आगर: महापरिनिर्वाण दिवस पर संविधान निर्माता को दी श्रद्धांजलि
आगर-मालवा। आज स्थानीय कम्पनी गार्डन में बाबा साहब डॉ.भीमराव अम्बेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर डॉ.अम्बेडकर की विचारधारा पर आधारित एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी के मुख्य अतिथि बामसेफ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एच.एन. रेकवाल थे.
कार्यक्रम की शुरुआत बाबा साहब की तस्वीर पर माल्यापर्ण व मोमबत्ती प्रज्वलित कर बाबा साहब को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. इन मौके पर देवीसिंह रेकवाल, डैनी सूर्यवंशी, सिद्धनाथ सिंह, नटवर गुर्जर, सुरेंद्र कटारिया, नरसिंह सूर्यवंशी व अन्य अम्बेडकर अनुयायी मौजूद रहें.
डॉ.आंबेडकर ने सामाजिक छुआ-छूत और जातिवाद के खात्मे के लिए काफी आंदोलन किए.
उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों, दलितों और समाज के पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए न्योछावर कर दिया.
अंबेडकर ने खुद भी उस छुआछूत, भेदभाव और जातिवाद का सामना किया है, जिसने भारतीय समाज को खोखला बना दिया था.
डॉ. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के छोटे से गांव महू में हुआ था. उनका परिवार मराठी था और मूल रूप से महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के आंबडवे गांव से था. उनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था. वे अपने माता-पिता की चौदहवीं संतान थे. बाबा साहब का जन्म महार जाति में हुआ था जिसे लोग अछूत और निचली जाति मानते थे. अपनी जाति के कारण उन्हें सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ा. प्रतिभाशाली होने के बावजूद स्कूल में उनको छुआ-छूत के कारण अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी.