेकिन उसे पीने की गलती बिल्कुल ना करे. कई साल बीत जाने के बाद भी वो कौवा अमृत की तलाश में भटकता रहा और आखिरकार एक दिन ऐसा आया कि उसकी मेहनत रंग लाई और उसने अमृत को ढूंढ लिया. लेकिन तभी उसके मन में अमृत को देखकर उसे पीने की लालसा आ गई और उसने उसे पी लिया.
कौवा जब वापिस साधु के पास लौटा तो उसने साधु को सब सच बता दिया. कौवे के अमृत पीने की बात सुनकर साधु गुस्सा हो गया और उसे श्राप दिया कि वचन तोड़कर उसने अपनी जिस अपवित्र चोंच से पवित्र अमृत को जूठा किया है लोग उससे घृणा करेंगे और हमेशा उसकी निंदा करेंगे. इतना ही नहीं साधु ने कौवे को अपने कंडल के काले पानी में डुबो दिया जिससे उसका रंग काला पड़ गया. मन जाता है कि तभी से कौवे का रंग पड़ गया.