आगर जिले में चिकन के स्वेब में हुई बर्ड फ्लू की पुष्टि, प्रशासन ने 7 दिनों के लिए बंद कराया चिकन मार्केट
●कोरोना के बाद अब बर्ड फ्लू बना आफत
●आगर में चिकन शॉप से लिये गए स्वेब में हुई पुष्टि
●प्रशासन ने बंद कराई चिकन शॉप
आगर-मालवा। आगर जिले मैं बर्ड फ्लू अब धीरे-धीरे अपने पैर पसारता जा रहा है. यहां सबसे पहले कौवों में बर्ड फ्लू पाया गया था, जिसके बाद यहां पिछले 1 हफ्ते मैं करीब 324 कौवों की मौत हो चुकी है.वही कौवों की मौत के बाद बगुला, चिड़िया और कबूतर के भी मरने की खबरें सामने आती रही है लेकिन अब चिकन के स्वेब में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है.
जिले में लगातार हो रही कौवों की मौत के बाद मुर्गे-मुर्गियों में बर्ड फ्लू की आशंका बढ़ने लगी थी, जिसके बाद पशुपालन विभाग द्वारा चिकन के स्वेब के सैंपल भोपाल स्थित लेबोरेटरी में भेजे गए थे और अब उसी चिकन के स्वेब में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है. हालांकि चिकन के जिंदा नमूनों में किसी तरह का संक्रमण नहीं पाया गया है, यह जो संक्रमण पाया गया है यह चिकन काटने के प्लेटफार्म से जो स्वेब लिए गए थे उसमें संक्रमण की पुष्टि हुई है. प्रशासन ने चिकन का मार्केट बंद करवा दिया है और चिकन के विक्रय को पूर्णतः प्रतिबंधित कर दिया है.
पोल्ट्री कारोबार से जुड़े लोग रहें ज्यादा सावधान
विशेषज्ञों का मानना है कि मुर्गे या बतख जैसे पक्षी के कारोबार से जुड़े लोगों में बर्ड फ्लू का खतरा ज्यादा होता है, लेकिन एहतियात बरतते हुए वे खुद को बचा सकते हैं. पोल्ट्री फार्म में काम करने वाले लोग ग्लव्स आदि का इस्तेमाल करें और साफ-सफाई रखें तो बर्ड फ्लू के खतरे को टाल सकते हैं. पक्षियों के शवों को न छुएं और इसकी जानकारी तत्काल प्राधिकारियों को दें. अमेरिकी बर्ड फ्लू इंसानों को भी संक्रमित कर सकता है. ऐसा तब होता है जब वायरस हवा में होता है और इंसान गहरी सांस ले लेता है. इस दौरान वायरस आंखों, मुंह या नाक के जरिये इंसान के शरीर में प्रवेश कर जाता है.
प्रमुख लक्षण
बर्ड फ्लू मामूली से लेकर गंभीर बीमारी का रूप ले सकता है. इसके प्रमुख लक्षणों में बुखार, खांसी, गले में दर्द, सर्दी-जुकाम, मांसपेशियों व शरीर में दर्द, थकान, सिरदर्द, आंखें लाल होना व सांस लेने में परेशानी आदि शामिल हैं.
इंसानों में कैसे फैलता है संक्रमण
इंसान से इंसान में बर्ड फ्लू का प्रसार सामान्य नहीं है. जो लोग संक्रमित पक्षियों के बीच काम करते हैं (चाहे वे जीवित हों या मृत) या बिना पकाए या अधपका मुर्गा या बतख का सेवन करते हैं, उन्हें बर्ड फ्लू का खतरा ज्यादा होता है.
●एवियन इंफ्लूएंजा
–सीधा संपर्क (बहुत सामान्य)
जब इंसान संक्रमित पक्षी के संपर्क में आने के बाद जब अपनी आंखें, नाक व मुंह को छूता है.
–दूषित सतह
-एक स्वस्थ पक्षी भी मल को सतह पर छोड़ते हुए वायरस का प्रसार कर सकता है.
-संक्रमित पक्षी की लार, बलगम व मल में वायरस होते हैं.
–दूषित सतह
हवा में वायरस
जब संक्रमित पक्षी पंख फड़फड़ाता है या घुमाता है तो वायरस हवा में ड्रॉपलेट्स या धूल के रूप में फैल जाते हैं. ये वायरस जब इंसान के अंदर प्रवेश कर जाते हैं तो वह संक्रमित हो जाता है.
पंख फड़फड़ाना
खरोंचना
सिर घुमाना
नोट : भारत में अभी तक इंसान से इंसान में बर्ड फ्लू के प्रसार का कोई साक्ष्य नहीं पाया गया है.